दिल्ली के 69 प्रतिशत लोगों को हृदय रोग का खतरा


नई दिल्ली। इस विश्व ह्रदय दिवस पर सफोला लाइफ ने अपने प्रमुख अध्ययन को प्रकाशित कर भारत में ह्रदय के स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता लाने लेन का प्रयास किया। इस अध्ययन से जो ख़ास बात सामनेआयी वह ये है की पेट के मोटापे का ह्रदय के स्वास्थ्य पर विपरीत परिणाम होता है। सफोला लाइफ 2018 के अध्ययन के अनुसार 69% दिल्ली के रहवासी को पेट के मोटापे के शिकार है, को ह्रदय रोग का खतरा है। यह अध्ययन उन बिन्दुओ को भी उजागर करता है को पेट के मोटापे और उसके परिणामस्वरूप होने वाले ह्रदय के खतरे के समान कारक है।

जीवनशैली की बढ़ती चुनौतियों के साथ, भारतीय कम उम्र में ही ह्रदय रोग के खतरे के घेरे में आ रहे है। ऑफिस के लम्बे कार्यकाल, काम का तनाव, अनियमित भोजन, नींद की कमी और गतिहीन दिनचर्या इसके कुछ प्रमुख कारण है। और इससे जीवनशैली से जुड़े रोगों जैसे ह्रदय रोग, मोटापा और डायबिटीज़ में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। जब बीएमआई (BMI) सामान्यकृत मोटापे को जांचने का शोध द्वारा सिद्ध उपाय है, फैट का विभाजन या केंद्रीकृत मोटापा, जिसे पेट की चर्बी कहते है, ह्रदय के खतरे का प्रमुख करक बन जाता है। जब भी बात पेट के मोटापे की आती है तो जानकारी के आभाव के चलते लोग उसे केवल सुंदरता से जोड़ते है बल्कि यह पेट का मोटापा ह्रदय के लिए अत्यंत हानिकारक है। इसलिए इस मुद्दे पर और अधिक जागरूकता लाने के लिए सफोला लाइफ अध्ययन 2018 को “पेट के मोटापे से ह्रदय स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभाव” पर व्याख्यित किया गया है। एक मुख्य बिंदु जो इस सर्वे से सामने आता है वह यह है अगर आप दुबले है परन्तु आपकी तोंद निकली हुई है तो आपका ह्रदय खतरे में है।

सफोला लाइफ और निल्सॉन पेट के मोटापे के शिकार लोगो पर एक देशव्यापी सर्वे यह जानने के लिए किया की उनका ह्रदय किस हद तक खतरे में है। यह सर्वेक्षण को देश के मुख्य शहरों जैसे दिल्ली, मुंबई, लखनऊ, और हैदराबाद के 837 लोगो पर किया गया। इस सर्वे से कुछ चौकाने वाले तथ्य सामने आये जो की उम्र, लिंग, जीवनशैली से जुड़े थे और पेट के मोटापे के चलते ह्रदय के लिए खतरे पैदा कर रहे थे।
खाने की वह आदतें जो पेट का मोटापा बढाती है वह सामान्यतः भारतीयों में सामान है जैसे जंक फ़ूड खाना (74%) और कम से कम सप्ताह में एक बार बाहर का खाना खाना (83%). इसके अलावा दिल्ली में पेट के मोटापे के शिकार 66% पुरुषों की तुलना में 71% महिलाएं रोज़ अपना नाश्ता छोड़ती है या नहीं करती। सिर्फ काम का बोझ (71%) ही लोगो के ह्रदय स्वास्थ्य को प्रभावित नहीं कर रहे अपितु घरेलु तनाव (74%) भी बढ़ते ह्रदय रोगो का कारण है।

अध्ययन के परिणामों पर टिप्पणी देते हुए नई दिल्ली स्थित मूलचंद मेडिसिटी के सीनियर कंसलटेंट कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. एच. के. चोपड़ा ने कहा ” यह अच्छी तरह से प्रमाणित हो चुका है कि सेंट्रल एडिपॉसिटी या जिसे पेट की चर्बी कहते है, के होने से वयस्कों में ह्रदय रोग, मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन, हाइपरटेंशन, डिसलिपिडेमिआ इत्यादि जैसे रोगो का खतरा बढ़ जाता है। पेट की चर्बी (विसेरल फैट) मेटाबोलिकली एक्टिव फैट है और यह ह्रदय रोगो का अग्रदूत है। यह अध्ययन से स्पष्ट बतलाता है की 69% दिल्ली वाली चाहे वो पुरुष हो या महिला, पेट के मोटापे के चलते ह्रदय रोग के खतरे के घेरे में है। इसलिए अब इस बात को लेकर जागरूक होने की आवश्यकता है की अगर आपके पेट के आसपास चर्बी जमा है तो आपको ह्रदय रोग का खतरा है। एक और ख़ास एवं ध्यान देने लायक विशेष तथ्य सामने आया है की अगर आपका सामान्य बीएमआई सामान्य है परन्तु आपकी तोंद निकली हुई है तो भी आपके ह्रदय को खतरा है। इसलिए अपने ह्रदय का ख़ास ख्याल रखने के लिए आपको सक्रिय कदम उठाने होंगे। ”

स्वस्थ हृदय के लिए जीवनशैली पर बताते हुए नूट्रिशनिस्ट सुश्री नीलांजना सिंह ने कहा “सफोला लाइफ अध्ययन ने पेट की चर्बी और ह्रदय रोग के आपसी सम्बन्ध को और भी पुख्ता कर दिया है, इसीलिए स्वस्थ्य जीवनशैली के लिए पेट के मोटापे को नियंत्रित रखना अत्यंत आवश्यक है। प्रत्येक को अपनी जीवनशैली में सुधर करना होगा जिससे की पेट के मोटापे को और उससे जुड़े हृदयरोग की आशंकाओं को कम किया जा सके। कुछ आसान और स्वस्थ तरीको से पेट की चर्बी को नियंत्रित किया जा सकता है जैसे सही खाना , जंक फ़ूड नहीं खाना, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद लेना और तनाव को कम करना।

Leave a Reply

Your email address will not be published.