उद्धव ठाकरे ने ‘महा विकास आघाड़ी’ सरकार के गठन के लिए दावा पेश किया

मुंबई। शिवसेना-राकांपा-कांग्रेस गठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद के लिए नामित उद्धव ठाकरे मंगलवार रात राजभवन पहुंचे और महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए दावा पेश किया। शिवसेना के एक नेता ने बताया कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे के साथ शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के विधायक दलों के नेता भी साथ थे । उन्होंने बताया, ‘‘हम राज्यपाल के सामने सरकार गठन के दावे के लिए एक संयुक्त बयान पेश कर रहे हैं। हम जरूरी प्रक्रिया के तहत, तीनों दलों के सभी विधायकों के समर्थन का प्रमाण भी राज्यपाल को पेश करेंगे। ’’

महाराष्ट्र में पिछले एक महीने दो दिन से चल रहे सियासी ड्रामे का पटाक्षेप हो गया है। यह भी तय हो गया कि राज्य में शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा सरकार बनेगी और शिव सेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। उद्धव ठाकरे को शिव सेना, एनसीपी और कांग्रेस की साझा बैठक में गठबंधन का नेता चुना गया। इस गठबंधन का नाम महाविकास अघाड़ी पहले ही रखा जा चुका गया है। बैठक में यह भी तय किया गया कि उद्धव ठाकरे एक दिसंबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।

मंगलवार की शाम को मुंबई के होटल ट्राइडेंट में तीनों पार्टियों के विधायकों की बैठक हुए, जिसमें उद्धव को नेता चुना गया। इसी बैठक में एक दिसंबर को शपथ का फैसला हुआ और साथ ही यह भी तय हुआ कि उद्धव का शपथ ग्रहण एक दिसंबर को शाम पांच बजे शिवाजी पार्क में होगा। शिव सेना अध्यक्ष अपनी पत्नी रश्मि ठाकरे और दोनों बेटों आदित्य और तेजस के साथ होटल पहुंचे थे। नेता चुने जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और एनसीपी प्रमुख शरद पवार को धन्यवाद दिया। उद्धव ने कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र का नेतृत्व करने के बारे में कभी सोचा भी नहीं था।

इससे पहले मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने पद से इस्तीफा दिया। इन दोनों के इस्तीफे के बाद शिव सेना प्रवक्ता संजय राउत ने दावा किया था कि उद्धव ठाकरे पांच साल मुख्यमंत्री रहेंगे। तीनों पार्टियों की बैठक के दौरान कहा जा रहा था कि अजित पवार भी इसमें शामिल सकते हैं। लेकिन, एनसीपी विधायक दल के नेता जयंत पाटिल ने कहा कि अजित बैठक में नहीं आएंगे।

विधायक दल के नेता का चुनाव होने के बाद एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि अघाड़ी के तीन सदस्य रात में राज्यपाल से मुलाकात करेंगे। गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा में भाजपा 105 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी है। शिव सेना को 56, एनसीपी को 54 और कांग्रेस को 44 सीटें मिली हैं। इन तीनो पार्टियों के विधायकों की संख्या 154 है, जबकि बहुमत का आंकड़ा 145 का है। इन तीन पार्टियों को समाजवादी पार्टी के दो और सात निर्दलीय विधायकों का भी समर्थन है, जिससे यह आंकड़ा 163 विधायकों का बनता है।

विधानसभा चुनाव में भाजपा और शिव सेना ने मिल कर बहुमत का 145 का आंकड़ा पार कर लिया था। लेकिन शिव सेना ने ढाई-ढाई साल तक दोनों पार्टियों के मुख्यमंत्री बनाने की मांग रख दी थी, जिसे भाजपा ने मंजूर नहीं किया। शिव सेना का कहना था कि भाजपा के साथ समझौता इसी फॉर्मूले पर हुआ था, लेकिन भाजपा का दावा है कि ऐसा कोई समझौता नहीं हुआ था। इसे लेकर मतभेद इतना बढ़ा कि दोनों पार्टियों की 30 साल पुरानी दोस्ती टूट गई।

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