किशोर लड़कों और लड़कियों का सशक्तीकण ज़रूरी: प्रियंका

नई दिल्ली। यूनिसेफ की ग्लोबल गुडविल अम्बेसडर प्रियंका चैपड़ा ने कहा कि आज के किशोरों को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। सही सहायता के द्वारा हम उनके जीवन में सुधार ला सकते हैं, उन्हें आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर नागरिक बना सकते हैं, जो अपने समाज के विकास में योगदान दे सकें। किशोरों में निवेश लाखों लोगों को गरीबी के जाल से बाहर निकालकर एक रचनात्मक एवं कुशल कार्यबल का निर्माण कर सकता है। मेरा मानना है कि किशोर लड़कियों के सशक्तीकरण के लिए किए जाने वाले सतत प्रयास हमारे देश के विकास में योगदान दे सकते हैं। कम उम्र में लड़कियों की शादी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि कम उम्र में लड़कियों की शादी करने से उसकी पढ़ाई छूटने और उसके घरेलू हिंसा का शिकार होने की सम्भावना कई गुना बढ़ जाती है। वह उस नाजु़क उम्र में मां बन जाती है, जबकि वह खुद बच्ची होती है। गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के दौरान उसकी मृत्यु की संभावना भी कई गुना बढ़ जाती है।
असल में, भारत में 243 मिलियन किशोर हैं, जो देश की आबादी का एक चैथाई हिस्सा बनाते हैं। ऐसे में इन किशोरों के सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए समन्वित प्रयास ज़रूरी हैं, उनके सशक्तीकरण पर ध्यान देना ज़रूरी है। बाल विवाह को रोकना और इन बच्चों को माध्यमिक शिक्षा उपलब्ध कराना भारत के भावी विकास के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है। कशोरावस्था अवसरों की अवस्था है, साथ ही यह उम्र बेहद संवेदनशील भी होती है। जहां एक ओर किशोर लड़कियांें को बाल विवाह, स्कूली शिक्षा छूटने, लिंग भेद, घरेलू एवं सार्वजनिक स्थानों पर हिंसा, कार्यस्थलों पर सीमित अवसरों और कम वेतन जैसी मुश्किलों का सामना करना पड़ता है, वहीं किशोर लड़के बाल मजदूरी और पढ़ाई छूटने जैसी समस्याओं का शिकार हो जाते हैं।
इस मौके पर एक विशेष अध्ययन Supporting Adolescent transition to adulthoods – What Works and What Doesn’t की रिपोर्ट भी जारी की गई। यूनिसेफ द्वारा अब्दुल लतीफ जमील पावर्टी एक्शन लैब के सहयोग से किए गए इस अनुसंधान के माध्यम से किशोरों की सामाजिक सुरक्षा के उपायों पर रोशनी डाली गई। किशोर आबादी देश की महत्वूपर्ण संपत्ति है जिसकी अक्सर उपेक्षा की जाती है। किशोर अक्सर विभिन्न आंकड़ों से बाहर रहते हैं। ज़्यादातर प्रोग्रामों में बच्चों या युवाओं पर ध्यान दिया जाता है। किशोर शिक्षा एवं प्रशिक्षण मंे निवेश के द्वारा देश में ऐसे उत्पादक कार्यबल का निर्माण किया जा सकता है जो देश की अर्थव्यवस्था में योगदान दे सके।

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