स्पाइनल समस्या में संभलकर करें वर्कआउट

 

 

छोटे-छोटे जिम में अक्सर अनट्रेंड जिम ट्रेनर होते हंै। इनकी देखरेख में लोग गलत तरीके से व क्षमता से अधिक वजन उठाते हैं। जिसके कारण रीढ़ के चोटिल होने का खतरा बढ़ जाता है। गलत तरीके से व्यायाम करने से आज 16 से 30 साल के युवा भी स्पाइनल से जुड़ी समस्याओं के शिकार हो रहे हैं। इससे रीढ़ के उत्तक टूटते हैं और आसपास के मांसपेशियों कमजोर हो जाती है। यह समस्या 16 से 18 वर्ष के युवकों को अधिक होती है, क्योंकि उनके रीढ़ का विकास इसी अवस्था में होता है।

विभिन्न अस्पतालों में आने वाले मरीजों के क्लिनिकल रिसर्च के आधार पर पाया गया कि पीछले दस साल में 16 से 30 साल के आयु वर्ग के लोग स्पाइन से जुड़ी समस्यओं के शिकार हो रहे हैं। इतना ही नहीं गलत वर्कआउट के फलस्वरूप होने वाली समस्याओं मंें गर्दन से जुड़ी समस्या भी आम देखी गयी है और इस दर्द का कारण विकृत होते डिस्क संबंधी रोग , गर्दन का चोटिल हो जाना व हरनिएटेड डिस्क भी रहा है। फाइब्रोमायलेजिया और पोलिमायलजिया रियुमैटिका जैसी गले की मांसपेशियों को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाली शारीरिक स्थितियों के कारण भी गले में दर्द होता है। इस तरह के दर्द के साथ एक बड़ी समस्या यह है कि इसके परिणामस्वरूप स्पाइनल से संबंधित अन्य समस्यायें भी उत्पन्न हो सकती है। गले और पीठ के उपरी हिस्से की मांसपेशियों में खिंचाव और सर्वाइकल वर्टिब्रा से निकलने वाली तंत्रिकाओं की ऐंठन की वजह से यह दर्द हो सकता है। हमारे सिर को गले के निचले हिस्से और पीठ के उपरी हिस्से का समर्थन मिलता है। अगर यह समर्थन व्यवस्था नकारात्मक रूप से प्रभावित होगी तो शरीर का यह पूरा हिस्सा दर्द की चपेट में आ सकता है। स्पांडिलाइटिस के परिणामस्वरूप भी मरीज को गले भीषण दर्द का सामना करना पड़ता है और लंबे समय तक स्पाइनल कार्ड पर दबाब पड़ने से भयंकर समस्या उत्पन्न हो सकती है।

गौरतलब है कि स्पांडिलाइटिस में दवाएं असर करती हैं, लेकिन उनका साइड इफेक्ट भी झेलना पड़ता है। ऐसे में कारगर है जिम में वर्कआउट और योगा। यदि स्पांडिलाइटिस की एबीसी से फिटनेस एक्सपर्ट और योगा एक्सपर्ट भली भांति परिचित हो।

 

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