शराब से कमाएंगे , विकास में लगाएंगे. यह कैसा विकास होगा शराब बेच कर?
कमलेश भारतीय
अभी तो लोकगायिका और डांसर सपना चौधरी पर सात करोड़ की मानहानि का केस चल रहा है , इस गीत पर लटके झटके दिखाने पर :
हट जा, ओए हट जा ताऊ पाछै ने , नच लैन दे मन्ने जी भर के रे
अब हरियाणा सरकार जिस तरह से शराब की बिक्री का छह हजार करोड़ रूपये का टार्गेट रख करोड़ नीति बना रही है , उसे देखते हुए कहना पड रहा है :
हट जा ताऊ पाछै ने ,मन्ने अंग्रेजी का , पटियाला पैग लगावन दे ,,,,
कमाल है न ? अंग्रेजी की खपत बढ गयी और देसी की कम हो गयी । इसलिए अंग्रेजी के भाव कम और देसी के ज्यादा होने जा रहे हैं । यह सब कुछ शराब से कमा कर विकास पर खर्च किया जाएगा । कितनी शर्म की बात हैं । विकास लाने के लिए छह हजार करोड़ रूपये की शराब हरियाणा वासियों को पिलाने का टार्गेट रखा गया हैं । महात्मा गांधी कहते थे कि मंजिल तक पहुंचने के लिए उपाय भी पवित्र होना चाहिए । यह विकास पवित्र कहां हैं ?
यह जो हल्का हल्का सुरूर है
सब तेरी नजर का कसूर है ,,,,
शराब पिलाने का कसूर करके विकास का सपना दिखाना कितना सही है ? कहां तो मुख्यधारा में लाने के लिए खेल स्टेडियम की बात की जाती है और कहां शराब का बडा टार्गेट ? कहां संतुलन है ? कैसा संतुलन है ?
बिहार ने शराबबंदी की । चूहे हजारों लीटर शराब पी गये । हरियाणा में चौ बंसी लाल ने शराबबंदी क्या की , अपनी सरकार ही दांव पर लगा दी । शराबबंदी भी कोई हल नहीं । पर शराब को माॅल में डिस्प्ले करना भी कोई हल नहीं । हाइवे से शराब के ठेके हटाने पर भी शराब की बिक्री बढी । शराबी तो आकाश पाताल और यहां तक कि नर्क में भी शराब खरीदने जाएगा । जाता भी है । फिर पीने के बाद तो वैसे ही नर्क का द्वार खुल जाता है । घर बाहर लडाई झगडा होता है । देसी की देसी फैक्ट्रियों से जहर बिकता है बिना डिग्री वाला और कुछ लोग अनजानी डिग्री से जान गंवा बैठते हैं । कृपया शराब से पैसे कमाने से बेहतर विकास कम कर लें ताकि मनुष्यता बची रहे ।
आप सोचते होंगे मुझे इतना शराब के बारे में ज्ञान कहां से मिला ? मेरा पंजाब का अपना गांव देसी शराब का बहुत बडा अड्डा था और छुट्टी के दिन रविवार को लोग शहर से मेरे गांव की ओर ऐसे जाते थे जैसे कोई बडा भारी मेला हो । फिर कुछ लौट पाते थे और ज्यादा राह में ही लोट पोट हो जाते मस्ती में ।
खैर । आप भी आवाज उठायें ।
ऐसा विकास नहीं चाहिए ।