नई दिल्ली: समावेशी नेतृत्व ईकोसिस्टम को और मजबूत बनाने के लिए एडेलगिव फाउंडेशन ने आज अपने स्त्री-लीड्स (Stree-Leads) मुहिम के अंतर्गत वुमन एक्सिलरेट: अ कॉम्पेंडियम फॉर वुमन इन लीडरशिप का विमोचन किया। इस कार्यक्रम में भारत के प्राइवेट सेक्टर की महिला प्रोफेशनल, DEI चैंपियन और कॉर्पोरेट लीडर्स सहित कई लोगों ने सकारात्मक परिवर्तन लाने और महिलाओं की नेतृत्व यात्रा को तेजी से आगे बढ़ाने के लिए एकजुट हुए। इस कार्यक्रम के प्रमुख वक्ताओं के रूप में पूर्व केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी , नग़मा मुल्ला, सीईओ, एडेलगिव फाउंडेशन, सुहेला खान, कंट्री प्रोग्राम मैनेजर, वुमंस इकोनॉमिक एम्पॉवरमेंट, यूएन वुमन, नैना जुनेजा ठाकुर, वाइस प्रेसिडेंट, हयूमन कैपिटल मैनेजमेंट, येस बैंक, भावना सिंह, वाइस प्रेसिडेंट, कम्यूनिकेशन, भारत सीरम एंड वैक्सीन और स्वेता राजपाल कोहली, प्रेसिडेंट और सीईओ, स्टार्टअप पॉलिसी फोरम शामिल थे।
कार्यक्रम में हुई सार्थक चर्चाओं के दौरान, महिला नेतृत्व को मजबूत बनाने के मार्ग में आ रही चुनौतियों और अवसरों पर बात करने के साथ-साथ मौजूदा कमियों को दूर करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया। उदाहरण के लिए, हाल ही में लीडरशिप के पदों पर महिलओं की नियुक्तियों में बढ़ोतरी 21.6% से 25.2% होने के बावजूद, यह आंकड़ा 2023 में गिरकर 24.2% तक हो गया, जो इसमें आाए ठहराव को दर्शाता है। आज के समय में, कॉर्पोरेट इंडिया में वरिष्ठ प्रबंधन के पदों पर महिलाओं की संख्या मात्र 17% है। यह कम्पेंडियम इन कठोर सच्चाई को बयां करता है तथा एडलवाइस ग्रुप, यस बैंक और भारत सीरम वैक्सीन जैसे संगठनों के सर्वोत्तम तौर-तरीकों पर प्रकाश डालता है।
एडेलगिव फाउंडेशन की सीईओ नग़मा मुल्ला ने इस शुभारंभ के मौके पर कहा, “पीढ़ियों से, नेतृत्व पर एक विशिष्ट लिंग का एकाधिकार रहा और उसी के लिए इसे तैयार किया जाता रहा है। एडेलगिव फाउंडेशन ने स्त्री-लीड्स के माध्यम से इस परंपरा को तोड़ने और बदलने का प्रयास किया है। इस मुहिम को शुरु करने की प्रेरणा हमें वित्त और आर्थिक क्षेत्रों में महिलाओं के लिए नेतृत्व पर एक महत्वपूर्ण अध्ययन से मिली। इसके सबसे खास निष्कर्षों में से एक ‘टूटी हुई सीढ़ी’ की मौजूदगी था – नेतृत्व की सीढ़ी का वो कमजोर मुकाम, जहां कई महिलाएं अक्सर लड़खड़ा जाती हैं। वूमेन एक्सिलरेट: अ कॉम्पेंडियम फॉर वीमेन इन लीडरशिप को शुभारंभ करते हुए हमें काफी गर्व की अनुभूति हो रही है, हमारा मानना है हमारा यह प्रयास भविष्य के लिए काम करने के लिए एक रोडमैप के रूप में काम करेगा, कार्यस्थलों को समानता वाले स्थानों के रूप में फिर से परिभाषित करने का आह्वान करेगा, जहां महिलाएं न केवल प्रतिभागी बल्कि लीडर भी होंगी। यह लॉन्च लैंगिक समानता को बढ़ावा देने की हमारी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है। मैं उन महिला लीडर का विशेष रूप से आभार व्यक्त करती हूं जिन्होंने इस कम्पेंडियम में अपनी प्रेरक नेतृत्व यात्रा का योगदान दिया।”
कम्पेंडियम से कुछ मुख्य निष्कर्ष नीचे दिए गए हैं
एडलवाइस ग्रुप में लिंग अनुपात संरचनागत भर्ती प्रक्रिया द्वारा वित्त वर्ष 24 में 24% से बढ़कर 31% हो गया है
एडलवाइस ग्रुप की ओर से महिला नेतृत्व कार्यक्रम में भाग लेने वालों की रिटेंशन दर 84% है
विभिन्न पथसमर्थकों के लिए लचीली कार्य व्यवस्था और प्रोत्साहन देने देने वाले स्टेप अप2 यस रिटर्नशिप जैसे कार्यक्रमों ने यस बैंक को संगठन में महिलाओं का प्रतिनिधित्व 21% से बढ़ाकर 25% करने में समर्थ बनाया है
