पीटीआर में बाघों की 50 से अधिक हुई

भोपाल।  मध्यप्रदेश का पन्ना टाइगर रिर्जव (पीटीआर) में एक दशक पहले बाघ की आबादी खत्म हो गई थी लेकिन बाघ पुनरुद्धार कार्यक्रम से अब यहां बाघों की संख्या 50 से अधिक हो गई है। इस प्रकार हाल ही में राष्ट्रीय बाघ आकलन रिपोर्ट में मध्यप्रदेश को एक बार फिर से प्रतिष्ठित ‘‘टाइगर स्टेट’’ का दर्जा हासिल करने में पीटीआर की अहम भूमिका है। प्रदेश की राजधानी भोपाल से लगभग 330 किलोमीटर दूर स्थित पीटीआर में एक दशक पहले बाघ नहीं थे। इसके बाद यहां बाघ पुनरुद्धार कार्यक्रम शुरु किया गया ताकि इस क्षेत्र में बाघों को वापस बसाया जा सके। मध्यप्रदेश के छह टाइगर रिजर्व में से एक पीटीआर में अब 52 बाघ हैं और मध्यप्रदेश को लगभग नौ साल बाद पुन: टाइगर स्टेट का प्रतिष्ठापूर्ण तमगा हासिल हुआ है।
पीटीआर के क्षेत्र निदेशक के. एस. भदौरिया ने बताया कि पीटीआर में बाघ पुनरुद्धार कार्यक्रम 2009 में शुरु किया गया था। इसके तहत कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व से पांच मादा और दो नर बाघों सहित कुल सात बाघों को लाकर यहां छोड़ा गया। इसके परिणामस्वरुप अब यहां कुल 52 बाघ हैं। भदौरिया ने दावा किया कि पीटीआर में बाघ पुनरुद्धार और संरक्षण का यह प्रयास अद्वितीय था और उनकी जानकारी में दुनिया भर में इस तरह का कोई प्रयास इस तरह का परिणाम नहीं ला सका है। उन्होंने बताया कि पन्ना टाइगर रिजर्व इसके बफर जोन सहित कुल 1,596 वर्ग किलोमीटर में फैला है। पीटीआर के बफर जोन में 59 गांव हैं। भदौरिया ने कहा कि अब पन्ना अभयारण्य में बाघों की आबादी का घनत्व बहुत अच्छा है और यह लगभग अपने सबसे अनूकुल स्तर पर पहुंच गया है। उन्होंने कहा, “अब हमें जंगल से सटे और गलियारों को विकसित करने और सागर जिले के नौरादेही अभयारण्य और दमोह जिले में रानी दुर्गावती अभयारण्य जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, क्योंकि बाघ नए आवासों की तलाश में रिजर्व से बाहर जा सकते हैं।” उन्होंने कहा कि बाघ पूरे पार्क क्षेत्र में अपना इलाका बना रहे हैं और यहां के प्राकृतिक वातावरण में शावक बड़े हो रहे हैं। क्षेत्र निदेशक ने कहा कि पन्ना में बाघों के अस्तित्व और वन संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक करने के लिए कार्यक्रम किये जा रहे हैं।
इस बीच, मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ ने पन्ना और राज्य के अन्य बाघ अभयारण्यों में बाघों की बढ़ती संख्या पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, “मध्य प्रदेश बाघों के लिए स्वर्ग है। बाघों की आबादी के घनत्व के मामले में मध्यप्रदेश दुनिया में सबसे ऊपर है। पार्क प्रबंधन और मैदानी कर्मचारियों के अथक प्रयासों से यह उपलब्धि पाई जा सकी है।’’ 1981 में बनाए गए पन्ना नेशनल पार्क को 1994 में केंद्र सरकार द्वारा टाइगर रिज़र्व घोषित किया गया था।
मध्यप्रदेश से वर्ष 2010 में कर्नाटक ने टाइगर स्टेट का दर्जा हासिल किया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 29 जुलाई को जारी की गई अखिल भारतीय बाघ अनुमान रिपोर्ट 2018 के मुताबिक मध्यप्रदेश में अब 526 बाघ हैं, जो देश में किसी भी राज्य में सबसे अधिक हैं। 2018 की गणना के अनुसार 524 बाघों की आबादी के साथ कर्नाटक देश में दूसरे स्थान पर है। मध्यप्रदेश और कर्नाटक के बाद बाघ गणना के मामले में शीर्ष पांच अन्य राज्यों में उत्तराखंड (442), महाराष्ट्र (312) और तमिलनाडु (264) हैं।

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