24 से 27 की उम्र के युवा आ रहे दिल की समस्याओं की चपेट में

नई दिल्ली।भारत के सबसे तेज हेल्थ सोल्यूशन इनोवेटर अगत्सा द्वारा हाल ही में एकत्रित किए गए आंकड़ों से खुलासा हुआ है कि भारतीयों में औसत हृदय गति आवश्यक 72 की बजाय 83 बीट प्रति मिनिट है। अगस्ता के संकेत लाइफ डिवाइस पर 70,000 से अधिक ईसीजी के आंकड़ों के परिणाम भी सामने आए हैं, जिनमें यह पता चला है कि 40 और 60 वर्ष से कम की युवा आबादी 60 वर्ष से अधिक की आयु वालों की तुलना में उच्च स्तर पर थी, जिससे इस आयु वर्ग में तनाव के स्तर में वृद्धि हुई है। इंडियन हार्ट स्टडी द्वारा 35 भारतीय शहरों में 18,000 से अधिक प्रतिभागियों पर किए गए एक अन्य हालि अध्ययन ने भी अगत्सा के निष्कर्षों की पुष्टि की है

अगत्सा के संकेतलाईफ डिवाईस से ली गई करीब 70 हजार से अधिक ईसीजी के परिणामों से प्राप्त डाटा से पता चला है कि उम्र 40 से 60 वर्ष की उम्र के व्यक्तियों की हार्ट गति 60 वर्ष से अधिक उम्र के व्यकितयों की तुलना में अधिक पाई गई, ऐसा इस आयु वर्ग में अधिक तनाव के कारण होता है। इंडियन हार्ट इंस्टीट्यूट द्वारा 35 भारतीय शहरों के 18 हजार प्रतिभागियों पर किए गए अध्ययन में भी अगत्सा के निष्कर्षों की पुष्टि हुई है।

अध्ययनों से पता चलता है कि दिल की धड़कन की दर में हर अतिरिक्त वृद्धि क्रमशः हृदय रोग और कोरोनरी हृदय रोग के 1 और 2 प्रतिशत अधिक जोखिम से जुड़ी है। इस प्रकार जीवनशैली में परिवर्तन के बारे में जागरूकता पैदा करने और हेल्थकेयर सेक्टर में एक मजबूत बुनियादी ढाँचे का निर्माण करने की आवश्यकता है जो बढ़ती समस्या को प्रभावी ढंग से संबोधित कर सके। हेल्थकेयर सेक्टर में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और स्वास्थ्य सेवा केंद्रों की तीव्र कमी को दूर करने के अलावा, भारत को एक प्रभावी तकनीकी आधार बनाने की आवश्यकता है जो दूरस्थ क्षेत्रों में कुशल और सस्ती स्वास्थ्य देखभाल प्रदान करने में मदद कर सके।
इस संबंध में बात करते हुए अगत्सा के सीओओ एवं को-फाउंडर नेहा रस्तोगी ने बताया कि कार्डियोवेस्क्यूलर बीमारियों के कारण होने वाली मृत्यु भारत में बड़ी स्वास्थ्य सेवा बनकर उभरी है और इसने हर उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित किया है। हमारे आंकड़े बताते हैं कि युवा आबादी के बीच तनाव दिल की समस्याओं का एक प्रमुख कारण बन रहा है और इस तरह तत्काल जीवनशैली में बदलाव की आवश्यकता है। विश्व हृदय दिवस पर, इस तथ्य के बारे में जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता है कि सीवीडी किसी भी आयु वर्ग और प्रौद्योगिकी के लोगों को प्रभावित कर सकते हैं जैसे कि वे जो आंकड़ों पर निगरानी रखकर मदद लेते हैं वे समय पर निदान और रोकथाम में सक्षम हो सकते हैं।
इस संबंध में हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया एवं मेडिकल एसोसिएशन ऑफ एशिया एवं ओसेनिया के अध्यक्ष एवं पद्म श्री अवार्डी डॉ. के के अग्रवाल जो इस अध्ययन का हिस्सा रहे हैं, ने कहा कि तनाव से लोअर हार्ट रेट बढ़ सकती है, जो सहानुभूति से कार्य करने वाले कमजोर हार्ट का प्रतीक है। 30 से 50 वर्ष के आयु वर्ग के लोगों में काम के तनाव और भागती-दौड़ती जीवनशैली के कारण हार्ट की समस्याएं होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं। ये अस्वास्थ्यकर भोजन, सिगरेट, शराब भी लेते हैं और एक्सरसाईज को टाल देते हैं। आवश्यकता इस बात की है कि इन आदतों के प्रभाव पर जागरूकता बढ़ाई जाए और समय पर एक्शन लिया जाए।
हृदय रोगों (सीवीडी) का पैटर्न भी भारतीय टीयर 3 शहरों में व्यापकता के साथ बदल रहा है। जबकि दिल की बीमारियों को पारंपरिक रूप से शहरी लोगों में अधिकता में माना जाता है, लेकिन संकेत लाईफ के आंकड़े इससे अलग खुलासे करते हैं।
आंकड़े बताते हैं हार्ट की समस्या 24 वर्ष के युवा तक को प्रभावित करती है और सीवीडी से घिरे 88.5 प्रतिशत रोगी पुरूष होते हैं। संकेत लाईफ के 11 प्रतिशत उपयोगकर्ता हार्ट पेशेंट्स हैं और 42.1 प्रतिशत मरीज इससे जुड़ी बीमारियों जैसे डायबिटिज से ग्रसित हैं। यह तथ्य चेतावनी देता है कि टियर दो एवं टियर तीन शहरों से मरीजों का सर्वाधिक प्रतिशत हैं, जिनमें सीवीडी बीमारियां हैं। केवल 26.15 प्रतिशत लोग ही टियर वन शहरों से हार्ट की समस्या के दायरे में आए हैं। इसका कारण अनियंत्रित तनाव और अधिक जंक फूड के साथ अखाद्यकर भोजन है।
अगत्सा के संकेत लाईफ ब्लूटूथ, मोबाईल ऐप, क्लाउट आईओटी जैसी आधुनिक तकनीकों का लाभ उठाता है और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से संपूर्ण मेडिकल ग्रेड ईसीजी डाटा कैप्चर करता है। कुछ ही समय में अगत्सा ने एक लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं के लिए ईसीजी रिडिंग ली है और इसका उपयोग छह हजार से अधिक डॉक्टर कर रहे हैं। आगे बढ़ते हुए अगत्सा ने एक वियरेबल डिवाईस को प्रस्तुत करने की योजना बनाई है, जो 17 अलग-अलग बीमारियों जैसे डायबिटिज, मिर्गी, मोटापा, एंग्जाईटी और न्यूरोपैथी आदि की प्रारंभिक जांच कर लेगा।

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