सिमडेगा: भूख, ब्यूरोक्रेसी और सियासतदां

झारखण्ड। सिमडेगा में भात-भात-भात कहते कहते मौत के मुंह में समा जानेवाली 11 साल की बच्ची की मौत पर राज्य में ब्यूरोक्रेसी और राजनाति भी आमने-सामने दिखाई पड़ रही है। राज्य की मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने जहां एक फरमान के तहत राज्य के खाद्य आपूर्ति अधिकारियों को आदेश दिया था कि जिन लोगों का आधार कार्ड पीडीएस से लिंक नहीं होगा, उन्हें भी राशन नहीं दिया जाएगा। राज्य के खाद्य आपूर्ति मंत्री सरयू राय ने 21 अक्टूबर को कहा है कि अगर मशीन अंगूठे के निशान को पकड़ नहीं पा रहे हैं, तो भी लाभुकों को राशन लेने से नहीं रोका जा सकता है । किसी भी पहचान पत्र को आधार मान कर गरीबों को राशन दिया जायेगा। राजबाला वर्मा ने मार्च महीने में अधिकारियों को पीडीएस को आधार से लिंग करना अनिवार्य करने का आदेश वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिए किया था।
सिमडेगा में बच्ची की मौत को लेकर एक तरफ जहां राजनीति हो रही है, वहीं एक वीडियो ने पूरे मामले को नया मोड़ दे दिया है। पूरे मामले में एक एएनएम जो बलि का बकरा बन गई है, उसने कहा है कि बच्ची की मौत मलेरिया से नहीं हुई है। एक वीडियो इन इस क्षेत्र के लोगों के पास है, लेकिन सरकारी अधिकारियों और स्थानीय लोगों के डर से लोग इसपर कम बातचीत कर रहे है। एएनएम ने साफ कहा है कि बच्ची की मौत मलेरिया से नहीं हुई है।  हालांकि राज्य में पक्ष और विपक्ष के नेताओं की तरफ से बच्ची की मौत को लेकर बयानबाजी जारी है। विपक्षी दलों में कांग्रेस, जेएमएम, जेवीएम, आरजेडी के साथ साथ सभी अन्य दल बच्ची की मौत के कारणों और सरकारी मुलाजिमों के रिपोर्ट पर सवाल खड़े कर रहे हैं, वहीं सत्ताधारी दल के नेताओं की तरफ से सरकार का बचाव जारी है।

इधर सिमडेगा में बच्ची की मौत और सरकारी रिपोर्ट और राजनीतिक बयानों बयानों पर पूरा गांव अचंभित है। गांव के लोग बच्ची के परिजनों को ही दोषी मान रहे हैं, बच्ची के परिजनों को डर समा गया है कि अब उनके साथ कोई अनहोनी ना हो जाए। भाजपा जिलाध्यक्ष संजय ठाकुर के नेतृत्व में भाजपा की एक टीम रविवार को जलडेगा कारीमाटी गांव पहुंची। यहां भाजपा नेताओं ने भूख के कारण संतोषी कुमारी नामक बच्ची की मौत की खबर की सच्चाई जानने का प्रयास किया।जिलाध्यक्ष ने बताया कि ग्रामीणों के अनुसार पूरे मामले में राजनीतिक ड्रामा हो रहा है। संतोषी की मौत भूख से नहीं बल्कि बीमारी से हुई है। संजय ठाकुर ने कहा कि भाजपा को संतोषी की मौत का दुख है लेकिन मौत पर जो राजनीति हो रही है उससे पार्टी आहत है। उन्होंने कहा कि भाजपा की बढ़ती लोकप्रियता के कारण अन्य विपक्षी दल संतोषी की मौत पर गंदी राजनीति कर रही है।
भाजपाके प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने विपक्षी नेताओं से कहा है कि वे लाश पर राजनीति करना बंद करे। सिमडेगा में बच्ची की मौत से भाजपा परिवार और सरकार मर्माहत है, वह मृतक के परिजनों के साथ खड़ी है। विपक्ष राजनीतिक लाभ के लिए लोगों को गुमराह कर रहा है। उसकी मौत मलेरिया से ही हुई है। आरएमपी डॉक्टर ने किट से जो जांच की थी, उसका पीएफ पॉजिटिव आया था। इसके बाद भी विपक्ष द्वारा भूख से मौत की बात को हवा देना सिर्फ और सिर्फ राजनीति से प्रेरित है। सरकार ऐसे मामलों में हमेशा संवेदनशील रहती है। मामला सामने आने पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर पीड़ित परिवार को आर्थिक सहायता पहुंचाई गई।
विपक्ष इसे मुद्दा बनाकर सरकार को घेरने पर तुला है तो सरकार के अंदर भी विरोधाभासी बयान आ रहे हैं। ये बातें निश्चित रूप से राज्य के लिए दुर्भाग्यपूर्ण हैं। एक-दूसरे को कटघरे में खड़ा करने की बजाय इसके समाधान के उपायों पर बल देना आवश्यक है। सिर्फ आरोप-प्रत्यारोप से मामला सुलझने वाला नहीं है। इससे राज्य की छवि बिगड़ती है और भ्रम पैदा करने में जुटे तत्व फायदा उठा ले जाते हैं। कल्याणकारी योजनाओं को आधार से लिंक करने का निर्देश है। हकीकत यही है कि ऐसा नहीं हो पाने के कारण पीडि़त परिवार को राशन नहीं मिल पा रहा था। मुख्य सचिव ने जन वितरण प्रणाली को आधार से जोडऩे का निर्देश दिया है तो इसके पीछे शासन का उद्देश्य इस प्रणाली में व्याप्त फर्जीवाड़ा को रोकना ही है। अगर बच्ची की मौत भूख से हुई है तो यह निश्चित रूप से चिंता की बात है। ऐसे में उन पदाधिकारियों को चिह्नित करना होगा जो कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर उतारने में कोताही बरतते हैं। जनप्रतिनिधियों को भी सतर्कता दिखानी होगी। यह शिकायत आम है कि फर्जीवाड़ा रोकने के लिए रद किए गए राशन कार्ड की जद में वैसे लोग भी आ गए हैं जो इस सुविधा के दायरे में आते हैं। राज्य सरकार ने कई लोक कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ा है। रांची के नगड़ी प्रखंड से जन वितरण प्रणाली में प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) शुरू करते हुए राशन की राशि को लाभुकों के बैंक खाते में हस्तांतरण शुरू किया गया है। ऐसे में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि आधार नहीं होने से वैसे परिवार इससे वंचित न हो जाएं जो सही में इसके हकदार हैं। हालांकि जिला प्रशासन अबतक भूख से बच्ची की मौत से इन्कार करता रहा है। उपायुक्त द्वारा राज्य सरकार को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार बच्ची की मौत मलेरिया से हुई है।

 

 

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