संदीप ठाकुर
नई दिल्ली। किसी से छुपा नहीं है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र माेदी आैर विहिप नेता प्रवीण तोगड़िया के बीच 36 का आंकड़ा है आैर इसी गुटबंदी का परिणाम है कि विहिप के 52 साल के इतिहास में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव आैर गुटबंदी की स्थित पैदा हाे गई है। हिंदूत्व के हार्ड लाइनर का मानना है कि प्रवीण तोगड़िया को अगर इस चुनाव में किनारे नहीं किया जा सका तो भाजपा और संघ दोनों को झटका लगेगा।
विश्व हिंदू परिषद के अंदर कई महीनों से चल रही खींचतान अब इस मुकाम पर पहुंच गई है कि इसके अध्यक्ष पद के लिए कल यानी 14 अप्रैल काे चुनाव होगा। 52 साल के विहिप के इतिहास में पहली बार चुनाव की तैयारी है। यह चुनाव मामूली नहीं होगा। यह भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ दोनों के लिए परीक्षा की तरह है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा हमला करने वाले विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष प्रवीण ताेगड़िया व उनके समर्थकाें ने जीत के लिए एेड़ी चाेटी का जाेर लगा दिया है। बताया जा रहा है कि गुड़गांव में होने वाले इस चुनाव में तोगड़िया खेमा न जीते इसके लिए भाजपा के कई बड़े नेता और संघ के कुछ पदाधिकारी भी सक्रिय हैं। तोगड़िया को पिछले दिनों इस्तीफे के लिए कहा गया था लेकिन उन्होंने इनकार कर दिया था।
चर्चा है कि पीएम माेदी के साथ टकराव के कारण ताेगड़िया काे संध का एक मजबूत घड़ा हटाना चाहता है। ताेगड़िया के सुर कई बार माेदी विराेधी रहे हैं इसलिए माेदी की लॉबी भी ताेगड़िया काे हटाने की पक्षघर है। उधर ताेगड़िया का कहना है कि उन्हें हराने के लिए मतदाता सूची में गड़बडी की गई है। एेसे में अगर उनके उम्मीदवार राघव रेड्डी हार जाते हैं तो वे इस्तीफा दे देंगे। ध्यान रहे तोगड़िया ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को निशाना बनाया था और अपने बारे में कहा था कि उनकी जान खतरे में है। बहरहाल, तोगड़िया के उम्मीदवार राघव रेड्डी हैं, जो अब भी विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष हैं। उनको चुनौती दे रहे हैं विष्णु सदाशिव कोकजे। वे हाई कोर्ट के रिटायर जज हैं और राज्यपाल भी रह चुके हैं। वे भी लंबे समय हिंदुवादी राजनीति से जुडे रहे हैं। विहिप और संघ के कुछ पदाधिकारी अब भी चुनाव टालने की कोशिश में हैं। पर अगर चुनाव हुआ तो इसका नतीजा संघ, भाजपा की राजनीति पर असर डालने वाला होगा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)