गाजियाबाद। शहर में बन रही हाईटेक सिटी वेव सिटी में मुआवजे की मांग को लेकर आए दिन हो रहे प्रदर्शन से जहां स्थानीय लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है वहीं विकास कार्य में भी बाधा पहुंच रही है। जबकि भारतीय किसान संगठन इस धरने को अवैध बता चुका है। वहीं प्रदर्शनकारी न्यायालय के आदेश को भी नहीं मान रहे हैं।
लगातार कुछ लोग तथाकथित किसान संगठन बनाकर लगातार प्रदर्शन करके मुआवजे की मांग कर रहे हैं। जबकि वेव सिटी प्रबंधन साफ कर चुका है कि जिन शर्तों के साथ समझौता हुआ था वह सब शर्तें मान ली गई हैं। इसके लिए बाकायदा जिला प्रशासन की मौजूदगी में किसान संगठनों और वेव सिटी प्रबंधन के बीच लिखित में समझौता हो चुका है। यह समझौता मई 2014 में हुआ था। प्रदर्शनकारियों की इस तरह की मांगों को लेकर भारतीय किसान संगठन साफ कर चुका है कि वेव सिटी में चल रहा धरना—प्रदर्शन अवैध है। कुछ दिन पूर्व
भारतीय किसान संगठन के गाजियाबाद के जिला अध्यक्ष एवं मेरठ मंडल के प्रभारी लोकेश नागर की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया था कि वेव सिटी में चल रहा धरना अवैध है। पत्र में कहा कि यह धरना बाहरी नेताओं की ओर से दिया जा रहा है। पत्र के मुताबिक कंपनी और किसानों के बीच जो समझौता हुआ था उसे कंपनी ने मान लिया है। पत्र में कहा गया है कि 20 अक्टूबर 2024 को कंपनी और क्षेत्र के लोगों के बीच जो समझौता हुआ उसे कंपनी ने मान लिया और लगातार रजिस्ट्री भी हो रही है। साथ ही कंपनी समझौते के मुताबिक विकास कार्य को भी करा रही है।
पत्र में कहा गया है कि कुछ लोग अधिक दाम में बेची हुई जमीन के लिए भी प्लॉट की मांग कर रहे हैं और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि 2014 के समझौते से इसका कोई मतलब नहीं है। उस समय भी यह समझौता हम लोगों के ही बीच हुआ था। पत्र में कहा गया है कि भारतीय किसान संगठन के लोग 21 अक्टूबर 2024 के समझौते से पूरी तरह से रजामंद है जिस पर क्षेत्र के लगभग 250 किसानों के हस्ताक्षर हैं और इस धरने का विरोध करते हैं। गौरतलब है कि पिछले कुछ समय से कुछ तथाकथित बाहरी नेता किसानों के नाम पर धरना—प्रदर्शन कर रहे हैं। साथ ही वेव सिटी में जाकर लोगों को डराने—धमकाने से लेकर जबरन रोड जाम कर रहे हैं। इससे जहां लोगों को मुश्किलें हो रही है वहीं यहां हो रहे विकास कार्य में भी बाधा पहुंच रही है।