आधे से ज्यादा लोग छोड़ना चाहते हैं धूम्रपान, लेकिन नाकाम

नई दिल्ली। भारत में धूम्रपान करने वाले हर 10 में से 7 लोग इस बात को समझते हैं कि धूम्रपान उनकी सेहत के लिए खतरनाक है, इनमें से 53 फीसदी लोग धूम्रपान छोड़ने की कोशिशों में नाकाम रहे हैं। फाउन्डेशन फॉर स्मोक फ्री वर्ल्ड द्वारा जारी आंकड़ों में यह तथ्य सामने आया है। साफ है धूम्रपान करने वालों को ऐसे विकल्प और तरीके उपलब्ध कराने होंगे, ताकि वे लम्बा और सेहतमंद जीवन जी सकें। फाउन्डेशन फॉर ए स्मोक फ्री वर्ल्ड के प्रेसीडेंट डेरेक याच ने कहा कि आंकड़ों में वही तथ्य सामने आए हैं, जो दशकों से हम सभी जानते हैं कि धूम्रपान करने वाले लोग धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं लेकिन इसमें नाकाम रहते हैं।
बता दें कि डेरेक याच तंबाकू नियन्त्रण पर विश्वस्तरीय संधि, फ्रेमवर्क कन्वेन्शन आॅन टोबेको कन्ट्रोल में बेहद सक्रिय रहे हैं और विश्व स्वास्थ्य संगठन में गैर-संचारी बीमारियों एवं मानसिक स्वास्थ्य के लिए कार्यकारी निदेशक की भूमिका निभा चुके हैं।
वर्ल्ड नो टोबेको डे के उपलक्ष्य में फाउन्डेशन फार अ स्मोक-फ्री वर्ल्ड ने आधुनिक अनुसंधान की शपथ ली, जिसके माध्यम से दुनिया में धूम्रपान करने वाले 1 बिलियन लोगों को धूम्रान की लत छोड़ने में मदद की जाएगी। इस अध्ययन के तहत 13 देशों के 17,000 प्रतिभागियों पर सर्वेक्षण किया गया,
सर्वेक्षण में पता चला है कि दुनिया भर में धूम्रपान पर रोक लगाना एक बड़ी चुनौती है। साफ है: धूम्रपान करने वाले लोग धूम्रपान के लिए अपनी सेहत और आर्थिक कल्याण को भी दांव पर लगा रहे हैं, हालांकि इनमें से ज्यादातर लोग धूम्रपान छोड़ना चाहते हैं। फाउन्डेशन फॉर अ स्मोक-फ्री वर्ल्ड ऐसे उपकरणों और तरीकों की खोज के लिए आधुनिक अनुसंधान हेतू वित्तपोषण प्रदान करेगा, जो इन लोगों को धूम्रपान छोड़ने में मदद कर सके और लाखों जिंदगियों को तबाह होने से बचा सके।
डॉ याच ने कहा कि दो साल पहले रॉयल कॉलेज आॅफ फिजिशियन्स ने पाया कि तंबाकू के इस्तेमाल के कारण होने वाली मौतों को रोकने के लिए इस तरह के उपकरण और तरीके बेहद कारगर साबित हो सकते हैं। हम इस तथ्य की अनदेखी कर कर रहे हैं कि बहुत से लोग धूम्रपान छोड़ना ही नहीं चाहते, बल्कि इससे उन्हें आनंद मिलता है। ऐसे में धूम्रपान छोड़ने के तरीकों को अपनाना इनके लिए जिंदगी और मौत का सवाल है। उन्होंने बताया कि अकेले भारत में 104 मिलियन से अधिक लोग तंबाकू के सेवन से अपनी सेहत को नुकसान पहुंचा रहे हैं। बीड़ी इन लोगों के लिए सस्ता विकल्प है, यह हाथ से रोल की गई सिगरेट होती है,  जिसे भारत में स्थानीय रूप से बनाया जाता है। देश में बड़ी संख्या में लोग तंबाकू के रूप में बीड़ी का सेवन करते हैं। पारंपरिक सिगरेट की तुलना में बीड़ी पर कर में छूट के चलते यह सस्ती भी पड़ती है। ऐसे में साफ है कि भारत में अगर हम धूम्रपान पर रोक लगाना चाहते हैं, तो हमें अन्य देशों की तुलना विशेष उपाय अपनाने होंगे। फाउन्डेशन धूम्रपान करने वालों की मदद के लिए नया दृष्टिकोण अपना रहा है। हमें उनकी आंखों से देखकर, उनके कानों से सुन कर उनकी चुनौतियों को समझना होगा। फाउन्डेशन इस दिशा में अनुसंधान के लिए वित्तपोषण उपलब्ध कराएगा ताकि फ्रेमवर्क कन्वेन्शन आॅन टोबेको कन्ट्रोल के मद्देनजर नए तरीकों और उपकरणों की खोज की जा सके। उन लोगों की सेहत में सुधार लाया जा सके, जो धूम्रपान छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं।
भारत में सामने आए कुछ परिणामों में शामिल हैं: 
धूम्रपान करने वाले 68 फीसदी लोगों ने बताया कि धूम्रपान के बुरे प्रभावों के बारे में अच्छी तरह से जानते हैं। 
धूम्रपान करने वाले 51 फीसदी लोगों ने बताया कि वे धूम्रपान छोड़ने की योजना बना रहे हैं। 
धूम्रपान करने वाले 41 फीसदी लोग जो इसे छोड़ने की कोशिश कर रहे हैं, उनका कहना है कि उन्हें इसके लिए किसी की मदद की जरूरत है। 
धूम्रपान करने वाले 25 फीसदी लोग धूम्रपान छोड़ने के लिए ई-सिगरेट या वेपिंग डिवाइस इस्तेमाल कर रहे हैं। 

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