नई दिल्ली। Fortis Escorts Heart Institute के डॉक्टरों ने वर्तमान महामारी के दौरान मरीजों की देखभाल करने की अपनी प्रतिबद्धता और इलाज करने का अपना कौशल दर्शाया है। उन्होंने समय से पूर्व जन्म लेने वाले एक बच्चे के मामले में तुरंत प्रतिक्रिया दिखाई जिसका दिल जन्म से ही पूरी तरह ब्लॉक था। जन्म के समय बेबी भाविष्या का दिल एक मिनट में 40 बार धड़क रहा था जबकि एक स्वस्थ नवजात बच्चे का दिल एक मिनट में 140-160 बार धड़कना चाहिए। बच्चे का जन्म नई दिल्ली के दूसरे अस्पताल में हुआ था और बच्चे की तबियत बिगड़ने पर उसके पिता को सलाह दी गई कि वह बच्चे को पीडियाट्रिक कार्डियक सेन्टर ले जाए।
बच्चे के पिता ने Fortis Escorts Heart Institute में पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के डायरेक्टर, डॉ गौरव कुमार से संपर्क किया। डॉ गौरव कुमार और कार्डियोलॉजी में प्रिंसिपल कंसल्टेंट पीडियाट्रिक, डॉ सुशील आज़ाद के मार्गदर्शन में गंभीर रूप से बीमार इस बच्चे को एफईएचआई में ट्रांसफर करने की व्यवस्था की गई। एफईएचआई में डॉक्टरों की टीम ने बच्चे की पूरी जांच की और उसकी हालत को स्थिर करने के बाद आधी रात के समय स्थायी पेसमेकर प्रत्यारोपण के लिए सर्जरी की गई।
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दिल के जन्म के साथ ही पूरी तरह ब्लॉक होने के मामले बहुत दुर्लभ हैं। जन्म के 20000 में से 1 मामले में यह बिमारी देखने में आती है। ऐसे मामले चुनौती से भरे होते हैं क्योंकि आमतौर पर ऐसे बच्चे समय से पहले और कम वजन के साथ पैदा होते हैं। उनका दिल सही काम नहीं करता है। अगर आपातकालीन इलाज नहीं किया जाए तो उनके बचने की संभावना कम होती है। ऐसे बच्चों पर एनेस्थीसिया और सर्जरी सहित किसी तरह की प्रक्रिया करने में बहुत जोखिम होता है।
पीडियाट्रिक कार्डियक सर्जरी के डायरेक्टर, डॉ गौरव कुमार ने कहा, “हमें देर शाम दूसरे अस्पताल से बेबी भविष्या के बारे में फोन आया। हम समझ गए कि बच्चे की जान को खतरा था। हमने बच्चे को तुरंत फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट में सुरक्षित लाने की व्यवस्था की। बच्चे के यहां पहुंचने पर देखा गया कि बच्चे का दिल और फेफड़े बहुत खराब स्थिति में थे। यह मामला तकनीकी रूप से चुनौतीपूर्ण था क्योंकि बच्चे का जन्म समय से पूर्व हुआ था और बच्चे का वजन भी कम था। नवजात बच्चों के ऑपरेशन में हमेशा ही बहुत ज्यादा जोखिम होता है। हमने रात में ही सर्जरी करने का फैसला किया क्योंकि बच्चे के सुबह तक जीवित बच पाने की संभावना नहीं थी।”
भविष्या के पिता श्री प्रवीण कुमार सीआरपीएफ में असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर हैं। उन्होंने कहा, “मैं फोर्टिस एस्कॉर्ट्स हार्ट इंस्टीट्यूट के कर्मियों, विशेष रूप से डॉ गौरव कुमार और डॉ सुशील आज़ाद, का बहुत आभारी हूँ। उन्होंने मेरे बच्चे का बहुत ध्यान रखा जबकि उसकी मां दूसरे अस्पताल में भर्ती थी। जब हमें पहली बार अपने बच्चे की बिमारी के बारे में पता चला तो हम पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। अस्पताल ने बिना देरी किए बच्चे को एफईएचआई में ट्रांसफर करने की सलाह दी और यहां लाकर हमने बिल्कुल सही निर्णय लिया। मैं एफईएचआई की पूरी टीम द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना करता हूं। उन्होंने सुनिश्चित किया कि महामारी के समय बच्चे को सुरक्षित वातावरण मिले।”
पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी में प्रिंसिपल कंसल्टेंट, डॉ सुशील आजाद ने कहा, “जन्मजात दिल के पूरी तरह ब्लॉक होने की समस्या के साथ पैदा होने वाले प्री–टर्म बच्चों के ऑपरेशन में बहुत जोखिम होता है क्योंकि उनके शरीर के दूसरे महत्वपूर्ण अंगों का पूरा ध्यान रखना होता है। इन बच्चों को संक्रमण से भी बचाना होता है और कोविड महामारी के समय संक्रमण का जोखिम भी बढ़ गया है। हमारी टीम के द्वारा अपनाई गई मल्टीडिसप्लनेरी सोच से यह सर्जरी संभव हो सकी। हमें यह देखकर बहुत खुशी हुई कि सर्जरी के बाद बच्चे ने सही प्रतिक्रिया दिखाई।”
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