गुरु पूर्णिमा उत्सव के बीच यमुनानगर से एक बुरी खबर आई और शिक्षक व शिष्य के बीच रिश्तों को तार तार कर गयी । बच्चियों ने आरोप लगाया कि स्कूल का शारीरिक शिक्षा अध्यापक उनसे छेड़खानी तो करता ही है बल्कि छात्रों को भी उकसाता है यह कह कर कि ये तुम्हारी बहनें नहीं हैं । डीएसपी ने मामले को गंभीर बताया तो डी ए वी स्कूल के प्रिंसिपल महोदय का कहना है कि प्रबंधन समिति के संज्ञान में मामला ला दिया हैं और अभिभावकों से दो दिन का समय मांगा हैं ।
प्रिंसिपल को अपने एक अध्यापक का चरित्र मालूम नहीं ? क्यों ? आखिर प्रबंधन समिति भी किससे पूछेगी ? क्या पीटीआई को बचाने की कोशिश की जा रही हैं ? इससे तो यही संकेत मिल रहे हैं । इसी के चलते तो ऐसे शिक्षक निरंकुश हो जाते हैं ।
यह कोई पहला मामला नहीं और न ही आखिरी । ये मामले तो पढने को मिल ही जाते हैं । अभी तो सरकारी अधिकारी रीगन कुमार का मामला भी सुर्खियों में है , जिसे सरकार ने निलंबित कर दिया है । उन पर कार्यालय में ही किसी सहयोगी महिला कर्मचारी ने यौन उत्पीड़न के आरोप लगाए थे । ये आरोप जांच में सही पाए जाने पर निलंबित कर दिया गया । कुछ सजा तो मिली लेकिन सरकार भी कमाल है कि दो दो जिलों की कमान एसडीएम के तौर पर दे रखी थी ।
क्या ऐसे मामलों से कोई सबक नहीं लेंगे ? चाणक्य भी एक शिक्षक ही तो थे और चाणक्य ने चंद्रगुप्त मौर्य को शक्तिशाली बनाया । एक बुरे राजा कार अंत किया । सुशासन को स्थापित किया । क्या गुरु पूर्णिमा के सबक लेंगे ? या औपचारिक कार्यक्रम ही करते रहेंगे ?
कमलेश भारतीय