नियुक्तियों पर खेमका का ट्वीट

नई दिल्ली।अपने ट्वीट्स के लिए हरियाणा में दो लोग सबसे ज्यादा चर्चा में रहते हैं । आपका अनुमान बिल्कुल सही ।।पहले हमारे गृहमंत्री और दाढ़ी वाले बाबा अनिल विज । दूसरे आईएएस अशोक खेमका । अशोक खेमका कम से कम पचास बार यानी अर्द्धशतक लगा कर तबादले करवाने का रिकाॅर्ड बनाने वाले आईएएस अधिकारी हैं जिनका रिकाॅर्ड तोड़ पाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है । बहुत सारे मुख्यमंत्री आए और गये लेकिन अशोक खेमका नहीं बदले । कार नहीं दी तो साइकिल पर सचिवालय जाकर सुर्खियां बटोरीं ।

मीडिया फ्रेंडली या कहें कि मीडिया की पहली पसंद । अब फिर ट्वीट कर चर्चा में आ गये हैं । खेमका ने संवैधानिक पदों पर की गयी नियुक्तियों को लेकर सवाल उठाया है इस बार । उनके अनुसार जिस तरह से ये नियुक्तियां की जा रही हैं उससे इन संस्थाओं का महत्त्व कम किया जा रहा है । इन संस्थाओं से भ्रष्ट लोगों की कंपकंपी छुटनी चाहिए । इन संस्थाओं में सेवानिवृत लोगों की नियुक्ति कर इनका महत्त्व कम किया जा रहा है । ये नियुक्तियां हैं -मुख्य सतर्कता आयुक्त, लोकपाल और लोकायुक्तों की । उल्लेखनीय है कि सरकार ने हाल ही में दो सेवानिवृत अधिकारियों की नियुक्तियां की हैं यानी सीधा सरकार पर वार । केंद्र ने संजय कोठारी और विमल जुल्का को नियुक्त किया है । खेमका का सवाल है कि इन संस्थाओं से कितने भ्रष्ट लोगों को अभी तक दोषी ठहराया गया है ? कितने भ्रष्टाचारी छूट जाते हैं और कितने निर्दोष परेशान होते हैं ?

अशोक खेमका को किसी भी मुख्यमंत्री की गुड बुक में जगह नहीं मिली । भाजपा की पहली बार सरकार आने पर लगा था कि इस आईएएस को कोई सही नियुक्ति मिलेगी लेकिन अनिल विज के साथ खेल विभाग में आते ही खिलाड़ियों की पुरस्कार राशि का विवाद खड़ा हो गया । हैरानी की बात कि सरकार पहली टर्म बीत जाने पर भी खिलाड़ियों को ढंग से सम्मानित भी न कर पाई । यह श्रेय दोनों को जाता है ट्वीटर योद्धाओं को । सवाल सही भी है । सेवानिवृत आईएएस तो कृपा मान कर वही फैसले करेंगे जो उनके आक़ा कहेंगे । कांग्रेस प्रवक्ता रणधीर सुरजेवाला ने भी इन नियुक्तियों पर कहा कि जेब से निकालकर ऐसी नियुक्तियां की जा रही हैं । उन्होंने इन नियुक्तियों को गैर कानूनी और असंवैधानिक करार देते हुए रद्द करने की मांग की है । यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के न्यू इंडिया में पारदर्शिता, जवाबदेही , संवैधानिक और कानून की पालना की कोई जगह नहीं बची । अब गेंद सत्ता पक्ष के पाले में ,,?

कमलेश भारतीय, वरिष्ठ पत्रकार 

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