कृषि-ड्रोन को बढ़ावा देने के लिए आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन ने वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ के साथ किया करार

 

गुरुग्राम। कृषि-ड्रोन निर्माता आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन (IoTechWorld Avigation) ने  घोषणा की कि उसने परभणी (महाराष्ट्र) स्थित वसंतराव नाइक मराठवाड़ा कृषि विद्यापीठ (वीएनएमकेवी) के साथ एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य कृषि उत्पादकता में वृद्धि के लिए देश में मानव रहित हवाई वाहनों के उपयोग को बढ़ावा देना है।
गुरुग्राम स्थित कंपनी द्वारा एक प्रमुख शैक्षणिक संस्थान के साथ यह समझौता ड्रोन प्रौद्योगिकी में अनुसंधान को आगे बढ़ाने के अलावा कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी के उपयोग के बारे में किसानों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए किया गया है।
पिछले महीने एग्री ड्रोन बनाने वाली कंपनी ने राहुरी (महाराष्ट्र) स्थित महात्मा फुले कृषि विद्यापीठ (कृषि विश्वविद्यालय) के साथ भी इसी तरह के करार की घोषणा की थी।
इस नवीनतम एमओयू पर विश्वविद्यालय की ओर से वीएनएमकेवी के कुलपति डॉ. इंद्र मणि, जबकि आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन की ओर से सह-संस्थापक और निदेशक श्री अनूप कुमार उपाध्याय ने हस्ताक्षर किए।
श्री उपाध्याय ने कहा कि आयोटेकवर्ल्ड एविगेशन ड्रोन तकनीक को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभा रहा है, और विश्वविद्यालयों के साथ साझेदारी का उद्देश्य अनुसंधान गतिविधियों को प्रोत्साहन है।
वीएनएमकेवी के साथ समझौता ज्ञापन के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में सहयोग करेंगे और कृषि में ड्रोन के उपयोग को बढ़ावा देंगे।
उन्होंने कहा, “समझौते के दोनों हस्ताक्षरकर्ता वीएनएमकेवी विश्वविद्यालय में कृषि प्रशिक्षण केंद्र और रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (आरपीटीओ) विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगे।”
आयोटेकवर्ल्ड के सहसंस्थापक श्री दीपक भारद्वाज ने कहा कि विश्वविद्यालयों के साथ गठजोड़ से कंपनी को किसान समूहों के बीच जागरूकता पैदा करने के अलावा ड्रोन तकनीक में ज्यादा शोध करने में मदद मिलेगी।
उन्होंने कहा, “किसानों के बीच कृषि-ड्रोन का उपयोग बढ़ रहा है और कई किसान संगठन भी इस अभियान में शामिल हो गए हैं। ये मानवरहित हवाई रोबोट बहुत ही काम के हैं, क्योंकि ये न केवल लागत बचाने में मदद करते हैं, बल्कि समय भी बचाते हैं।”
गठजोड़ का एक अन्य प्रमुख उद्देश्य किसान हित के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल और विश्वविद्यालय में प्रस्तावित आरपीटीओ में ड्रोन पायलट बनाना है।
उन्होंने कहा कि आयोटेकवर्ल्ड वीएनएमकेवि के साथ कृषि ड्रोन के लिए रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (आरपीटीओ) की स्थापना में तकनीकी भागीदार होगा, जो देश में ड्रोन पायलट की कमी को कम करने में मदद करेगा।
सरकार के एक अनुमान के अनुसार भारत को अगले साल तक कम से कम 1 लाख ड्रोन पायलटों की आवश्यकता होगी।
उल्लेखनीय है कि आयोटेकवर्ल्ड का अपना आरपीटीओ है, जहां किसानों को ड्रोन उड़ाने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है। कंपनी किसानों को ड्रोन पायलट लाइसेंस हासिल करने में भी मदद करती है।
दोनों पार्टियां वीएनएमकेवी विश्वविद्यालय में कृषि प्रशिक्षण केंद्र और रिमोट पायलट ट्रेनिंग ऑर्गनाइजेशन (आरपीटीओ) विकसित करने के लिए मिलकर काम करेंगी।
केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने क्षेत्र के हितधारकों के लिए ड्रोन तकनीक को किफायती बनाने के लिए दिशानिर्देश जारी किए हैं।
सरकार ने कृषि, वानिकी (फॉरेस्ट्री) और गैर-फसली क्षेत्रों में फसल सुरक्षा के लिए कीटनाशकों और मिट्टी और फसल पोषक तत्वों के छिड़काव के लिए ड्रोन एप्लिकेशन के उपयोग के लिए एसओपी भी तैयार की है।

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