भारतीय महिला हॉकी टीम का ऑस्ट्रेलिया दौरा सुजाता का सीनियर टीम के साथ पहला अनुभव रहा

रणवीर सिंह

नई दिल्ली: ओडिशा के सुंदरगढ़ के हॉकी मैदानों से, जहां यह खेल जीवन का हिस्सा है, युवा सुजाता कुजुर चुपचाप अपनी सफलता की कहानी लिख रही हैं। 21 वर्षीय डिफेंडर ने हाल ही में भारतीय महिला हॉकी टीम के सीनियर दल में जगह बनाई और ऑस्ट्रेलिया दौरे पर टीम का हिस्सा रहीं—जो अंतरराष्ट्रीय हॉकी में सबसे कठिन चुनौतियों में से एक माना जाता है।

सीनियर टीम के साथ अपने पहले दौरे के अनुभव को साझा करते हुए सुजाता ने कहा, “यह दौरा मेरे लिए एक शानदार अनुभव रहा, क्योंकि यह मेरी पहली बार सीनियर टीम के साथ खेलने का मौका था। ऐसे मौकों पर थोड़ा दबाव तो होता ही है, लेकिन मैंने सीनियर खिलाड़ियों को देखकर बहुत कुछ सीखा—कैसे वे ट्रेनिंग और मैच को अपनाते हैं।”

उन्होंने आगे बताया, “सीनियर खिलाड़ी बहुत ही सहायक और प्रोत्साहक थे। उन्होंने मुझे शुरू से ही कहा कि ज्यादा दबाव मत लो, और अपने नेचुरल गेम पर ध्यान दो। सभी ने मेरा बहुत साथ दिया।”

हालांकि, सुजाता की हॉकी यात्रा आसान नहीं रही। सुंदरगढ़ में पली-बढ़ी सुजाता ने दीप ग्रेस एका को देखकर हॉकी खेलना शुरू किया और 10 साल की उम्र से ही हॉकी स्टिक थाम ली। आर्थिक तंगी के बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

“मैंने अपने गांव की एकेडमी में खेलना शुरू किया था। शुरू में मेरे पास न तो हॉकी स्टिक थी, न जूते। टीममेट्स से उधार लेकर खेलती थी। कई बार तो फटे जूतों की वजह से नंगे पांव भी खेलना पड़ा, लेकिन मैं रुकी नहीं,” उन्होंने याद करते हुए कहा।

तीन भाई-बहनों में सबसे छोटी सुजाता कहती हैं कि परिवार का सहयोग हमेशा उनके साथ रहा। “मेरे माता-पिता ने कभी नहीं कहा कि हॉकी मत खेलो। उन्होंने हमेशा मुझे मेहनत करने और अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित किया।”

ऑस्ट्रेलिया दौरे के लिए चयन उनके लिए सपने के सच होने जैसा था। “जब मेरा चयन हुआ, तो मेरे माता-पिता और पूरा परिवार खुशी से झूम उठा। मैंने हाल ही में नेशनल कैंप जॉइन किया था, इसलिए मुझे खुद भी यकीन नहीं हुआ। वह हमारे लिए बहुत गर्व का पल था,” उन्होंने मुस्कराते हुए कहा।

अपने शुरुआती दिनों को याद करते हुए सुजाता ने कहा, “मुझे मेरी पहली हॉकी स्टिक लगभग 15 साल की उम्र में मिली थी। मेरी एकेडमी के कोच हमेशा मुझे प्रेरित करते थे कि रोज़ कुछ बेहतर करने की कोशिश करो।”

पर्थ में भारत की ओर से फ्रेंडली मैचों में अपना पहला मैच खेलने के बाद अब सुजाता का लक्ष्य भविष्य पर टिका है। उन्होंने आत्मविश्वास से कहा, “मेरा सपना है कि मैं भारत के लिए और भी मैच खेलूं। मैं ओलंपिक में भारतीय टीम का हिस्सा बनना चाहती हूं और देश का प्रतिनिधित्व करना चाहती हूं।”

 

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