अनुसंधान और विकास के क्षेत्र की लीडरशिप में महिलाओं के लिए इंडस्ट्री औसत 10% से 14% है, लीडरशिप के पदों पर महिलाओं की उल्लेखनीय 25% भागीदारी के साथ BSV अग्रणी बना हुआ है।
भारत सीरम वैक्सीन अपनी पहल, वूमेनटोरिंग के माध्यम से लैंगिक समानता को फिर से परिभाषित कर रहा है। कार्यक्रम में पहले चरण में 90 से अधिक लोगों ने भाग लिया, जो इसकी उच्च भागीदारी दर को दर्शाता है।
महिला लीडर्स की ताकत और चुनौतियों को समझने के लिए किए गए महिला आर्थिक सशक्तिकरण (WEE) धारणा सर्वेक्षण की कुछ प्रमुख बातें नीचे दी गई हैं
o 18% पुरुष उत्तरदाताओं ने सहयोग को महिला लीडर्स की सबसे बड़ी ताकत बताया
o 50% महिलाओं ने बताया कि उन्हें ‘परिवार सबसे ऊपर है’ के पूर्वाग्रह का सामना करना पड़ता है
o 50% पुरुष मानते हैं कि नेतृत्व करने के लिए कहने पर महिलाएँ ‘बहुत भावुक’ हो जाती हैं
o 20% पुरुषों ने महसूस किया कि महिलाएँ कार्रवाई उन्मुख नहीं हैं
o 5 में से 1 पुरुष और महिला नेतृत्व की भूमिकाओं को अभी भी महिलाओं के लिए मुश्किल मानती हैं
निधी भसीन, सीईओ, डिजिटल ग्रीन ट्रस्ट और जूरी मेंबर ने अपने विचार साझा करते हुए कहा, “महिलाओं को नेतृत्वकारी भूमिका में पहुंचने के लिए कई बड़ी रुकावटों का सामना करना पड़ता है। संरचनात्मक पूर्वाग्रह, जो अक्सर अनकहे होते हैं, अभी भी बहुत ज्यादा हैं, और मैंने जिन कई सारी महिलाओं के साथ काम किया है, जिसमें मैं खुद भी शामिल हूं, उन्होंने समाज की उम्मीदों से बने सेल्फ डाउट का सामना किया है। ऐसी नीतियां बनें जो मार्गदर्शन को बढ़ावा दें, लचीलापन दें, और पूर्वाग्रहों का सक्रियता से मुकाबला करें, ये विकल्प नहीं है, बल्कि जरूरी है। ऐसी प्रथाओं के माध्यम से ही हम एक ऐसी लीडरशिप संस्कृति बना सकते हैं, जहां महिलाएं अपनी पूरी क्षमता तक पहुंच सकें और लीडरशिप की नई परिभाषा लिख सकें।”
इस कार्यक्रम में दो प्रभावशाली चर्चाएं हुईं। पहली चर्चा एक पैनल डिस्कशन था, जिसका विषय था, “पावर ऑफ पाथवे: एक्शनेबल स्ट्रैटजीस टू एनेबल वुमन टू लीडरशिप” इसमें सुहेला खान, भावना सिंह और नैना जुनेजा ठाकुर जैसे प्रैक्टिशनर्स और इंडस्ट्री के लीडर्स शामिल हुए, जिन्होंने “टूटी सीढ़ी” यानी लीडरशिप की पहली, अक्सर खोई हुई सीढ़ी के समाधान पर बात की।
दूसरी चर्चा, एक फायरसाइड चैट थी, जिसमें नग़मा मुल्ला और श्री डॉ. सस्मित पात्रा ने हिस्सा लिया। इसका विषय था, “ वॉइसेस ऑफ लीडरशिप: शेपिंग चेंज, इंसपायरिंग फ्यूचर्स ”। इस चैट में उन अग्रणी लीडर्स के सफल को एक्सप्लोर किया गया, जिन्होंने सार्वजनिक चर्चा को आकार दिया और महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण के लिए परिवर्तनकारी बदलाव लाए।
इसके अलावा, इस कम्पेंडियम में कंपनियों के बीच और रिवर्स मेंटरशिप, कॉर्पोरेट सेक्टर में डेटा-संचालित दृष्टिकोण, सार्वजनिक और निजी संगठनों के बीच सहयोग और घरेलू सहायता कार्यक्रमों की स्थापना की सिफारिश की गई है। यह काम पर लौटने के कार्यक्रमों और बाल देखभाल सुविधाओं को अनिवार्य बनाने, पुरुष सहयोग को प्रोत्साहित करने, नेटवर्किंग के अवसरों को बढ़ाने और कौशल विकास कार्यक्रमों को कार्यान्वित करने का भी समर्थन करता है। केंद्र सरकार प्राइवेट सेक्टर के संगठनों के लिए लैंगिक समानता रिपोर्टिंग को अनिवार्य कर सकती है और ऐसी व्यवस्था को अपनाने वाले नियोक्ताओं को प्रोत्साहन दे सकती है।