नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने महिला सशक्तिकरण के लिए लागू की गई सरकारी योजनाओं में विधवाओं को वरीयता देने की जरूरत पर बल दिया है। नायडू ने शनिवार को यहाँ आयोजित एक संगोष्ठी में जनगणना के आँकड़ों के हवाले से कहा कि भारत में 4.3 करोड़ महिलाएँ विधवा हैं। इनमें से 58 फीसदी विधवाओं की उम्र 60 साल से ज्यादा है जबकि 10 फीसदी की उम्र 20 से 39 साल के बीच है। उन्होंने विधवा कल्याण से जुड़े समाज सुधारकों राजा राममोहन राय और ईश्वर चंद्र विद्यासागर के प्रयासों का उल्लेख करते हुए विधवा पुनर्विवाह को समाज द्वारा बढ़ावा देने की जरूरत पर बल दिया।
उपराष्ट्रपति नायडू ने इस दिशा में सामाजिक कुरीतियों को खत्म करने का आह्वान करते हुए कहा कि अगर पत्नी की मौत पर पति दूसरी शादी कर सकता है तो पति की मौत पर महिला को फिर से शादी करने से रोकना ना तो तर्कसंगत है ना ही मानवीय। विधवा कल्याण के लिए विश्वस्तर पर काम कर रही ब्रिटिश संस्था द लूम्बा फाउंडेशन द्वारा ह्यविश्व विधवा कल्याण दिवसह्ण के मौके पर आयोजित संगोष्ठी में नायडू ने भारत में केंद्र सरकार द्वारा विधवाओं को समाज की मुख्य धारा में लाने के लिए किए जा रहे प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि सरकार को मकान और भूमि आवंटन के मामलों में विधवाओं को वरीयता देना चाहिए। इससे इनके सशक्तिकरण में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि जब वह शहरी विकास मंत्री थे तब इस तरह की पहल की गई थी, इसे अब अमलीजामा पहनाने की जरूरत है।
इस मौके पर द लूम्बा फाउंडेशन की अध्यक्ष शेरी ब्लेयर, संस्था के संस्थापक लॉर्ड लूम्बा और कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी मौजूद थे। ब्लेयर ने संस्था की ओर से भारत में विधवाओं के लिए अलग आयोग बनाने और विधवाओं को अल्पसंखयक का दर्जा देने की माँग की। प्रसाद ने इन माँगों के कानूनी पहलुओं पर विचार कर शीघ्र कोई फैसला करने का भरोसा दिलाया। इस दौरान लॉर्ड लूम्बा ने कहा कि विश्व में दस में से एक महिला विधवा है और दुनिया भर में ये महिलायें असमानता एवं अत्याचार की शिकार है। इसे वैश्विक शर्म का विषय बताते हुए उन्होंने इस स्थिति से निपटने में भारत से निर्णायक भूमिका निभाने की अपील की।