
नई दिल्ली। यूपीएससी की परीक्षा पैटर्न में हाल ही में कुछ बदलाव किए गए हैं जिसके अनुसार यूपीएससी अब विशेष ज्ञान और जानकारी पर नहीं बल्कि विश्लेषणात्मक कौशल पर ध्यान देगा। यूपीएससी की परीक्षा में बदलावों के अनुसार अब यह मायने नहीं रखेगा कि छात्र कितना ज्ञानी है बल्कि यह मायने रखेगा कि वह जानकारी को कितनी जल्द प्रॉसेस कर लेता है जिससे वह उसे अलग-अलग एंगल से प्रस्तुत कर सकता है।
सबसे हालिया बदलाव 2015 में किया गया था जिसमें छात्रों के विवाद के बाद सिविल सेवा एप्टीट्यूड टेस्ट (सीएसएटी) को क्वालीफाइंग पेपर घोषित कर दिया गया था। हाल ही में यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (यूपीएससी) ने सरकार को प्रार्थमिक पेपर में बदलाव लाने और पेपर 2 (सीएसएटी) को हटा देने की सलाह दी। छात्र इस बदलाव से काफी खुश नजर आ रहे हैं क्योंकि अब उन्हें पेपर-1 की तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सकेगा।
दुर्भाग्य से, कई कोचिंग संस्थान इस बदलाव को अभी तक नहीं समझ सके हैं। कई संस्थान अभी भी छात्रों को बेकार का ज्ञान दे रहे हैं, जो उनके किसी काम नहीं आने वाला है। छात्रों को हर चीच पढ़ाई जा रही है, जिसके कारण क्या जरूरी है और क्या नहीं, इसमें उन्हें फर्क ही नहीं पता है। यही कारण है कि जब छात्र परीक्षा की शुरुआत करते हैं तो जो सवाल छात्रों की विश्लेषण क्षमता पर केंद्रित होते हैं वहां उन्हें समझ ही नहीं आता है कि क्या करना है।
जीएस स्कोर के शिक्षक, श्री मनोज के झा ने बताया कि, “सिविल सेवा की तैयारी शुरू करते वक्त अक्सर उम्मीदवारों को समझ नहीं आता है कि तैयारी की शुरुआत कैसे करें और क्या पढ़ें। आईएएस / आईपीएस के उम्मीदवारों के दिमाग में स्टडी मटीरियल, एलिजिबिलिटी और परीक्षा पैटर्न आदि के बारे में कई उलझनें चल रही होतीं हैं। कुछ को तो यही नहीं पता होता है कि तैयारी के लिए कोचिंग जॉइन करनी चाहिए या नहीं। इन सभी उलझनों से निकलने के लिए उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत होती है। गलत मार्गदर्शन से न सिर्फ उनका पैसा बर्बाद होगा बल्कि समय और रिसोर्सेस भी बर्बाद होंगे। दुर्भाग्य से कई कोचिंग संस्थानों को सही मार्गदर्शन के बारे में पता ही नहीं होता है, परिणामस्वरूप उम्मीदवार परीक्षा को पार नहीं कर पाते हैं। कुछ ऐसे भी संस्थान हैं जो छात्रों से मंहगी फीस हड़प लेते हैं लेकिन तैयारी के नाम पर उन्हें बहुत ही खराब स्टडी मटीरियल प्रदान करते हैं।”
उम्मीदवारों को सीमित समय के अंदर सवालों का विश्लेषण करना सीखना चाहिए। एक अच्छा कोचिंग संस्थान छात्रों को सही राह दिखाता है और उन्हें विश्लेषणात्मक कौशल के महत्व के बारे में बताता है। जी हां, विश्लेषणात्मक कौशल अब ज्ञान से ज्यादा जरूरी हो गया है, जिसे यूपीएससी के हर पड़ाव में परखा जाएगा।
हर चरण की अलग से तैयारी करना आवश्यक है। प्रीलिम्स के सिलेबस को मेन की परीक्षा से अलग न करें। आपका तरीका अलग हो सकता है लेकिन दोनों के विषय लगभग समान होते हैं। ऑथेंटिक सोर्स पर ध्यान दें। उदाहरण- बजट, इकोनोमिक सर्वे, योजना, इयर बुक और एनुअल रिपोर्ट। ये किताबें थोड़ी भारी होती हैं लेकिन इनका एक-एक शब्द पढ़ने की जरूरत नहीं है, इन्हें सिर्फ ऊपर-ऊपर से देख लें। इंटरनेट पर भारतीय सोर्स पर ध्यान दें क्योंकि इंटरनेट पर विदेशी वेबसाइट भी होती हैं, जो समझ के लिए अच्छी हैं लेकिन उनके उदाहरण भी विदेशी ही होते हैं जिसके कारण आपको समझने में परेशानी हो सकती हैं।
श्री मनोज के झा ने आगे बताया कि, “शुरुआती लोगों के लिए यह बिल्कुल आसान नहीं है। यही कारण है कि आपको सही मॉडल से तैयारी करनी चाहिए। जानकारी को सिर्फ रटने पर ध्यान न दें बल्कि उसे समझने की कोशिश करें, जिससे आप उस जानकारी का उपयोग किसी भी प्रकार से कर सकें। विश्लेषणात्मक कौशल का विकास करें। यह बार-बार अभ्यास और रिवीजन से ही संभव है। अपनी गलतियों और कमियों पर ध्यान दें। टेस्ट सीरीज हल करें। यदि आप अपनी गलतियों और कमियों को सुधारने में कामयाब हो जाते हैं तो समझ लीजिए कि आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता है।”