कमलेश भारतीय
त्रिपुरा के मुख्यमंत्री कौन ? यदि कुछ समय पहले पूछते तो शायद ही जवाब पा सकते लेकिन अब बच्चे बच्चे से पूछ लीजिये कि त्रिपुरा में मुख्यमंत्री पद पर कौन सुशोभित हैं , तो फटाफट क्रिकेट की तरह बताएगा: विप्लव देव । क्यों ? उन्होंने ऐसा क्या कर डाला ? क्या करिश्मा क्रिकेट दिया ?
नहीं , नहीं , उन्होंने कोई करिश्मा नहीं किया । पहले काले रंग वालों पर टिप्पणी कर डाली । चारों तरफ आलोचना से घिर गए । क्या अभिनेत्रियां और क्या नेत्रियां सबकी सब उनके पीछे हाथ धोकर पड गयीं । मीडिया चैनलों ने भी यह लड्डू कैच लपकने में देर नहीं लगाई । सब तरफ विप्लव होते देर नहीं लगी । मुश्किल से यू टर्न लेकर पीछा छुड़ाने में ही भलाई समझी ।
कहते हैं कि आसमान का गिरा खजूर में अटका । वही बात त्रिपुरा के मुख्यमंत्री विप्लव ध्यान
देव के साथ हुई । उन्होंने अब गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के बारे में कहते दिया कि उन्होंने गीतांजलि कृति पर मिला हुआ नोबल पुरस्कार लौटा दिया था जबकि सचाई यह है कि उन्होंने यह पुरस्कार प्राप्त किया । यह अलग बात हैं कि उन्होंने जलियांवाला बाग कांड के बाद नाइटहुड की उपाधि लौटा दी थी । जैसे इन पिछले कुछेक वर्षों में साहित्यकारों ने साहित्य अकादमी के पुरस्कार लौटाएं हैं । क्या गुरुदेव के बारे मुख्यमंत्री बस उनका नाम ही जानते हैं ? उनके साहित्यिक सफर के बारे में कुछ नहीं जानते ? यदि ठीक से नहीं जानते तो फिर भ्रांति भी न फैलाएं । उतना ही कहें , जितना जानते हैं । कच्चा अधपका क्यों बोलते हैं और क्या जरूरी हैं भ्रांतियां फैलाना ? कृपया उसी विषय पर बोलिए जिस पर आपकी पकड है । राजनीति है तो राजनीति ही कीजिए न विप्लव जी गलत जानकारी देकर विप्लव न करें ।