नरेन्द्र कुमार वर्मा
देश भर में कोरोना वायरस के संक्रमण के चलते सरकार ने लॉकडॉउन की घोषणा की है। सारा देश इस लॉकडॉउन का पालन कर रहा है मगर ऐसे वक्त में अचानक दिल्ली और एनसीआर इलाके में रहने वाले लाखों मजदूरों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया। कामधाम न मिलने की वजह से लाखों मजदूरों ने दिल्ली और एनसीआर से अपने घरों के लिए पलायन शुरू कर दिया। सरकार व्दारा रेल, बस, टैक्सी और दूसरे सभी यातायात के साधनों पर रोक लगा दी गई। ऐसे में लाखों मजदूर पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़े। हालांकि केंद्र सरकार ने पलायन करने वाले मजदूरों के राहत की घोषणा करते हुए उनके खाने-पीने और ठहरने का इंतजाम किया मगर फिर भी इन लोगों के बीच कुछ राष्ट्र विरोधी ताकतों ने यह दुष्प्रचार फैला दिया कि यह लॉकडॉउन कम से कम तीन महीने का होगा। इस दुष्प्रचार (अफवाह) से दिल्ली की सड़कों से मजदूरों का रेला पैदल ही अपने घरों की तरफ निकल पड़ा। २७ मार्च को राष्ट्रीय राजमार्ग 24 और राष्ट्रीय राजमार्ग 58 के नजदीक बने आनंदविहार बस अड्डे पर अचानक लाखों मजदूर पहुंच गए।
कोरोना संक्रमण के चलते एक साथ इतनी बड़ी भीड़ के एकत्र होने से स्वास्थ्य हालात का बड़ा खतरा पैदा हो गया। पुलिस और प्रशासन के समझाने पर भी जब मजदूर सड़क से हटने को तैयार नहीं हुए तो राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्वी दिल्ली प्रचार विभाग के कार्यकर्ताओं ने मोर्चा संभाला। जिसके बाद संघ के हजारों कार्यकर्ता पूरे सुरक्षा बंदोबस्त को अपनाते हुए मजदूरों के बीच पहुंचे और उन्हें सोशल डिस्टेंसिंग की बातें बताई। उनके बीच मॉस्क और दस्तानों का वितरण शुरू किया। उन्हें एक दूसरे से एक-एक मीटर दूर बैठाया और धैर्य के साथ उनकी बातों को सुना और प्रशासन के अधिकारियों को उनके लिए वाहनों का इंतजाम करने के लिए कहा। देखते ही देखते राष्ट्रीय स्वयं सेवक के हजारों कार्यकर्ताओं ने मजदूरों के बीच पानी, नाश्ता, खाना, चाय, फल, साबुन, सनेटाइजर और मॉस्क का वितरण करना शुरू किया और उन्हें कोरोना के प्रकोप के बारे में जागरूक किया।
कुछ देर पहले जो मजदूर पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की कोई बात नहीं सुन रहे थे संघ के स्वयं सेवकों के समझाने और जागरूक करने पर वह बिलकुल अनुशासन में आ गए और सभी ने धैर्य के साथ कोरोना के प्रकोप को कम करने वाले सभी उपायों को अपनाया। उत्तर प्रदेश के एटा, फरुर्खाबाद, इटावा, उन्नाव रायबरेली, सुलतानपुर, आजमगढ़, गोरखपुर, देवरिया, प्रयागराज, जौनपुर, गोंडा, बाराबंकी, प्रतापगढ़, बदायूं, झांसी, जौलोन और बिहार के कई जिलों के लाखों मजदूर अपने घर जाने के लिए आनंद विहार बस अड्डे पर पहुंचे थे। जहां उनके लिए किसी वाहन की व्यवस्था नहीं थी। मजदूरों ने स्वयं सेवकों को बताया कि उन्हें बताया गया था कि आनंद विहार से पूर्वी उत्तर प्रदेश और बिहार के बस चलाई जा रही है। मगर वहां आकर उन्हें पता चला कि यह सच्चाई नहीं है बल्कि अफवाह है।
लाखों मजदूरों आनंद विहार बस अड्डे से लेकर राष्ट्रीय राजमार्ग 24 पर स्थिति गाजिपुर तक खड़े थे। और दूसरी तरफ आनंद विहार से लेकर कौशांबी और राष्ट्रीय राजमार्ग 58 पर स्थिति मोहन नगर तक मजदूरों का भारी रेला था।
लाखों मजदूरों के समक्ष खाने और पीने का संकट था ऐसे में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के पूर्वी दिल्ली जिले के सभी स्वयं सेवक सक्रिय हुए और उन्होंने पीने के पानी, भोजन, चाय, साबुन, सनेटाइजर, मॉस्क, दस्ताने, फल, बिस्किट और नाश्ते का प्रबंध चंद घंटे के भीतर किया। मजदूरों की भीड़ को देखकर पुलिस और प्रशासन के लोगों के हाथपैर फूल हुए थे मगर जैसे ही संघ के स्वयं सेवक मजदूरों के बीच सक्रिय हुए और उन्हें सामाजिक दूरी (सोशल डिस्टेंस) के फायदे बताएं तो सभी ने पूरे अनुशासन के साथ उनकी बात को मान कर एक दूसरे से कम से कम एक मीटर की दूरी बना ली। देर रात तक उत्तर प्रदेश के अधिकारियों ने आनंद विहार से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लिए कई सौ बसों की व्यवस्था की और एक-एक मजदूर के स्वास्थ्य की जांच के बाद उन्हें बसों में बैठा कर उनके जिलों की तरफ रवाना किया। मजदूरों को बसों में बैठाएं जाने के दौरान स्वयं सेवकों ने लॉउडस्पीकर हाथ में लेकर मजदूरों की लाइन लगवाना शुरू किया और अधिकारियों व्दारा उनके नाम पतें नोट करने में भी हाथ बटाया।
पुलिस और प्रशासन के अधिकारी संघ के स्वयं सेवकों के इस अनुशासित व्यवहार और पूरे सुरक्षा मानकों को अपनाते हुए जनसेवा के दायित्व को देखकर अभिभूत हो उठे। पूर्वी दिल्ली के कई वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उनके समक्ष मजदूरों को लेकर बड़े समस्या खड़ी हो गई थी मगर संघ के स्वयं सेवकों ने उनके बीच पहुंच कर न केवल स्थिति को विस्फोटक होने से बचाया बल्कि लोगों को कोरोना के प्रति जागरूक किया और सभी को धैर्य के साथ सुरक्षा मानकों को पूरा करने के लिए प्रेरित किया। गाजियाबाद के प्रशासनिक अधिकारियों का कहना था अगर संघ के कार्यकर्ता सहयोग नहीं करते तो उनके सामने खड़ी यह चुनौती पूरी नहीं हो पाती और क्रमवार तरीके से मजदूरों को बसों में नहीं बैठाया जा सकता था।
देश में लॉकडॉउन के चलते एक तरफ जहां राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के लाखों-लाख कार्यकर्ता अपने सामाजिक उत्तरदायित्वों को पूरा करने का काम कर रहे है वहीं दूसरे तरफ ऐसे असमाजिकत तत्व भी है जो ऐसे माहौल में अफवाह फैला कर एक बडे खतरे को आमंत्रित करने में जुटे हैं।