पुलिसवालों में भी होती है इंसानियत, बुराडी पुलिस की हो रही है क्षेत्र में तारीफ

नई दिल्ली। आमतौर पर पुलिस का नाम आते ही लोग नाक-भौं सिकुड लेते हैं। इसके बीच जब बुराडी में पुलिसकर्मियों ने एक जरूरतमंद महिला की मदद की, तो हर ओर उसी की तारीफ हो रही है। आखिर हो भी न क्यों ! जब एक पुलिस वाला रात के 3 बजे किसी परेशान गर्भवती महिला की मदद करे। उसके लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था कराए और अस्पताल पहुंचाने में मदद करें, तो वह महिला ही नहीं, बल्कि उसका पूरा परिवार और समाज पुलिसवाले की सराहना करता है। प्रसव पीडा से तडप रही गर्भवती महिला को अस्तपाल पहुंचाने में मदद की। उसे लडका हुआ और वह सकुशल रोहिणी के बीआर अंबेडकर अस्पताल में है।

हम बात कर रहे हैं दिल्ली पुलिस के हेड कान्स्टेबल रविन्द्र सिंह की। थाना है बुराडी। घटना 25-26 अगस्त की रात। समय रात के 3 बजे। रोजमर्रा की तरह हेड कान्स्टेबल रात में गश्त कर रहे थे। उनके साथ कान्स्टेबल रिकूं मोटरसाइकिल पर गश्त कर रहे थे। दोनों पुलिस वाले नाला रोड अजित विहार के पास पहुंचे थे। उसी समय उन्हें थोडी दूर पर एक पुरुष और एक महिला दिखाई। इन्हें लगा कि कुछ न कुछ मामला है। वरना कोई इस समय अपने घर से बाहर सडक पर नहीं होता है। नजदीक जाने और पूछताछ करने पर पता चला कि महिला का नाम कुसुम है। उसकी उम्र 25 साल के करीब है। वह गर्भवती है और उसे तेज दर्द हो रहा है। आस पास चिक्सिीय सहायता नहीं मिलने पर वह सडक पर इस उम्मीद से आई कि कोेई वाहन मिले और वह नजदीक के किसी अस्पताल में जाकर डाॅक्टर को दिखाए।

बता दें कि इसी आस में कुसुम अपने पति विनय के साथ जनता विहार से किसी तरह पैदल ही आगे आ रही थी। पुलिस वालों ने पूरी बात जानने के बाद तुरंत मदद के लिए 102 नंबर पर डायल किया। एम्बुलेंस के लिए कहा गया। जब समय विपरीत होता है, तो दिक्कतें आसानी से पीछा नहीं छोडती हैं। एम्बुलेंस रास्ता भटक गया। अब क्या किया जाए ?

हेडकान्सटेबल रविन्द्र सिंह ने अपने साथी रिंकू को मेाटरसाइकिल से भेजा। अपने साथ एम्बुलेंस को लाने के लिए कहा। आखिरकार एम्बुलेंस आ गई। दोनों पुलिस वालों ने कुसुम को बिठाया और अस्पताल भेजा। कुसुम अभी रोहिणी के बीआर अंबेडकर अस्पताल में भर्ती है। वह अपना इलाज करवा रही है। जब उससे बात हुई तो उसने कहा कि मेरे लिए पुलिस वाले किसी देवदूत से कम नहीं हैं। मैं रात में जिस परेशानी से गुजर रही थी उसे एक महिला ही समझ सकती है। जब कहीं मदद नहीं मिल रही थी, तो पुलिसवालों ने हमारी मदद की और मैं आज अस्पताल में सकुशल हूं। मुझे बेहद खुशी है कि मैं एक बेटे की मां बन गई हूं। हमारा पूरा परिवार उन्हें दुआ दे रहा है। आखिर हम गरीब और क्या दे सकते हैं ?

इस संदर्भ में हेड काॅनस्टेबल रविन्द्र सिंह का कहना है कि हमारा काम जनसेवा है। ऐसे काम हम बराबर करते रहते हैं। आप सभी ने देखा होगा कि कोरोना काल में दिल्ली पुलिस ने कितना बेहतर काम किया है।

वाकई, यदि हर पुलिसकर्मी ऐसे मिसाल पेश करें, तो समाज में पुलिस को लेकर जो सोच बनी है, वह अवश्य बदल जाएगी।

 

 

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