विजय भगत ने बताया कि जब सुषमा जी दिल्ली से चुनाव लड़ रही थीं, तो उन्हें हरेक कार्यकर्ता की चिंता होती थीं। उस चुनाव में मैं उनका चुनाव प्रतिनिधि था। चुनाव के दौरान सुबह 5 बजे ही उनका फोन आता था। पूरे दिन की रणनीति की बात होती थी। फिर रात में नौ के बाद हर कार्यकर्ता से वह बात करने की कोशिश करती। एक दिन रात में करीब 10 बजे उनका काॅल आया। पूछा – कहां हो ? मैंने जवाब दिया कि अभी कुछ झुग्गियों में लोगों से संपर्क करना शेष रह गया है, इसलिए अभी और समय लगेगा। उन्होंने तपाक से कहा कि अभी घर चलें जाएं। अपनी सुरक्षा और सेहत का ख्याल रखें। चुनाव कार्य कल भी हो जाएगा।
भाजपा नेता विजय भगत ने कहा कि मारी बडी बहन श्रद्धेय सुषमा स्वराज जी इस तरह चली जाएंगी, कभी सोचा नहीं था। कल रात से ही स्तब्ध हूं। जब भी उनसे मिलना होता था, वे अनुजवत स्नेह करती थीं। मैंने उनके मुख्यमंत्रित्वकाल को देखा है। कितना जनकल्याणकारी थीं वह। दिल्ली में सर्व समाज और गरीबों के लिए उम्मीद की लौ थीं। केंद्रीय मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को सबने देखा। एक आम आदमी की गुहार पर वो सक्रिय हो जाती थी। जनता के हर समस्या का समाधान वो अपने स्तर से करने में कभी पीछे नहीं हटती। पूरी दुनिया ने उनकी कूटनीतिक क्षमता का लोहा माना है।