लाल बहादुर शास्‍त्री मेमोरियल में उज्‍बेकिस्‍तान ने सचित्र किताबों की श्रृंखला प्रस्‍तुत की

नई दिल्‍ली। उज्‍बेकिस्‍तान के प्रेसिडेंट शवकत मिर्जियोयेव के दिल्‍ली स्थित उज्‍बेकिस्‍तान के दूतावास ने उनके आगमन पर सांस्‍कृतिक कार्यक्रमों की श्रृंखला प्रस्‍तुत की। उज्‍बेकिस्‍तान के नेशनल एसोसिएशन ऑफ इलेक्‍ट्रॉनिक मास मीडिया के सहयोग से आयोजित इन कार्यक्रमों में गहरे सांस्‍कृतिक जुड़ाव और विरासत की झलक पेश की गई। उज्‍बेक प्रदर्शनी में रामपुर राजा लाइब्रेरी, नेशनल म्‍यूजियम ऑफ इंडिया, खुदा बख्‍श ओरिएंटल पब्लिक लाइब्रेरी के संग्रह को प्रदर्शित किया जायेगा। इसका प्रदर्शन 25 सितंबर से 26 अक्‍टूबर, 2018 तक नेशनल म्‍यूजियम ऑफ इंडिया में किया जायेगा।

इस प्रर्दशनी में विशेषज्ञों की बैठक, विश्‍वविद्यालयों और भारत के सांस्‍कृतिक संस्‍थानों को पुस्‍तकों की भेंट भी शामिल है। इसके अलावा दिल्‍ली में उज्‍बेकिस्‍तान दूतावास में अन्‍य खास कार्यक्रमों का आयोजन किया जायेगा। ऐसी ही प्रस्‍तुति जवाहर लाल नेहरू विश्‍वविद्यालय, जामिया मिलिया इस्‍लामिया और इस्‍लामिक कल्‍चरल सेंटर ऑफ इंडिया में भी आयोजित की गई। इसका पहला कार्यक्रम गुरुवार, 20 जनवरी 2018 को, लाल बहादुर शास्‍त्री मेमोरियल में किया गया था, जहां शास्‍त्री म्‍यूजियम को किताबों का अनूठा संग्रह भेंट किया गया। 10 वॉल्‍यूम में सचित्र तैयार किये गये किताबों के इस संग्रह में रिपब्लिक ऑफ उज्‍बेकिस्‍तान के शानदार विरासत को दर्शाया गया है। इसे पूरी दुनिया से संग्र‍हित आर्ट कलेक्‍शन में उकेरा गया है।

उज्‍बेक की कई पीढि़यों द्वारा सराहा गये लाल बहादुर शास्‍त्री को भारत और पाकिस्‍तान के बीच, उनके 1966 की ऐतिहासिक घोषणा के लिये याद किया जाता है। उन्‍होंने इस समझौते पर अपनी मृत्‍यु के कुछ देर पहले ही ताशकंद में हस्‍ताक्षर किया था। भारतीय संस्‍कृति के लिये लाल बहादुर शास्‍त्री सेंटर, इंडियन कौंसिल फॉर कल्‍चरल रिलेशंस (आईसीसीआर) के तहत काम करता है। इसकी स्‍थापना 1995 में ताशकंद में की गई और अपने सांस्‍कृतिक गतिविधियों के लिये पूरे उज्‍बेकिस्‍तान में जाना जाता है।

गुरुवार को आयोजित कार्यक्रम में रिपब्लिक ऑफ उज्‍बेकिस्‍तान के असाधारण एवं पूर्णाधिकारी राजदूत, एच.ई.फरहोद अरजिव, इंडो-उज्‍बेक फ्रेंडशिप सोसाइटी के चेयरमैन अनिल शास्‍त्री, इस प्रोजेक्‍ट के हेड और ऑर्थर फिरदवस अब्‍दुलखालिकोव, इग्‍नू नई दिल्‍ली की डॉ. आभा सिंह और फाइन आर्ट्स इंस्‍टीट्यूट ऑफ द एकेडमी ऑफ साइसेंस ऑफ उज्‍बेकिस्‍तान के डॉ. डीलरो करोमट उपस्थित थे। इससे भारत के संग्रहालयों और पुस्‍तकालयों में संग्रहित वैज्ञानिक और सांस्‍कृतिक धरोहरों के बारे में साझा रूप में जानने का मार्ग प्रशस्‍त होगा। वैज्ञानिक परिणामों को इस श्रृंखला की किताबों के नये सेट में प्रकाशित किया जायेगा।

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