साल 2050 तक कार्बन उत्सर्जन में 81% की कमी

नई दिल्ली। गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप के गोडरेज डिज़ाइन लैब ने ऊर्जा, पर्यावरण और जल परिषद (सीईईडब्ल्यू) और इंटीग्रेटिव डिज़ाइन सॉल्यूशंस (आईडीएस) के सहयोग से ‘क्लाइमेट-कॉन्शियस इंडिया का निर्माण: निम्न-कार्बन निर्मित पर्यावरण के लिए स्केलेबल समाधान’ रिपोर्ट को कॉन्शियस कलेक्टिव 2024 में प्रस्तुत किया है। यह रिपोर्ट भारत के भवन क्षेत्र के डीकार्बोनाइजेशन के लिए एक व्यापक रोडमैप प्रदान करती है, जो वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में एक महत्वपूर्ण योगदानकर्ता है। साथ ही, यह आर्किटेक्ट्स, डिज़ाइनर्स, डेवलपर्स और नीति-निर्माताओं के लिए प्रमाणित समाधानों को व्यापक रूप से अपनाने हेतु एक मार्गदर्शक के रूप में कार्य करती है। यह रिपोर्ट चार महत्वपूर्ण क्षेत्रों में स्केलेबल समाधानों की आवश्यकता पर जोर देती है. इसमें शहरी योजना, सामग्री और डिज़ाइन नवाचार, भवन स्तर पर ऊर्जा दक्षता, और उपभोक्ता-संचालित पहल आदि शामिल है। निर्मित पर्यावरण वैश्विक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में 37% का योगदान देता है, जिसमें शहरों की हिस्सेदारी 70% है। रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि रणनीतिक हस्तक्षेपों के माध्यम से भारत के भवन क्षेत्र में 2050 तक कार्बन उत्सर्जन में 81% की कमी लाई जा सकती है।

ट्रेंड्स रिपोर्ट के बारे में बात करते हुए, गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप की कार्यकारी निदेशक, नायरिक होलकर ने कहा, “निर्मित पर्यावरण और शहर भारत की नेट-ज़ीरो महत्वाकांक्षाओं में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। अगले 20 वर्षों में भारत की 40% इमारतें अभी बनाई जानी हैं, इसलिए भवन क्षेत्र द्वारा आज उठाए गए ठोस कदम देश को नेट-ज़ीरो पथ पर मजबूती से स्थापित कर सकते हैं। यह रिपोर्ट निर्मित पर्यावरण में समन्वय के लिए एक व्यापक रूपरेखा प्रस्तुत करती है और हितधारकों के लिए अनुकूलित सिफारिशें प्रदान करती है। व्यवहारगत परिवर्तन को प्राथमिकता देकर, सहयोग को बढ़ावा देकर और नवाचार को आगे बढ़ाकर, यह नीति-निर्माताओं, उद्योग जगत के नेताओं और उपभोक्ताओं को बड़े पैमाने पर अपनाने और एक स्थायी, नेट-ज़ीरो भविष्य को साकार करने के लिए आवश्यक उपकरण प्रदान करती है।”

सीईईडब्ल्यू के संस्थापक-सीईओ, डॉ. अरुणभ घोष ने कहा, “भारत के निर्मित पर्यावरण का डीकार्बोनाइजेशन नीति-निर्माताओं, व्यवसायों और उपभोक्ताओं के बीच सहयोग पर निर्भर करता है, ताकि लागत-प्रभावी समाधानों, कौशल विकास और व्यक्तिगत कार्रवाई पर सहमति बनाई जा सके। समय तेजी से समाप्त हो रहा है, इसलिए ध्यान अब अलग-अलग पायलट सफलताओं से हटकर उन मॉडलों पर होना चाहिए जो बड़े पैमाने पर प्रभाव डाल सकें। इसे हासिल करने के लिए लागत-प्रभावशीलता, कौशल विकास और उपभोक्ता प्राथमिकताओं के साथ तालमेल का सही मिश्रण आवश्यक है। सकारात्मक पहलू यह है कि बाजार कम-कार्बन हस्तक्षेपों को अपनाने के लिए तैयार हो रहा है। अगला कदम प्रमुख हितधारकों को सशक्त बनाना और उन कारकों को सक्रिय करना है जो इस अवसर को व्यवसाय और जलवायु दोनों के लिए लाभदायक बना सकते हैं।”

 

 

रिपोर्ट में क्रियान्वयन योग्य कदम प्रस्तुत किए गए हैं, जिनमें प्रदर्शन-आधारित ग्रीन बिल्डिंग कोड्स को लागू करना, अनुपालन प्रक्रिया को सरल बनाना और गेमीफिकेशन व ब्लॉकचेन-आधारित ऊर्जा व्यापार जैसे नवाचारपूर्ण उपकरणों को अपनाना शामिल है। रिपोर्ट में तेलंगाना के कूल रूफ प्रोग्राम, ओडिशा के कृषी भवन और ब्लॉकचेन-सक्षम पावर लेजर परियोजनाओं जैसी सफल केस स्टडीज़ को उजागर किया गया है। साथ ही, मेडेलिन के ग्रीन कॉरिडोर्स जैसी वैश्विक सर्वश्रेष्ठ प्रथाओं को भी शामिल किया गया है, जिसने स्थानीय तापमान को 2° सेल्सियस तक कम करने में सफलता प्राप्त की। ये उदाहरण नवाचारपूर्ण रणनीतियों के माध्यम से व्यापक प्रभाव की संभावनाओं को दर्शाते हैं।
गोदरेज एंटरप्राइजेज ग्रुप की गुड एंड ग्रीन इंडिया के निर्माण की प्रतिबद्धता के अनुरूप, यह रिपोर्ट उपभोक्ताओं को सशक्त बनाने, उत्सर्जन को कम करने और जैव विविधता के संरक्षण के प्रति कंपनी की प्रतिबद्धता को और मजबूत करती है, ताकि एक सतत भविष्य सुनिश्चित किया जा सके

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