भारत के कंधों पर ही विश्व का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी – भागवत

 

कृष्णमोहन झा । राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने गत 26 जनवरी को भारत के 76 वें गणतंत्र दिवस के पुनीत अवसर पर महाराष्ट्र के ठाणे जिले के अंतर्गत भिवंडी शहर में एक प्रतिष्ठित महाविद्यालय में ध्वजारोहण किया । इस अवसर पर अपने भाषण में उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि हमारे लिए गणतंत्र दिवस जश्न के साथ राष्ट्र के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को याद रखने का अवसर भी है । संघ प्रमुख ने कहा कि मतभेदों का सम्मान किया जाना चाहिए। भारत के बाहर विविधताओं के कारण झगड़े हो रहे हैं परन्तु विविधता में एकता भारतीय संस्कृति की विशेषता है। हम विविधता को जीवन के स्वाभाविक हिस्से के रूप में देखते हैं। भागवत ने अपने भाषण में इस बात को रेखांकित किया कि आपकी अपनी विशेषताएं हो सकती हैं लेकिन आपको एक दूसरे के प्रति अच्छा होना चाहिए। एकजुटता ही सद्भाव से जीवन जीने का मार्ग प्रशस्त करती है। अगर आपका परिवार दुखी है तो आप खुश नहीं रह सकते । इस लेकिन तरह ,लेकिन अगर आपके शहर में कोई परेशानी है तो आपके शहर का कोई परिवार खुश नहीं रह सकता ।

संघ प्रमुख ने अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत के बढ़ते हुए प्रभाव को रेखांकित करते हुए कहा कि आज सारा विश्व भारत से नेतृत्व की अपेक्षा कर रहा है। भारत को इस स्थिति तक पहुंचाने के लिए बहुत से लोगों ने समर्पित होकर कार्य किया है। समर्पण की भावना के साथ विश्व का मार्गदर्शन करने की जिम्मेदारी भारत के कंधों पर है। संघ प्रमुख ने विश्वास व्यक्त किया कि समर्पण की भावना से ही हम भारत को विश्व गुरु के स्थान पर प्रतिष्ठित कर पाएंगे और भावी पीढ़ी इसी मार्ग पर चलकर भारत को विश्व में गौरवशाली बनाएगी।

संघ प्रमुख ने समर्पण के साथ ज्ञान की आवश्यकता को प्रतिपादित करने के लिए चांवल पकाने की प्रक्रिया का उदाहरण देते हुए कहा कि चांवल पकाने के लिए चांवल , पानी और ताप की आवश्यकता होती है। आपको चावल पकाने की विधि मालूम है तो आपको पकाने में कोई दिक्कत नहीं होगी लेकिन अगर आप कच्चा चावल खाकर और पानी पीकर घंटों धूप में खड़े रहेंगे तब भी चावल पकाना संभव नहीं होगा। इसीलिए समर्पण के साथ ज्ञान भी जरूरी है। बिना सोचे समझे किया गया कार्य केवल परेशानी लाता है ।संघ प्रमुख ने दैनिक जीवन में समर्पण के साथ भरोसे को महत्वपूर्ण बताते हुए एक और सुंदर उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि अगर आप एक होटल में जाकर केवल पानी पीते हैं और वहां से चले जाते हैं तो आपको अपमानित होना पड़ सकता है परन्तु अगर आप किसी घर में जाकर पानी मांगेंगे तो आपको खाने की किसी वस्तु के साथ पानी दिया जाएगा । यह समर्पण के भरोसे का परिचायक है जिसका अच्छा फल मिलता है। मोहन भागवत ने अपने उद्बोधन में बंधुत्व को विशेष रूप से रेखांकित किया। बंधुभाव ही असली धर्म है।

पद्मश्री अन्ना साहेब जाधव भारतीय समाज उन्नति मंडल भिवंडी द्वारा 76 वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित इस भव्य समारोह में मुख्य अतिथि की आसंदी से दिए गए अपने उद्बोधन में सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा कि आज भारत आगे बढ़ रहा है, प्रगति कर रहा है जिससे उसकी सामरिक शक्ति भी बढ रही है। यह सब अन्ना साहेब जाधव जैसे पूर्वजों के त्यागपूर्ण जीवन के कारण ही संभव हो पाया है। मोहन भागवत ने आगे कहा कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज में मौजूद तीनों रंगों का अपना अलग महत्व है जिसमें नारंगी रंग बलिदान और समर्पण , सफेद रंग शुचिता और हरा रंग समृद्धि का प्रतीक है। राष्ट्रीय ध्वज के मध्य में स्थित अशोक चक्र आपसी भाईचारे और बंधुत्व का प्रतीक है,यह सामाजिक समरसता और सद्भाव का संदेश देता है।

भिवंडी में संघ प्रमुख के मुख्य आतिथ्य में संपन्न गणतंत्र दिवस समारोह एक ऐसा यादगार आयोजन था जिसमें विद्यार्थियों और उपस्थित गणमान्य जनों के मन-मस्तिष्क पर संघ प्रमुख के सारगर्भित उद्बोधन ने गहरी छाप छोड़ी। समारोह में पद्मश्री अन्ना हजारे भारतीय समाज उन्नति मंडल के पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी में विद्यार्थियों ने आकर्षक सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए।

 

कृष्णमोहन झा — लेखक राजनैतिक विश्लेषक है

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