क्या राहुल, अखिलेश और माया करेंगे समझौता?

लखनउ। राज्यसभा की सीटों पर चुनाव के ऐलान के साथ ही उत्तर प्रदेश में भी 10 सीटों को लेकर चुनाव होना है. मौजूदा विधानसभा का गणित देखें तो बीजेपी 8 सीट आसानी से जीतती दिख रही है. वहीं समाजवादी पार्टी एक सीट अपने नाम आसानी से कर लेगी. लेकिन आखिरी दसवीं सीट के लिए बीजेपी और विपक्ष में घमासान होने की पूरी उम्मीद है. ये एक सीट जीत से कहीं ज्यादा वर्चस्व कायम करने की लड़ाई का आधार मानी जा रही है. सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या इस एक सीट के लिए सपा, बसपा और कांग्रेस एक साथ आएंगीं?
राज्यसभा चुनाव में गठबंधन की सूरत में प्रत्याशी के तौर पर तीनों पार्टियों से सबसे बड़ा नाम अगर कोई आता है तो वह हैं मायावती. लेकिन मायावती फिलहाल राज्यसभा की सदस्यता में कोई रुचि नहीं ले रहीं. खुद इसका खुलासा रविवार को बिहार में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने किया. उन्होंने कहा कि जैसे ही राज्यसभा चुनाव की अधिसूचना जारी हुई, उन्होंने मायावती जी को फोन किया, क्योंकि उनके पिता राजद सुप्रीमो लालू यादव ने एक से अधिक बार घोषणा की थी कि राज्यसभा चुनाव में वह बहनजी को बिहार से अपनी पार्टी के समर्थन से भेजेंगे. लेकिन मायावती ने तेजस्वी यादव को साफ़ कहा कि जब तक सदन में भाजपा का बहुमत है, फ़िलहाल वो राज्यसभा की सदस्य नहीं बनना चाहतीं.
उधर यूपी में हाल में हुए विधानसभा उप चुनाव और इस समय चल रहे लोकसभा उपचुनाव के दौरान बसपा साफ कर चुकी है, कि वह सपा के किसी उम्मीदवार को समर्थन नहीं देगी. जाहिर है ​राज्यसभा चुनाव में पार्टी के स्टैंड बदलने की उम्मीद नजर नहीं आ रही. ऐसी स्थिति में सपा के उम्मीदवार होने पर इस एक सीट पर गठबंधन होता नहीं दिख रहा. एक समीकरण ये भी हो सकता है कि सपा और कांग्रेस, बसपा के प्रत्याशी का समर्थन कर दें.
समाजवादी पार्टी के प्रवक्ता सुनील सिंह साजन कहते भी हैं कि पार्टी से एक सदस्य तो राज्यसभा जाना तय है. अब बचे विधायकों की बात करें तो हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव लगातार प्रयास में हैं कि सेक्युलर और समाजवादी विचारधारा के लोगों को साथ लाया जाए. ताकि 2019 के लोकसभा चुनावों में बीजेपी को करारा जवाब दिया जा सके. सुनील सिंह कहते हैं कि इसी क्रम में राज्यसभा चुनावों के दौरान अगर इस समाजवादी विचारधारा के लोग आगे आते हैं तो समाजवादी पार्टी समर्थन देने में पीछे नहीं हटेगी.
उधर संभावनाओं को लेकर कांग्रेस भी इंतजार की मुद्रा में दिख रही है. यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता द्विजेंद्र त्रिपाठी कहते हैं कि यूपी विधानसभा में हमारे पास 7 सीटें हैं. जाहिर है कि हम किसी भी सीट को निकाल पाने की स्थिति में नहीं हैं. लेकिन राजनीतिक संभावनाएं तलाशी जा सकती हैं. पार्टी हित में जो भी जरूरी होगा पार्टी हाईकमान वही फैसला करेगा.
उधर इन सबके बीच बसपा का अपना ही अलग स्टैंड है. वरिष्ठ बसपा नेता उन्मेद सिंह कहते हैं कि कांग्रेस की तरफ से गुजरात चुनाव से लेकर तमाम मौकों पर हमारी पार्टी को इग्नोर किया गया है. जब उनकी नजर में हमारी कोई कीमत नहीं है तो हम अपने हिसाब से ही आगे बढ़ेंगे. उन्होंने कहा कि गठबंधन होने की अहम बात तो प्रत्याशी पर निर्भर करती है. हम सपा और कांग्रेस के उम्मीदवार को समर्थन नहीं दे सकते. ऐसे में हमारे 19 विधायक वोट न ही करें तो बेहतर. उन्मेद सिंह कहते हैं कि कर्नाटक में भी त्रिकोणीय मुकाबला हो चुका है. पिछले एक साल से वह खुद हैदराबाद से लेकर तमाम जगह दौरा कर चुके हैं. हम लोकसभा चुनाव में तीसरे विकल्प के रूप में सामने आएंगे. ऐसी स्थिति में राज्यसभा चुनाव में गठबंधन की उम्मीदें नहीं बन रहीं.

राज्यसभा चुनाव की गणित

– राज्यसभा सदस्य के निर्वाचन का अधिकार विधानसभा सदस्य को होता है. यूपी में 403 विधानसभा सीटें हैं और राज्यसभा के चुनाव 10 सीटों के लिए होना है.
– चुनाव का फॉर्मूला है, खाली सीटें में एक जोड़ से विधानसभा की सदस्य संख्या से भाग देना. निष्कर्ष में भी एक जोड़ने पर जो संख्या आती है. उतने ही वोट एक सदस्य को राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए चाहिए.
– यूपी की सदस्य संख्या 403 है. राज्यसभा की खाली सीट है 10. यानी 10 सीटों में 1 को जोड़ा तो हुए 11. अब 403 को 11 से भाग देते हैं तो आता है 36.63. इसमें 1 जोड़ा जाए तो आते हैं 37.63. यानी यूपी राज्यसभा चुनाव जीतने के लिए एक सदस्य को औसतन 38 विधायकों का समर्थन चाहिए.
– इस लिहाज से आकड़े की बात करें को बीजेपी गठबंधन के खाते में 8, जबकि सपा के खाते में एक सीट जा रही है क्योंकि सपा के पास 47 विधायक हैं. वहीं, बची एक सीट के लिए विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है क्योंकि सपा की बची 10, बसपा की 19 और कांग्रेस की 7 सीटें मिलाकर ही अपने संयुक्त उम्मीदवार को राज्यसभा भेज सकते हैं.

यूपी विधानसभा में सीटों की गणित

यूपी में विधानसभा की 403 सीटें
राज्यसभा के लिए 31 सीटें
बीजेपी – 312
सपा- 47
बसपा-19
अपना दल (सोने लाल) – 9
कांग्रेस- 7
सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी – 4
राष्ट्रीय लोक दल – 1
निर्बल इंडिया शोषित हमारा आम दल – 1
निर्दलीय – 3
नाम निर्देशित – 1

राज्यसभा की एक सीट के लिए गणित

8 सीट पर जीत के बाद बीजेपी गठबंधन के पास बचेंगे- 21 विधायक
सपा की 1 सीट पर जीत के बाद बचेंगे- 9 विधायक
गठबंधन की स्थिति में बसपा के 19, सपा के 9, कांग्रेस के 7 मिलाकर होते हैं – 35 विधायक
अहम भूमिका: 3 निर्दलीय और लोकदल का एक विधायक विपक्ष के गठंधन के लिए अहम साबित हो सकता है.

(साभार: जी न्यूज)

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