जिंदगी में जरूरी है पॉजिटिव कम्यूनिकेशन


नई दिल्ली / टीम डिजिटल।
किसी भी कार्य को शुरू करने से पहले उसके बारे में हम बहुत बार सोचते है और फिर उस काम में हो रहे नुकसान से डरते भी है. फिर उस डर के चलते हम उस काम को करने से पहले ही छोड़ देते है. देखा जाए तो डरना मनुष्य की आम प्रवृत्ति है और इस डर में भी उसे एक अलग तरह का सुख मिलता है डर का सुख. यह सुख और कुछ नहीं किसी बड़े काम या पहल न करने का सुख होता है. अगर आप कोई भी पहल करके या रिस्क लेकर काम न करेंगे तब जिंदगी में आगे ही नहीं बढ़ सकते परंतु मनुष्य प्रवृत्ति होती है कि किसी भी तरह के बदलाव को खासतौर पर जिसमें काफी सारी हिम्मत और रिस्क शामिल हो तब उस काम को नहीं करने का ही मन बना लेता है. हालांकि करियर की बात हो या जिंदगी में कुछ नया करने की बात हो मन में शंका उठना स्वाभाविक है और उस शंका का निवारण भी हमें ही करना होता है. कुछ साथी ऐसे होते हैं जो अपनी बात पर कायम रहते हैं फिर चाहे सफलता मिले या असफलता वे सबकुछ अपने दम पर अपनी हिम्मत पर करने का माद्दा रखते हैं. जबकि कुछ साथी किसी अन्य द्वारा भी जरा सी शंका जाहिर करने पर अनिर्णय की स्थिति में आ जाते हैं जबकि वे स्वयं इस बात से आश्वस्त रहते हैं कि जो काम वे करने जा रहे हैं वह अ’छा है और ऐसा किया जाना चाहिए. परंतु केवल शंका भर जाहिर करने से सबकुछ मामला गड़बड़ हो जाता है.  युवा साथी की हो तब उसे टोकना जरूरी भी है ताकि वह अपने कम्युनिकेशन में बदलाव लाए, पर यहां भी बात सकारात्मकता की लागू होती है. अगर आपने डांट कर अपनी बात मनाने के लिए कोई बात कही तब कुछ भी नहीं होने वाला और हो सकता है कि अगली बार आप संवाद स्थापित करने का मौका ही छोड़ दे.
घर पर भी युवाओं या किशोरों से बातचीत के दौरान या सामान्य रूप से बातचीत के दौरान भी अगर आप किसी विवाद को समाप्त करना चाहते हैं तब बातचीत की शुरुआत जिन मुद्दों पर असहमति है उनसे न करके जिन बातों पर सहमति है, उससे करेंगे तब बात बनेगी जरूर. क दोस्ती यारी हो या फिर कार्यालय में आपके किसी के साथ दोस्ताना तालुक हो. संबंधों में स्वच्छ और स्पष्ट संवाद जरूरी है और जब भी आपको लगे गाड़ी थोड़ी भी पटरी से उतर रही है तब स्वयं पहल कर संवाद स्थापित करने का प्रयत्न जरूर करें. संघर्ष के बिना जिंदगी जीना यानी बिना मेहनत के फल खाने जैसा है. संघर्ष युवा साथी को सोना बनाता है और जिंदगी की भट्टी में जब वह अनुभव के साथ तपता है तब जिंदगी का असल अर्थ उसे समझ में आता है. अनुभव का कोई विकल्प नहीं है, यह हम सुनते भी हैं और बात सही भी है. पर यह बात भी उतनी ही सही है कि अगर आप संघर्ष करना नहीं जानते तब जिंदगी में आगे बढऩे की ललक भी स्वयं में समाप्त कर देंगे. जिंदगी में संघर्ष सभी स्तरों पर है और आपको किला सभी दूर लड़ाना पड़ता है. आप चाहे करियर की बात करें या नौकरी की या फिर स्वयं को आर्थिक रूप से मजबूत करने की बात हो बिना संघर्ष किए कोई भी मुकाम हासिल नहीं कर सकते. संघर्ष अपने साथ बहुत सारी बातें लाता है जिसमें मेहनत से लेकर विपरित परिस्थितियों से सामना करना भी शामिल रहता है.


 ए के मिश्रा, सक्सेस गुरु, चाणक्य आईएएस एकेडमी के निदेशक

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