आओ, एक सेल्फी हो जाए

कमलेश भारतीय

हरियाणा के बीबीपुर के सरपंच ने सेल्फी विद डॉटर प्रतियोगिता शुरू की थी । यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बहुत पसंद आई और भाजपा के मीडिया प्रकोष्ठ ने इस आइडिया को व्यापक बनाया। इसे संपर्क समर्थन अभियान का नया रूप देकर । फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पहुंचे मुम्बई। शुरुआत की प्रसिद्ध अभिनेत्री माधुरी दीक्षित के साथ। सलमान खान के घर भी गये। फिर तो दे दनादन सेल्फी और फोटो अभियान चल निकला। पंजाब गये तो उड़न सिख मिल्खा सिंह के साथ। लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिखाई दिए संजय दत्त के साथ । अब तो मुझे भी आस बंध गयी कि कोई न कोई नेता मेरे घर भी टोहता हुआ पहुंचेगा और सेल्फी लेकर अभियान को सफल बनाएगा। न रैली, न भीड़-भाड़ का रेला, न धक्का न कुछ हल्ला। बस। बडेÞ प्रेम से मुलाकात। हो गया समर्थन। हो गया प्रचार। कितना बढ़िया तरीका। है न ? बोलो। बोलो।
राजनीतिक दल प्रचार के नए से नए तरीके अपनाते हैं। कभी साइनबोर्ड तो कभी पैम्फलेट तो कभी सीडी, कभी वीडियो और अब सेल्फी। सबसे आसान तरीका। सीडी और वीडियो तो आमतौर पर विरोधियों के जारी किए जाते हैं और चुनाव का मौसम इनके लिए बहुत अनुकूल होता हैंं। चुनाव में ये अच्छा प्रभाव डालते हैं। इसलिए वीडियो और सीडी बाद में। अभी तो सेल्फी से काम चलाएंगे। देखिए न पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने हाथ आरएसएस की तरह तो किए भी नहीं पर फोटोशॉप का कमाल कि वे बाकी लोगों की तरह खडेÞ नजर आ रहे हैं। हो गया न कमाल? इसे कहते हैं छक्का और वह भी बिना जोर लगाए। बस। कलाई घुमाई। जरा-सा कमाल दिखाया और क्या से क्या बना दिया।
आने वाले दिनों में ये सेल्फियों का प्रचलन बढ़ने वाला है। कितने नेता, कितनी जगह पहुंचेंगे और इस तरह बडेÞ घरों में भाजपा का प्रचार हो जाएगा।
लोग दिल में जब ठान लेते हैं तब इन बातों का कोई असर नहीं पड़ता। फिर चाहे घर घर झंडा लगा दो। वोट वहीं जाएगा जहां दिल करदा, ओ यारा दिल करदा। अमित शाह जी। अभी तो छोटी छोटी हार हुई हैं। अभी से क्यों घबरा गए? आगे राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ पडेÞ हैं। आगे आगे देखिए होता हैंं क्या?

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