रेलवे लाइन की लड़ाई बड़ी है टोंक में

जयपुर। विधानसभा चुनाव में सबसे चर्चित सीट बनी टोंक में रेलवे लाइन की लड़ाई बड़ी है। टोंक को रेल संपर्क से जोड़ने की स्थानीय लोगों की वर्षों पुरानी मांग है। कांग्रेस ने अपने प्रदेशाध्यक्ष सचिन पायलट को तो भाजपा ने मौजूदा मंत्री एवं विधायक यूनुस खान को यहां से अपना प्रत्याशी बनाया है और दोनों ही टोंक के लिए बाहरी हैं।

दरसअल, कांग्रेस ने जैसे ही टोंक से पायलट को उतारने की घोषणा की, भाजपा ने अपनी रणनीति में बदलाव करते हुए अजित सिंह मेहता की जगह यूनुस खान को उतार दिया। इसे झालरापाटन में कांग्रेस के उस मास्टरस्ट्रोक का बदला माना जा रहा है जो उसने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ भाजपा के ही वरिष्ठ नेता जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह को उतारकर चला।

राष्ट्रीय राजमार्ग-12 पर स्थित टोंक जिले की सीमा जयपुर, अजमेर, सवाई माधोपुर व भीलवाड़ा से लगती है लेकिन यह रेल सेवा से वंचित है। लोग लंबे समय से इसे रेल लाइन से जोड़ने की मांग कर रहे हैं, ताकि न केवल लोगों को बेहतर संपर्क मिले, बल्कि यहां आर्थिक गतिविधियों को भी बल मिले।

पायलट ने भाषा से कहा, ‘‘टोंक में रेल लाइन बड़ा मुद्दा है और मैंने लोगों को आश्वस्त किया है कि कांग्रेस सरकार इसे पूरी गंभीरता से लेगी। जब मैं अजमेर से सांसद बना तो किशनगढ़ हवाईअड्डा शुरू हुआ और अजमेर के लिए अनेक नयी ट्रेन शुरू हुईं। लोग यह समझते हैं और उम्मीद कर रहे हैं कि कांग्रेस के सत्ता में आने पर टोंक को भी रेल लाइन मिलेगी। उन्होंने कहा कि टोंक में सड़कों की खराब स्थिति, पानी की कमी बड़ी समस्या है और सरकार बनने के बाद कांग्रेस टोंक को प्राथमिकता से लेगी।

कांग्रेस ने इस बार टोंक से मुस्लिम की जगह हिंदू प्रत्याशी को उतारा है। एक अनुमान के अनुसार कुल 2.20 लाख मतदाताओं में से 70,000 मुस्लिम मतदाता हैं। 2013 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की प्रत्याशी जकिया की जमानत जब्त हो गयी थी और वह तीसरे स्थान पर रही थीं। ऐसा माना जाता है कि कांग्रेस पूर्वी राजस्थान के समूचे इलाके में एक संदेश देने के लिए पायलट को यहां लाई है। पायलट राज्य में पार्टी के मुख्यमंत्री पद के दावेदारों में से एक हैं। पायलट ने कहा, ‘‘टोंक मेरे लिए चुनाव लड़ने के हिसाब से अच्छी सीट है क्योंकि यह अजमेर व दौसा के पास है। मुझे 13-14 जिलों से चुनाव लड़ने का आग्रह मिला था और पार्टी ने टोंक का फैसला किया। हम विशेषकर पूर्वी राजस्थान सहित समूचे राजस्थान में बड़ी संख्या में सीटें जीतेंगे।’’

भाजपा प्रत्याशी यूनुस खान से मुकाबले के बारे में पूछे जाने पर पायलट ने कहा कि यह विचारधारा की लड़ाई है, न कि प्रत्याशियों की। उन्होंने कहा, ‘‘लड़ाई तो विचारधाराओं व पार्टियों की है। प्रत्याशी तो माध्यम भर हैं।’’ उल्लेखनीय है कि दो बार विधायक रहे यूनुस खान को वसुंधरा राजे की मौजूदा सरकार के सबसे कद्दावर मंत्रियों में से माना जाता है। लेकिन पार्टी ने अंतिम समय तक उनका नाम घोषित नहीं किया। कांग्रेस ने जब टोंक से पायलट की घोषणा की तो भाजपा ने अंतिम समय में खान को टोंक से उतार दिया। वैसे उनकी सीट डीडवाना नागौर है। यूनुस खान ने कहा, ‘‘मैं डीडवाना से लड़ना चाहता था लेकिन मैं पार्टी का सिपाही हूं और पार्टी ने रणनीति में बदलाव के तहत मुझे टोंक भेज दिया। मैंने पार्टी कार्यकर्ताओं से बात की है और यहां हर कोई उत्साहित है तथा भाजपा की जीत को लेकर प्रतिबद्ध है। खान ने कहा कि टोंक में ‘सेवक’ और ‘स्वामी’ की लड़ाई है। यहां उन्होंने खुद को ‘भाजपा का सेवक’ तथा पायलट को ‘राजस्थान कांग्रेस का स्वामी’ बताया। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इतना आश्वस्त करूंगा कि पायलट का विमान टोंक में नहीं उतरे। वह केवल हवा में रहेंगे।’’

रेल लाओ संघर्ष समिति दलित सेना के अध्यक्ष अकबर खान ने कहा कि टोंक के लोग दो दशक से रेल लाइन की मांग कर रहे हैं और हर राजनीतिक दल ने केवल वादा किया, कुछ काम नहीं।

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