नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि सामाजिक आधारभूत ढांचे के विकास में शिक्षा की अहम भूमिका है। शिक्षा निर्धनता और पिछड़ेपन के दुष्चक्र को रोकने में सफल रहती है। उपराष्ट्रपति श्री एम. वेंकैया नायडू आज इस्कॉन के संस्थापक और आचार्य श्रील भक्तिवेदांता स्वामी प्रभुपाद की 121 वीं जयंती के अवसर पर आयोजित पूर्व पश्चिम संस्कृति समारोह को संबोधित कर रहे थे।
उपराष्ट्रपति श्री नायडू ने कहा कि सदियों से भारत ने ज्ञान के साथ-साथ अपनी समृद्ध संस्कृति का केंद्र होने के कारण असंख्य लोगों को जीवन के सही मार्ग पर चलने की शिक्षा दी है। उन्होंने कहा कि भारत महापुरूषों को धरती रहा है, जिन्होंने मानवता की सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। श्री वेंकैया नायडू ने कहा कि वैश्वीकरण और प्रौद्योगिकी के कारण आज विश्व एक दूसरे के संपर्क में है और बहुसंस्कृतिवाद सार्वलौकिक है। उन्होंने कहा इन सब की शुरूआत से पहले स्वामी प्रभुपाद ने पूर्व और पश्चिम के बीच एक सेतु का निर्माण किया था जोकि संस्कृति का सेतु था। इसने भारत की विशाल सांस्कृतिक विरासत से पश्चिम का परिचय कराया।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हम एक विशेष समय में मिल रहे है जहा एक और दुनियाभर में विभिन्न क्षेत्रों में तेजी से प्रगति हो रही है और वही दूसरी और आतंकवाद पर्यावरण में गिरावट, नशीले पदार्थों का सेवन, घृणा, भूखमरी और निर्धनता चुनौतियों के रूप में हमारे सामने खड़ी है। उन्होंने कहा कि संस्कृति दूसरे मायनों में सामाजिक आधारभूत ढांचे को संभालने वाला शक्ति है और यह नैतिक और न्यायसंगत मूल्यों में जान डाल देती है। ये मूल्य आज के आधुनिक जीवन शैली में तेजी से विलुप्त हो रहे हैं।