खराब गुणवत्ता वाला प्रकाश डालता है बच्चों की दृष्टि प्रभाव

नई दिल्ली। स्कूल में पढ़ाई पर ध्यान देने या होमवर्क करते हुए भारतीय बच्चे एक दिन में औसतन 12 घंटे खराब गुणवत्ता वाले प्रकाश में गुजारते हैं, जिससे भारतीय माता-पिता के बीच उनके बच्चों की दृष्टि के प्रति चिंता बढ़ रही है। लाइटिंग में दुनिया की अग्रणी फिलिप्स लाइटिंग द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार 61 प्रतिशत भारतीय माता-पिता इस बात से सहमत हैं कि खराब, अस्थिर प्रकाश में पढ़ाई करने से बच्चों की दृष्टि को क्षति पहुंच सकती है।
भारत सहित 12 देशों में किए गए अध्ययन में यह भी खुलासा हुआ कि सभी भारतीय माता-पिता में से आधे इस बात के लिए चिंतित हैं कि उनके बच्चे को भविष्य में चश्में की जरूरत होगी। बच्चों के निकटदृष्टि दोष के इस चिंताजनक और बढ़ती शहरी आपात स्थिति से निपटने के लिए, सर्वेक्षण में शामिल आधे से अधिक (55 प्रतिशत) भारतीय माता-पिता अच्छीे गुणवत्ता वाले प्रकाश उपकरण खरीदने के इच्छुक हैं, जो उनके बच्चों की दृष्टि और स्कूल में प्रदर्शन पर सकारात्मक प्रभाव डालने के अलावा उनके भोजन में सुधार कर सकता है। इस बात का समर्थन विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्यूएचओ) की एक रिपोर्ट भी करती है, जो बताती है कि अत्यधिक नजदीकी से काम करने से निकट दृष्टि दोष का खतरा बढ़ सकता है और इसलिए खुले1 में अधिक समय व्यतीत करने से इसे कम करने में मदद मिल सकती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि 2050 तक प्रत्येक दो में से एक व्यक्ति अदूरदर्शिता से ग्रसित होगा।
नेत्र रोग विशेषज्ञ स्थिति की गंभीरता को समझते हैं और सामान्य जनता को उनकी आंखों की देखभाल के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए सभी उचित कदम उठा रहे हैं। डा. के. एस. संथन गोपाल, एमडी (एम्स); एफआरसीएस (एडिन), एफआरसीओ पीएचटीएच (यूके), कमला नेत्रालय, बेंगलुरु और अध्यएक्ष, ऑल इंडिया ओपथलमोलॉजी सोसाएटी ने कहा, “यहां आंखों की देखभाल के बारे में लोगों को लगातार शिक्षति करने की आवश्याकता है। समुदाय के बीच इस मुद्दे पर जागरुकता बढ़ाने में हमारी प्रतिबद्धता के एक भाग के रूप में, ऑल इंडिया ओपथलमोलॉजिकल सोसाएटी ने लोगों के बीच नेत्र चिकित्सा शिक्षा को बढ़ाने के लिए सक्रियरूप से कई समुदाय उन्मुख कार्यक्रम, दिशा-निर्देश और संसाधन विकसित किए हैं। इस लक्ष्य् की दिशा में, हमारे सभी 20,000 सदस्य भारतीयों के लिए नेत्र दृष्टि को बचाने और पुर्नस्थापित करने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं।”
सुमित जोशी, वाइस चेयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर, फिलिप्स लाइटिंग इंडिया ने कहा कि जैसा कि भारतीय बच्चे, अधिकतर समय घर के अंदर कृत्रिम प्रकाश में स्कूल कार्य करते हुए व्यतीत कर रहे हैं, ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि वे ऐसा अच्छी गुणवत्ता वाली रोशनी में करें ताकि यह उनकी आंखों के लिए आरामदायक हो और किसी भी अनावश्यक तनाव को कम करे।” “फिलिप्सि लाइटिंग में, हम गुणवत्तापूर्ण प्रकाश के महत्व को समझते हैं, विशेषकर जब बात आंखों के आराम की हो, यही कारण है कि हम अपनी सभी फिलिप्स एलईडी के लिए यह सुनिश्चित करते हैं कि वे सबसे ज्यादा आरामदायक प्रकाश के लिए हमारे उच्च मानकों पर खरे उतरें।
शैक्षणिक प्रदर्शन और बच्चों का तनाव स्तर भी भारतीय माता-पिता के लिए एक चिंता का विषय है, माता-पिता व्यावहारिक समाधान को खोज रहे हैं जो उनके बच्चों की भलाई और शैक्षणिक प्रदर्शन पर सकारात्मरक प्रभाव डाले। भारत, चीन, अमेरिका, चेक गणराज्य, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, पोलैंड, स्पेन, स्वीडन, थाईलैंड और तुर्की सहित सभी बारह देशों में 9,000 से अधिक वयस्कों पर किया गया अध्ययन उपरोक्त भयानक स्थिति को और अधिक प्रासंगिक बनाता है।

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