पटना : शरद यादव और अली अनवर की राज्यसभा सदस्यता रद्द किये जाने के बाद अब नेताओं में बिहार से राज्यसभा पहुंचने को लेकर सरगर्मी तेज हो गयी है. राज्यसभा की बिहार कोटे की कुल 16 सीटें हैं. इनमें छह सीटों का कार्यकाल अप्रैल, 2018 में पूरा हो रहा है, जबकि शरद यादव का कार्यकाल जुलाई, 2022 तक था. अब उनकी सीट भी रिक्त हो गयी है. राज्यसभा की इन सात सीटों पर होनेवाले चुनाव को लेकर विभिन्न दलों में गतिविधियां तेज हो गयी हैं. राज्यसभा की बिहार कोटे की जो सीटें रिक्त हुई हैं, उनमें शरद यादव व अली अनवर की सीटें भी शामिल हैं. दो अप्रैल, 2018 तक जिन सांसदों का कार्यकाल पूरा होनेवाला है, उसमें दो केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और रविशंकर प्रसाद शामिल हैं. इनके अलावा जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह, जदयू के ही महेंद्र प्रसाद और अनिल कुमार सहनी का कार्यकाल भी अप्रैल, 2018 में पूरा हो रहा है.
बिहार विधानसभा कोटे से राज्यसभा के लिए सभी सदस्यों का चुनाव किया जाना है. 243 सीटों वाली बिहार विधानसभा में भाजपा के एक विधायक आनंद भूषण पांडेय और राजद के मुंद्रिका सिंह यादव के निधन के कारण दो सीटें रिक्त हो गयी हैं. जानकारों की मानें तो राज्यसभा की एक सीट के लिए किसी भी दल को कम-से-कम 35 विधायकों के मतों की आवश्यकता होगी. वर्तमान में बिहार विधानसभा में राजद के 79 विधायक, जदयू के 71 विधायक और भाजपा के 52 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 27 विधायक, भाकपा माले के तीन विधायक, लोजपा के दो विधायक, रालोसपा के दो विधायक, हम के एक और निर्दलीय चार विधायक हैं. सत्तारूढ़ दल जदयू, भाजपा, लोजपा, रालोसपा और हम के विधायकों की कुल संख्या 128 है. दूसरी ओर राजद-कांग्रेस गठबंधन के पास कुल विधायकों की संख्या 106 हो जाती है.
इसके अनुसार जदयू-भाजपा को चार और राजद-कांग्रेस गठबंधन के उम्मीदवारों को दो सीटों पर चुना जाना तय है. एक सीट को लेकर पेच फंस सकता है. अब यह चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि वह राज्यसभा की रिक्त हुई शरद यादव की सीट पर मतदान कब कराता है. अली अनवर का कार्यकाल अब सिर्फ पांच माह बचे थे. इस पर सीट पर चुनाव मार्च, 2018 में ही चुनाव की उम्मीद है.
साभार : प्रभात खबर