नई दिल्ली। महिला हिंसा पर लोगों को सोच बदलनी चाहिए। महिलाओं को भी अपनी पुरानी सोच को बदलकर आगे बढना हेागा। दिल्ली विश्वविद्यालय के जानकी देवी काॅलेज की एसोसिएट प्रोफेसर डाॅ सविता झा खान ने कहा कि महिला हिंसा पर काउंटर नैरेटिव कहने, लिखने की प्रक्रिया शुरू होनी चाहिए, वरना वही पल्प बने रहने का खतरा है। मुख्य धारा के ‘आंचल में दुध और आंखों में पानी‘ की हिंसा का अति हो गया है। उन्होंने कहा कि हमारे सामने सीता माॅडल के रूप में हैं। उनकी जीवन से प्रेरणा लें, छोडना सीखें, कई समस्याओं का हल हो जाएगा।
डाॅ सविता खान एक सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता बोल रही थीं। सुगति सोपान की अध्यक्ष कुमकुम झा के संयोजन में ‘महिला हिंसा कारण और निवारण’ पर सुगति सोपान, एमेलिओर फाउंडेशन और लेखिका सोपान ने राष्ट्ीय सेमिनार का आयोजन किया था। इस आयोजन में लेखिका संघ की अध्यक्ष मधु पंत, जानकी देव काॅलेज की पूर्व प्रिंसिपल हेम भटनागर, विमलेश कांति वर्मा, रमा सिंह आदि वक्ताओं ने अपने अपने विचार रखें।