नई दिल्ली। आजकल हर शहर में दो काम बहुत फल फूल रहे हैं -पीजी और कोचिंग सेंटर्ज । देखा जाए तो दोनों एक दूसरे से जुडे हुए भी हैं । छोटे बडे कस्बों और गांवों से बड़े बनने के सपने आंखों में लिए बच्चे बड़े शहरों में कोचिंग के लिए जाते हैं तो रहने को खोजते हैं पीजी । यानी रहना और खाना पीना एकसाथ और एकमुश्त पैसे । हर कहीं आपको पीजी के विज्ञापन और कोचिंग सेंटर्ज मिल जाएंगे । ऐसे ही चंडीगढ़ के एक पीजी में आग लग जाने से तीन युवा लडकियों के सपने और वे खुद गल कर राख हो गयी ।
वीकेंड के कारण बचाव हो गया नहीं तो यह संख्या ज्यादा होती । कुछ लड़कियां वीकेंड के चलते घर गयी हुई थीं । इन छात्राओं में हमारे हिसार की मुस्कान मेहता भी एक है । कितने सपने आंखों में लेकर वह चंडीगढ़ गयी होगी ? कितने चाव होंगे और इच्छाएं होंगी मां बाप कीं ? पर सब एक आग में राख । कैसा रखरखाव होगा पीजी का ? बताया जा रहा है कि आग लैपटाॅप के चार्जर केशाॅर्ट सर्किट से शुरू हुई । इसके बाद तीन की जान गयी जबकि दो गंभीर रूप से घायल हैं ।
आखिर प्रशासन की नाक के नीचे इतने पीजी चल रहे हैं और बहुत कम सुविधाएं देकर लूट मचा रखी है तो इनको कौन चैक करेगा ? सिर्फ हादसे होने पर ही प्रशासन जागता है और खानापूर्ति के बाद कुंभकर्णी नींद सो जाता है । ऐसे ही हिसार में मसाज पार्लर की बात भी उठी । इन मसाज पार्लरों पर क्या निगाह रखी जा रही है ? अर्बन एस्टेट में इन पीजी से लोग परेशान हैं और बारबार शिकायतें करने पर भी नतीजा सिफ़र । यहां तक कि सुश्री सैलजा के ध्यान में भी मामला लाया जा चुका है । यही क्यों जिस महिला पुलिस अधिकारी को जांच की जिम्मेदारी सौंपी वही रिश्वत मांगते धरी गयी । फिर कौन करेगा जांच ? किससे हम उम्मीद करें ?
– कमलेश भारती, वरिष्ठ पत्रकार