इमोशनल करती है रानी मुखर्जी की “हिचकी”

दीप्ति अंगरीश

नई दिल्ली। रानी मुखर्जी की फिल्म ‘हिचकी’ इस शुक्रवार देशभर में रिलीज हो चुकी है। फिल्म को दर्शकों एवं समीक्षकों से पॉजिटिव रिएक्शन मिले हैं। फिल्म की इमोशनल कर देने वाली कहानी और दमदार अभिनय ने सभी का दिल जीत लिया। जिसका असर बॉक्स ऑफिस पर भी देखने को मिला है। बता दें, रानी मुखर्जी की इस फिल्म ने 4 करोड़ से साथ ओपनिंग दी है। इसे शानदार मान सकते हैं क्योंकि फिल्म को सिर्फ 961 स्क्रीन पर ही रिलीज किया गया है। रिपोर्ट्स की मानें तो वीकेंड पर यह आंकड़ा काफी बढ़ सकता है.. यदि फिल्म को पॉजिटिव वर्ड ऑफ माउथ का फायदा मिले।खास बात यह भी है कि फिल्म सिर्फ 20 करोड़ के बजट पर तैयार हुई है। लिहाजा, फिल्म को हिट होने के लिए लगभग 40 करोड़ की कमाई करनी होगी। जो कि रानी मुखर्जी की फिल्म के लिए बड़ी बात नहीं होनी चाहिए।
इस फिल्म में रानी का किरदार अमेरिकन मोटिवेशनल स्पीकर और टीचर ब्रैड कोहेन से प्रेरित है, जो कि टॉरेट सिंड्रोम के चलते तमाम परेशानियां झेलकर भी कामयाब टीचर बने। उन्होंने अपनी लाइफ पर एक किताब लिखी, जिस पर 2008 में फ्रंट ऑफ द क्लास नाम से अमेरिकन फिल्म भी आई। ‘हिचकी’ इसी फिल्म पर आधारित है। रानी की पिछली फिल्म ‘मर्दानी’ आदित्य चोपड़ा से शादी के बाद 2014 में आई थी। इस फिल्म में भी रानी की ऐक्टिंग को काफी पसंद किया गया था। अपनी बेटी अदिरा के जन्म के चलते 4 साल के लंबे गैप के बाद रानी ने सिल्वर स्क्रीन पर वापसी के लिए एक मजबूत कहानी पर बनी ‘हिचकी’ जैसी फिल्म चुनी है।
रानी ने अपने किरदार के साथ पूरी तरह न्याय भी किया। उन्होंने टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित नैना माथुर के रोल को पूरी तरह जिया है। साथी कलाकारों के आवश्यक सहयोग के बावजूद फिल्म को रानी पूरी तरह अपने कंधों लेकर चलती हैं और यह पूरी तरह उनकी फिल्म है। ब्लैक जैसी दमदार फिल्म कर चुकी रानी ने दिखा दिया कि वह इमोशनल रोल को पूरे दमखम के साथ कर सकती हैं। वहीं फिल्म के डायरेक्टर सिद्धार्थ पी. मल्होत्रा ने इस इमोशनल स्टोरी को खूबसूरती से पर्दे पर उतारा है। खासकर वह आपको शुरुआत से लेकर आखिर तक बांधे रखते हैं। इसके अलावा फिल्म का क्लाइमैक्स भी दमदार है।फिल्म के गाने कहानी से मैच करते हैं। अगर आप रानी के फैन हैं और कुछ लीक से हटकर देखना चाहते हैं, तो इस वीकेंड आपको यह फिल्म मिस नहीं करनी चाहिए। …और हां, जिंदगी के असली सबक सिखाने के लिए अपने बच्चों को जरूर अपने साथ सिनेमा ले जाएं।
ऐसा नहीं है कि एजुकेशन पर फ़िल्में पहले नहीं बनीं हैं! ‘चॉक एंड डस्टर’, ‘तारे ज़मीन पर’ या ‘थ्री इडियट’ जैसी फ़िल्मों के जरिये शिक्षा और शिक्षा प्रणाली को बड़े पर्दे पर दिखाया गया है। बहरहाल, आज के दौर में हमारी शिक्षा प्रणाली और शिक्षा पद्धति पर सवाल भी खूब उठते हैं और उस पर पुनर्विचार करने की ज़रूरत भी है। एक बुनियादी बात जो एजुकेशन सिस्टम को लेकर हमेशा ही कही जाती है वो यह कि कोई विद्यार्थी खराब नहीं होता, खराब या अच्छे शिक्षक होते हैं!

 

 

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