सी-प्लेन यात्रा मोदी के लिए रोड-शो से ज्यादा फायदेमंद ?

गुजरात। सोमवार रात अहमदाबाद में आयोजित एक चुनावी सभा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रोड-शो निरस्त करने की बात करते हुए यह जताने की कोशिश की थी कि गुजरात में कानून व्यवस्था सभी के लिए बराबर है. लेकिन इसकी आड़ में उन्होंने यह घोषणा भी कर दी कि वे मंगलवार को सी-प्लेन में बैठकर अहमदाबाद से प्रदेश के एक प्रमुख हिंदू धार्मिक स्थल अंबाजी दर्शन करने जाएंगे. राजनैतिक विशेषज्ञों का मानना है कि सी-प्लेन प्रोजेक्ट के जरिए प्रधानमंत्री ने गुजरात विधानसभा चुनावों को विकास का वही टच देने की कोशिश की है जिसके तहत कुछ दिन पहले प्रदेश में बुलेट ट्रेन और रो-रो फेरी सुविधा शुरु की गई थी. जैसा कि इसके नाम से स्पष्ट होता है, यह जहाज जमीन के साथ पानी में भी उतरने के साथ उड़ान भरने में सक्षम है. प्रधानमंत्री का दावा है कि भारत में यह अपनी तरह का पहला जहाज है जिसकी मदद से देश के छोटे शहरों को आपस में जोड़ने में मदद मिलेगी. हालांकि विपक्ष ने इसे चुनावी स्टंट बताते हुए इस यात्रा के सुरक्षित और किफायती होने पर सवालिया निशान लगाए हैं.
जानकारी के मुताबिक क्वेस्ट कॉडिएक-100 नाम का यह जहाज खेत और सड़क के साथ दो फीट पानी में भी लैंड कर सकता है. इसकी टॉप स्पीड 339 किलोमीटर प्रतिघंटा है और इसे टेक ऑफ होने के लिए महज 300 मीटर के रन-वे की जरूरत पड़ती है. यह सी-प्लेन एक साथ नौ से 15 लोगों को ले जाने में सक्षम है. खबरों की मानें तो इस एक जहाज की कीमत 25 करोड़ रुपए है और भारत सरकार जापान से इस तरह के 100 जहाज खरीदने का मन बना रही है. सूत्रों का कहना है कि इस प्रोजेक्ट के पहले चरण में 32 और दूसरे चरण में देशभर के 80 शहरों को आपस में जोड़ा जाएगा. इस मौके पर केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना था, ‘भारत के लिए यह एक ऐतिहासिक दिन है. आवागमन के क्षेत्र में यह सुविधा क्रांति लाने वाली साबित होगी. हमारे यहां इसकी प्रचुर संभावनाएं हैं.’
सूत्रों की मानें तो प्रधानमंत्री के सी-प्लेन से अंबाजी जाने का कार्यक्रम पहले से तय था. लेकिन वे प्रदेशवासियों के सामने इसे किसी सरप्राइज की तरह पेश करना चाहते थे. गुजरात के बदलते राजनैतिक माहौल को देखते हुए सी-प्लेन प्रोजेक्ट लोगों के सामने इस तरह लाया गया कि यह रोड-शो रद्द होने की वजह से अपनाया गया एक आकस्मिक विकल्प लगे. इस बारे में गुजरात चुनावों पर नजर रख रहे एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि पिछले कुछ दिनों से प्रधानमंत्री मोदी अपनी रैलियों में अपेक्षित भीड़ नहीं खींच पा रहे हैं. बीते कुछ दिनों में गुजरात में आयोजित प्रधानमंत्री की सभाओं में हिस्सा लेने वाले लोगों का कहना है कि आयोजन स्थलों पर पीछे की तरफ लगी आधी से ज्यादा कुर्सियां खाली दिखती हैं. ऐसे में एक ही दिन अहमदाबाद में हार्दिक पटेल और राहुल गांधी की भी सभाएं होने से प्रधानमंत्री मोदी के रोड-शो में भीड़ के और कम रहने की संभावना थी जो चुनाव से पहले मतदाताओं के बीच एक गलत संदेश दे सकती थी.
भाजपा से जुड़े कुछ लोगों की मानें तो पार्टी के पास सूचना थी कि आखिरी रैलियां होने की वजह से हार्दिक पटेल और राहुल गांधी इनमें अपना पूरा दमखम झोंकने वाले हैं. इसके चलते भाजपा को नुकसान और कांग्रेस को खासा फायदा हो सकता था. इसलिए प्रधानमंत्री ने खुद तो एक दिन पहले अहमदाबाद में अपनी सभा का आयोजन कर लिया लेकिन ऐन मौके पर प्रशासन के अनुमति न देने की स्थिति में राहुल गांधी और हार्दिक पटेल को इसका मौका नहीं मिला. इसके अलावा जानकार यह भी मानते हैं कि प्रचार की आखिरी रैली के जरिए प्रधानमंत्री शायद अहमदाबाद और इसके आस-पास के कुछ हजार लोगों को ही प्रभावित कर पाते. लेकिन सी-प्लेन प्रोजेक्ट को अंबाजी से जोड़कर उन्होंने पूरे गुजरात के हिंदुओं को लुभाने की कोशिश की है. अब रहा सवाल प्रधानमंत्री मोदी के रोड शो का तो इसकी कसर उन्होंने धरोई डैम (जहां सी-प्लेन लैंड हुआ) से अंबाजी के बीच की लगभग 50 किलोमीटर की यात्रा में पूरी कर ली.

 

 

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