विपक्ष के लिए लाल खतरे का निशान

कमलेश भारतीय

अभी अभी किसी रोमांचक क्रिकेट मैच की तरह तीन पूर्वोत्तर राज्यों के चुनाव परिणाम सुन कर आ रहा हूं । पूरे परिणाम आधिकारिक रूप से घोषित होने बाकी हैं । फिर भी रफ तस्वीर सामने है । त्रिपुरा में भाजपा का भगवा रंग चढ़ गया । कांग्रेस सिफर । लेफ्ट का किला ढह गया और विपक्ष के लिए लाल खतरे के निशान से ऊपर जा रही भाजपा का खतरा बढा । विपक्ष गफलत में ही रह गया । बिन पैसे वाले मशहूर मुख्यमंत्री माणिक नहीं बचा पाये अपनी सरकार और अपना किला । सीधा सीधा लेफ्ट और भाजपा में कांटे का मुकाबला । बाद में टायं टायं फिस्स ।
मेघालय में कांग्रेस के सामने अपनी सरकार बचाने की चुनौती थी लेकिन वहां भी निर्दलीय ही चुनौती बन गये । कांग्रेस ने तीन नेताओं को तुरंत भेजा है इन निरदलीयों को नियंत्रित करने के लिए । परिणाम क्या होगा ? कह नहीं सकते । नागालैंड में कांग्रेस पूरे साठ प्रत्याशी ही खडे नहीं कर पाई । यह हालत कभी भाजपा की होती थी । कहा जाता था कि कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में इनका बस्ता उठाने वाला कोई नहीं । अब कांग्रेस का बस्ता वहीं पडा रह गया । शशि थरूर कह रहे हैं कि भाजपा का यह बहुमत सिर्फ हिंदू वोटों का बहुमत नहीं है ।
जिस तरह से कांग्रेस ने राजस्थान और मध्यप्रदेश में उपचुनाव जीते थे , सोशल मीडिया पर मोदी और भाजपा का काऊंटडाउन कहा जाने लगा था लेकिन अब इन परिणामों से धक्का लगा है । कांग्रेस को उत्तर भारत में संभवतः सफलता मिले लेकिन पूर्वोत्तर राज्य भरपाई कर देंगे । किरण रिजिजू गद्गद् हो रहे हैं ।
कांग्रेस अपने विधायकों को भाजपा से हाथ मिलाने से रोक नहीं पा रही । इसीलिए त्रिपुरा में यह हश्र हुआ । राहुल गांधी को बहुत कुछ चिंतन मनन के लिए हैं । वे एकांतवास में न जाकर समूह में बैठें । सबकी सुनें । आगे कर्नाटक कांग्रेस नाटक बाकी है । बहुत इम्तिहान अभी बाकी हैं ।

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