साहित्य के बिना अधूरी है फिल्में

नोएडा। नृत्य की भी अपनी कला होती है जिसमे आप अपने आपको बेहतर तरीके से एक्सप्रेस कर सकते है आज नृत्य के जरिए समाज की कुरीतियों को भी बखूबी दिखाया जा सकता है और अच्छाइयों को भी, पहले के नृत्य हमारी जातक कथाओ या कृष्ण लीलाओं पर ही ज्यादा फोकस किया जाता था लेकिन आप शिक्षा, बेरोज़गारी या महिलाओ के साथ होने वाले दुराचार को नृत्य के जरिए पेश किया जा रहा है यह कहता था प्रसिद्ध नृत्यांगना शोवना नारायण का जिन्होंने पांचवे ग्लोबल लिटरेरी फेस्टिवल के दूसरे दिन शिरकत की।

इस अवसर पर मंगोलिया के राजदूत  एच.ई. गोंचिग गम्बोल्ड, योग आचार्या अनीता दुआ, एंकर यासिर उस्मान उपस्थित हुए। इस अवसर पर संदीप मारवाह ने छात्रों को सम्बोधित करते हुए कहा की बिना साहित्य के हम फिल्मों की कल्पना भी नहीं कर सकते क्योंकि किसी भी फिल्म को बनाने से पहले उसकी स्टोरी, उसका स्क्रीनप्ले, स्क्रिप्ट साहित्य में ही आता है क्योकि इनके चुने हुए शब्दों को जोड़कर ही एक अच्छी फिल्म का निर्माण होता है।

गोंचिग गम्बोल्ड ने कहा कि भारतीय साहित्य से मैं स्वयं को बहुत जुड़ा हुआ महसूस करता हूँ क्योंकि मेरे माता पिता के नाम का अर्थ मंगोलियन भाषा में नहीं मिला तो मैंने इंडिया आकर उनके नाम का अर्थ खोजा तो मुझे पता चला की मेरे माता पिता का नाम संस्कृत भाषा के किसी शब्द का अर्थ है और मुझे यह जानकर काफी ख़ुशी हुई इसीलिए में अपने आपको भारत से जुड़ा महसूस करता हूँ।यासिर उस्मान ने कहा कि किसी भी साहित्य को भाषा में बांधा नहीं जा सकता और जो अपनी बात को कम से कम शब्दों में कहकर लोगो को आकर्षित कर सकता है वो अच्छा लेखक बन सकता है।

इस अवसर पर योग आचार्या अनीता दुआ और शोवना नारायण की पुस्तक “इलुमिनेटिंग इंडियन क्लासिकल डांसर थ्रू योगा” का भी विमोचन किया गया।

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