बीमारी की शुरुआती पहचान: समय-समय पर जांच कराना आवश्यक

नई दिल्ली। स्वास्थ्य संबंधी जागरुकता बढ़ाने के लिए गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ने उम्मेद क्लब के सहयोग से जोधपुर में स्वास्थ्य शिविर का आयोजित किया। स्वास्थ्य शिविर में लगभग 700 लोगों ने भाग लिया और मुफ्त स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ उठाया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य लोगों को विभिन्न बीमारियों, शुरुआती निदान, इलाज और रोकथाम के तरीकों के बारे में जागरुक व शिक्षित करना था। इस स्वास्थ्य शिविर में विभिन्न मेडिकल विशेषज्ञों ने लोगों को ऑर्थोपेडिक्स, रक्त कैंसर, बोन डेन्सिटोमीटरी, कार्डियोलॉजी और न्यूरोलॉजी संबंधी परामर्श दिया गया।

गुरुग्राम स्थित फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के निदेशक डॉ. सुभाष जांगिड़ ने बताया कि, हड्डी से जुड़े समस्याओं से ग्रस्त लोगों को इलाज गंभीरता से लेना चाहिए और अर्थराइटिस के मरीजों को रोबोटिक एसिस्टेंट वाली नी रिप्लेसमेंट सर्जरी के बाद के बेहतरीन परिणामों के बारे में बताया गया।” फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट के हिमेटोलॉजी और बोन मैरो ट्रांसप्लान्ट के निदेशक व एचओडी, डॉ. राहुल भार्गव ने बताया कि, “ चूंकि अधिकांश लोग इस समस्या से परिचित नहीं होने के कारण वे इसके शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज कर देते हैं, इसलिए लोगों को इस समस्या के बारे में जागरुक करना बहुत जरूरी है। मरीजों को किसी भी प्रकार के ब्लड डिसॉडर जैसे थैलेसीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया और ब्लड कैंसर के सामान्य लक्षणों की पूरी जानकारी होनी चाहिए। इन लक्षणों में कमजोरी, थकान, तेज बुखार, ब्लीडिंग और संक्रमण का हाई रिस्क आदि शामिल हैं। ”

भारत में, हर साल 3000 से अधिक बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रियाएं की जा रही हैं, इसके बाद भी कई मरीज लाइन में इंतजार करते रहते हैं। आवश्यकता और वास्तविक बीएमटी प्रक्रियाओं के बीच के अंतर का कारण जागरूकता, बुनियादी सुविधाओं, सुविधाओं और अच्छे डॉक्टरों की कमी है। बोन मैरो ट्रांसप्लांट प्रक्रिया ब्लड कैंसर, थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया, इम्यून में गड़बड़ी, अप्लास्टिक एनीमिया, कुछ ऑटो इम्यून डिसॉडर जैसी समस्याओं का इलाज करने में अत्यधिक प्रभावी है। अब यह तकनीक ब्रेन ट्यूमर, न्यूरो बैस्टोमा और सरकोमा के लिए भी इस्तेमाल की जाने लगी है।
डॉ. रितु गर्ग ने बताया कि, “एक स्वास्थ्य सेवा प्रदाता होने के नाते हमारा मुख्य उद्देश्य लोगों को स्वस्थ जीवनशैली को जीने के तरीकों के बारे में शिक्षित करना है। यदि लोगों को बीमारी के लक्षणों के बारे में जानकारी होगी और वे शुरुआती जांच के महत्व को समझने लगेंगे, तो कैंसर की आधी लड़ाई  इसी से जीती जा सकती है।

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