जीवन और सृजन कला से संपूर्ण लघुकथाएं

कमलेश भारतीय

कमल चोपड़ा लम्बे समय से लघुकथा में सक्रिय हैं । संरचना वार्षिकी भी उनकी सक्रियता का प्रमाण है । अब उनका एकल लघुकथा संग्रह अकथ आया है । इन लघुकथाओं को जीवन और सृजन से संपूर्ण कहा है गौतम सान्याल ने फ्लैप पर लिखी छोटी सी जानकारी में । सहमत होने के सिवाय कोई चारा नहीं । उन्होंने तीन वर्गों में बांटा है । दहशत में अकुलाते भयाक्रांत मन , लघुकथा के सिद्धांतों की अनुपालना और दैनंदिनी जीवन के संघर्ष का चित्रण । अपनी ओर से यह जोडना चाहता हूं कि यदि इन लघुकथाओं को आप मंटो की सोच की लघुकथाएं कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी । कमल चोपड़ा ने मुख्य तौर पर सांप्रदायिकता पर लघुकथाओं के माध्यम से जम कर प्रहार किया है । अकथ की अधिकांश लघुकथाएं धर्म के आडम्बर और आपसी भाईचारा को खूब जड से पकड़ने में सफल हैं । दंगे परहेज अनेक रचनाएं हैं । सबसे चर्चित एक समय कमल चोपड़ा की लघुकथा रही : मैं छोनू। और समाज में एकांत और टूटते परिवार परिवार पर सर्वप्रथम लघुकथा : इतनी दूर । पिता के निधन का पता तीसरी मंजिल पर रहने वाले पुत्र कोई भी कई दिन बाद चलता हैंं । हालांकि पिता उसी गगनचुंबी फ्लैट्स में पहली मंजिल पर रहते हैं जबकि पुत्र अपनी पत्नी को कहता हैंं कि अरे , इस नेट के जमाने में कौन सी दूरी ? रास्ते लघुकथा यह संदेश देने में सफल है कि किसी भी रास्ते से जाओ , एक ही मंजिल तक पहुंचेंगे । फिर दंगा कैसा , झगडा कैसा और क्यों ?
दुख जोड़ेंगे लघुकथा में एक पंडिताइन और जमादारिन कैसे दुख की सीढियां पार करती आखिर अपनी जाति भूल जाती हैं और वे एक साथ व्यवहार करने लगती हैं क्योंकि दोनों दुखी हैं और दुखी जोड देता हैंं ।धर्म के अनुसार एक हिंदू मुस्लिम को दंगे के दौरान बचाता हैंं क्योंकि उसका कहना हैंं कि हिंदू मोहल्ले में मुझे तो कोई कुछ नहीं कहता जबकि इस पर हमला लाजिमी होता । चोर में एक रुपये की हवा भरने पर मालिक चोरी समझ कर काम सीखने वाले बच्चे कोई पीटता है जबकि खुद स्कूटर ठीक करने में वो चीजें भी गिना देता है , जो ठीक की ही नहीं । तब बच्चा सब बता करप्शन सवाल छोड करनाल भाग जाता है कि बताओ चोर कौन ?
कमल चोपड़ा की सभी रचनाएं देश की चर्चित पत्रिकाओं में प्रकाशित होना इस बात का प्रमाण है कि उनकी सोच कोई स्वीकार किया जा रहा है । बिरादरी में वे संदेश देते हैं कि आटे दाल का कोई धर्म नहीं होता ।
अकथ में समाज को जोडने , साम्प्रदायिकता मिटाने और परिवार में समरसता लाने की गजब की रचनाएं हैं । बस , यही कमल चोपड़ा का कमाल है । कुछ लघुकथाएं थोडी लम्बी हो गयी हैं । इनसे बचना होगा । कवर आकर्षक हैं ।

समीक्ष्य पुस्तक : अकथ, लघुकथा संग्रह
रचनाकार : डाॅ कमल चोपड़ा
प्रकाशक : अयन प्रकाशन, दिल्ली ।
पृष्ठ : 166 , मूल्य : 350 रुपए ।

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