तो उपेंद्र कुशवाहा बदलेंगे पाला

सुभाष चंद्र

भले ही अभी बिहार में त्योहारों का मौसम हो। हौले हौले सर्द दस्तक देने को बेताब हो। लेकिन, राजनीतिक गलियारों में नई गरमी का एहसास होने लगा है। जिस प्रकार से सियासी संकेत मिल रहे हैं, उससे तो यही लगता है कि लोकमहापर्व छठ के बाद बिहार की राजनीति में नए समीकरण देखने को मिलेंगे। बीते दिनों जिस प्रकार से भाजपा ने नीतीश कुमार को अपने पाले में करके लालू को पटकनी दी, उसके प्रतिकार के रूप में लालू प्रसाद नई बिसात बिछा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जब से नीतीश कुमार एनडीए के साथी बने हैं, रालोसपा यानी उपेंद्र कुशवाहा की स्थिति असहज हो गई है। भले ही वे अभी तक केंद्र सरकार में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री के ओहदे पर हैं, लेकिन वे अपने पुराने सियासी प्रतिद्वंद्वी को लेकर सहज नहीं है। ऐसे में लालू प्रसाद की कूटनीति उन्हें एनडीए से अलग करके अपने खेमा में लाने की है।

असल में, नया राजनीतिक गठबंधन बनाना आरजेडी की राजनीतिक मजबूरी भी है। लालू प्रसाद जानते हैं कि वे अपने मौजूदा वोट बैंक से बिहार में नहीं जीत सकते। मुस्लिम-यादवों के अलावा बाकी जातियों का वोट हासिल करना उनके लिए बड़ी चुनौती है। कांग्रेस भी बिहार में अपने दम पर नहीं जीत सकती। ऐसे में लालू गैर मुस्लिम, गैर यादव ताकतों से समर्थन हासिल कर गठबंधन को आगे बढ़ाना चाहते हैं।एनडीए के सहयोगी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी बिहार की राजनीति में अपने लिए उचित जगह की तलाश में हैं। 15 अक्टूबर को उन्होंने पटना की रैली में बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर हमला बोला था। इशारों में ही सही, सीएम नीतीश कुमार पर भी निशाना साधा था। नीतीश और उपेंद्र कुशवाहा के रिश्ते कड़वाहट भरे रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, उपेंद्र कुशवाहा जानते हैं कि नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने से गठबंधन में उनकी अहमियत कम हो सकती है। यही कारण है कि वह राजनीतिक दबाव और अहमियत बनाए रखने के लिए 2019 से पहले सभी विकल्प खुले रखना चाहते हैं। दूसरी ओर, नीतीश के कारण पूर्व सीएम जीतन राम मांझी भी एनडीए से नाराज बताए जाते हैं। वह अपने बेटे के लिए नीतीश और बीजेपी गठबंधन वाली सरकार में पद चाहते थे लेकिन अंतिम समय में नाम काट दिया गया। इसके बदले रामविलास पासवान के भाई को मंत्रिमंडल में जगह मिली। इन घटनाक्रम के बीच खबर आई कि उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी की लालू प्रसाद से मुलाकात हुई। हालांकि सभी ने ऐसी खबरों से इनकार किया। वहीं, आरजेडी सूत्रों ने माना कि आम चुनाव से पहले लालू प्रसाद अपना कुनबा बढ़ाने के प्रति गंभीर हैं।

 

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