मंत्रिपरिषद के निर्णय पर झामुमो ने उठाए सवाल

 रांची। झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि कल यानी 12 दिसम्बर को राज्य मंत्रीपरिषद् की बैठक में राज्य भर में मेयर – डिप्टी मेयर सहित शहरी निकायों के प्रधान एवं उपप्रधान पद के लिए होने वाले साधारण चुनाव को दलगत आधार पर करवाने के निर्णय हुए। राज्य मंत्री परिषद् का यह निर्णय हमें याद दिलाता है कि गंजे को कंघी सबसे प्यारी लगती है। उन्होंने कहा कि एक ही दिन एक ही परिषद् के चुनाव में एक अभिनव उदाहरण भारतीय लोकतंत्र एवं निर्वाचन प्रणाली में एक क्रान्तिकारी प्रहसन के रूप में बदलाव करने का निर्णय के रूप में सामने आया। मेयर – डिप्टी मेयर राजनैतिक पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी होंगे और उनके परिषद् के सदस्य की कोई विशिष्ट राजनैतिक पहचान नहीं होगी। अपने बयान में झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि सरकार का यह निर्णय अध्यक्षीय शासन प्रणाली कि ओर अग्रसरित होने का एक भयावह संकेत है। राज्य मंत्री परिषद् को हाल ही में सम्पन्न पड़ोसी राज्य उत्तरप्रदेश में हुए शहरी निकाय के चुनाव परिणाम संशय कि स्थिति में ला खड़ा किया है। मंत्री परिषद् को लगता है कि चुनाव प्रक्रिया निर्धारण का उन्हें पूर्णरूपेण संवैधानिक अधिकार प्राप्त है। राज्य सरकार के इस निर्णय कि अंतिम पुष्टी राज्य के संवैधानिक प्रमुख को लेनी है। दलगत आधार पर सर्वस्तर पर निर्वाचन सुनिश्चित हो इसका पार्टी स्वागत करती है एवं झा॰मु॰मो॰ ने ही सर्वप्रथम इस निमित्त प्रस्ताव पूर्ववर्ती राज्य सरकार को प्रेषित किया था। राज्य कि सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी को यदि लगता है की वो उत्तरप्रदेश के तर्ज पर मेयर-उपमेयर पद पर काबिज हो जाएंगे तो वो वास्तविक तौर पर दिन में सपने देख रहे हैं। नगर निगम के मेयर-डिप्टी मेयर सहित सभी पार्षदों का चुनाव दलगत आधार पर अनिवार्य हो, इसका हम माँग करते हैं। सम्पूर्ण राज्य को तुगलकी फरमान से नहीं चलाया जा सकता है। यह जनतंत्र है, शासन को जनता को विश्वास में लेकर ही नीतियाँ निर्धारित करनी चाहिए अन्यथा फलाफल यह होगा की स्वादिष्ट खीर में कुछ बुँद केरोसिन तेल मिला दिया जाय।

 

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