रांची। झारखंड में राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना जारी होने के साथ ही राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ गयी है। भाजपा वर्ष 2016 के चुनाव की तरह इस बार भी दोनों सीटों पर कब्जा जमाने की रणनीति बनाने में जुट गयी है, वहीं मुख्य विपक्षी दल झारखंड मुक्ति मोर्चा ने भी पुरानी गलतियों से सीख लेते हुए इस बार विपक्षी एकजुटता सुनिश्चित करने की कवायद शुरु कर दी है। नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन राज्यसभा चुनाव के सिलसिले में कांग्रेस के आला नेताओं से बातचीत करने के लिए नई दिल्ली के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा कि कांग्रेस, झाविमो और अन्य विपक्षी विधायकों से बातचीत के बाद ही साझा प्रत्याशी के नाम की घोषणा की जाएगी। इधर, मुख्यमंत्री रघुवर दास ने भी संकेत दिया है कि भाजपा दोनों सीटों पर उम्मीदवार खड़ा कर सकती है। मुख्यमंत्री ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि विधानसभा में मौजूदा संख्या बल के बारे में सभी को जानकारी है, पार्टी नेतृत्व द्वारा एक या दोनों सीटों पर चुनाव लड़ने और उम्मीदवार पर फैसला लेगा। 81सदस्यीय झारखंड विधानसभा में भाजपा और आजसू पार्टी विधायकों की संख्या 47 है, जो एक सीट के लिए जीत से 20 अधिक है, इसके अलावा सत्तारुढ़ गठबंधन में जय भारत समानता पार्टी की गीता कोड़ा, नौजवान संघर्ष मोर्चा के भानू प्रताप शाही, झारखंड पार्टी के एनोस एक्का और बसपा के कुशवाहा शिवपूजन मेहता का भी समर्थन मिलने की संभावना है। इस तरह से भाजपा को दूसरी सीट पर कब्जा करने के लिए भी सिर्फ तीन अन्य सदस्यों के समर्थन की जरुरत होगी। वर्ष 2016 के राज्यसभा चुनाव में भी कांग्रेस और झाविमो के एक-एक विधायकों के क्रॉस वोटिंग की बात सामने आयी थी। इस बार विपक्षी खेमे में झामुमो के 19 में से एक विधायक योगेंद्र प्रसाद महतो की विधानसभा सदस्यता एक मामले में सजा होने के कारण समाप्त हो चुकी है, जबकि कांग्रेस के सात, झाविमो के दो, मासस के 1 और भाकपा-माले के एक विधायक सदस्य विपक्षी खेमे में है, इसमें से एक-दो सदस्य भी इधर-उधर होते है, तो विपक्षी उम्मीदवार को मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।