मुश्किल ये है कि हमारे पास बहुत अधिक अच्छी फिल्में हैं : याकोव फिंकलस्टीन

गोवा। गोवा में 21 नवंबर 2018 को हुई भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (इफी) के 49वें संस्करण की प्रेस वार्ता में डैन वोलमैन ने कहा कि “भारतीय और इजरायली सिनेमा में कई सारी समानताएं हैं और दोनों मुल्कों को अपने-अपने सिनेमाओं को और भी गहराई में टटोलने की जरूरत है।” डैन वोलमैन को इस साल गोवा में हुए इफी में लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार प्रदान किया गया है। खुद को हाशिये के सिनेमा का समर्थक बताते हुए वोलमैन ने कहा कि हालांकि उन्होंने कुछ बार अपनी आजीविका के लिए भी फिल्में बनाई हैं लेकिन उनकी इच्छा हमेशा उम्र बढ़ने, वेश्यावृत्ति, समलैंगिक विषयों जैसे मसलों पर फिल्म बनाने की रही है।

श्री वोलमैन ने एक अनुभव बताया जब किसी ऐसे व्यक्ति ने उनका साक्षात्कार लिया जिसे समानांतर सिनेमा के बारे में कुछ नहीं पता था। हॉलोकॉस्ट नरसंहार में अपने दो-तिहाई परिवार को खो चुके वोलमैन अपनी फिल्मों में भावों को अप्रत्यक्ष और सूक्ष्म तरीकों से चित्रित करने में यकीन रखते हैं। रंगमंच में अपनी रुचि से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए श्री वोलमैन ने कहा कि थियेटर एक उत्साहजनक और कम खर्चीला माध्यम है जिससे लोगों तक पहुंचा जा सकता है और अपनी 18 फिल्म स्कूलों के साथ इजरायल में थियेटर की शानदार परंपरा है।

वोलमैन ने इसके अलावा कहा कि इजरायली समाज विभिन्न नस्ली और प्रवासी समूहों की उपस्थिति से परिभाषित होती है जो फिल्म-मेकिंग को चुनौतीपूर्ण बनाते हैं। वोलमैन ने कहा कि हालांकि इसके बावजूद विविधता हमारी ताकत है और ये दिखाती है कि हमारे फिल्मी कुनबे के पास कितनी कुशलता है।

भारतीय और इजरायली सिनेमा के मध्य समानताओं को सामने लाते हुए मुंबई में इजरायल के महावाणिज्य दूत श्री याकोव फिंकलस्टीन ने कहा कि भारत और इजरायल ने फिल्म क्षेत्र समेत विभिन्न क्षेत्रों में शानदार तरक्की देखी है और दोनों देशों के फिल्म उद्योगों के बीच के संबंध इसे और अधिक ऊंचाई पर ले जाएंगे। धर्मा प्रोडक्शंस जैसी भारतीय निर्माण कंपनियों द्वारा तेल अवीव के समुद्रतटों पर शूटिंग का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि फिल्म क्षेत्र में भारत और इजरायल के पास व्यापक कारोबारी अवसर हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री चाहते हैं कि दोनों देशों की फिल्में भारत और इजरायल के लोगों के बीच के सदी से भी लंबे रिश्ते को और अधिक मजबूत करें।

इफी की ‘कंट्री फोकस’ श्रेणी में इजरायल की 10 फिल्में प्रदर्शित की जाएंगी जो उस मुल्क के दृश्यों, इतिहास और सामाजिक मसलों को सामने रखेंगी। महावाणिज्य दूत श्री याकोव ने इजरायल की सुंदरता का गवाह बनने और वहां की व्यापक शूटिंग संभावनाओं को टटोलने के लिए भारतीय लोगों को आमंत्रित करते हुए कहा कि उन्हें भारत और इजरायल जैसे लोकतंत्रों पर गर्व है जहां सामाजिक-आर्थिक विषयों का सामना करते हुए लोगों की चिंताओं को ध्यान में रखा जाना होता है।

अपनी फिल्म ‘द अदर स्टोरी’ के बारे में बात करते हुए इजरायल के निर्माता डेविड सिलबर ने कहा कि “ये एक ऐसी फिल्म है जो दो बाग़ी युवतियों के बारे में है और मैं इस कहानी से खुद को जोड़कर देख सकता हूं।” श्री सिलबर ने कहा, “मैं एक संग्रहालय का निरीक्षक हुआ करता था और फिल्म निर्माता बनने के लिए वो पेशा छोड़ दिया और मेरा उद्देश्य सिर्फ मनोरंजन देना नहीं है बल्कि अपने दर्शकों को मस्तिष्क के लिए भोजन (सार्थक विचार) देना भी है।”

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