नई दिल्ली। असम के लिए अपने डेवलपमेंट एजेंडा पर आगे बढ़ते हुए, देश के सबसे बड़े विज्ञान आधारित आयुर्वेद विशेषज्ञ डाबर इंडिया लिमिटेड ने राज्य में साक्षरता के स्तर में सुधार के अपने प्रयासों के हिस्से के रूप में आज तेजपुर में एक रेमेडियल एजुकेशन सेंटर की स्थापना की। नए जीवंती रेमेडियल एजुकेशन सेंटर का उद्देश्य नियमित स्कूलों में कमज़ोर छात्रों की मदद करना है। यह अतिरिक्त सहयोग जरूरतमंद छात्रों को निर्धारित स्कूल पाठ्यक्रम से निपटने में मदद करेगा और राज्य में साक्षरता के स्तर को बेहतर बनाने में योगदान देगा।
डाबर इंडिया लिमिटेड की सीएसआर शाखा जीवंती वेल्फेर और चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा स्थापित इस केंद्र का उद्घाटन एक समुदाय के बुजुर्ग और घोरमरी गांव पंचायत की अध्यक्षा सुश्री चंपा बसुमतरी ने किया। रेमेडियल एजुकेशन सेंटर कमज़ोर शिक्षार्थियों को विशेष कक्षाएं प्रदान करेगा और उन्हें अपने साथियों के साथ चलने में मदद करेगा। नए बैच को हर तीन महीने में चालू किया जाएगा और स्थानीय सरकारी प्राथमिक स्कूल शिक्षकों की मदद से जरूरतमंद छात्रों की पहचान की जाएगी। कार्यक्रम में चार गांव शामिल होंगे: सेसा पनबारी, धेकिडोल, चपागुड़ी और हसर नेपालीबस्ती।
डाबर इंडिया लिमिटेड हेड-सीएसआर श्री ए. सुधाकर ने कहा: “शिक्षा एक बेहतर जीवन का साधन और समाज के समग्र विकास को सुनिश्चित करने की एक कुंजी है। तेजपुर में स्कूल इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने के लिए विकास कार्यक्रम शुरू करने के बाद, अब हम छात्रों को उनके अध्ययन में मदद दे रहे हैं। हमारी सामुदायिक बैठकों के दौरान, हमने महसूस किया कि कुछ बच्चे अपने माता-पिता के कम साक्षरता स्तर की वजह से स्कूलों में खराब प्रदर्शन कर रहे थे, जिससे उनका आत्मविश्वास प्रभावित हो रहा था। हमने इस शिक्षा केंद्र से ऐसे कमजोर छात्रों को विशेष शिक्षण कक्षाओं के द्वारा सहयोग देना शुरू कर दिया है। यह केंद्र स्कूल में सिखाए जाने वाले चीजों को समझने की उनकी क्षमता को बढ़ाने के साथ उनके आत्मविश्वास और उनके ग्रेड में भी सुधार लाएगा।”
केंद्र का उद्घाटन करते हुए, सुश्री चंपा बसुमतरी ने कहा: “माता-पिता और शिक्षक दोनों बच्चे के विकास में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उन्हें प्रत्येक बच्चे की विशिष्ट जरूरतों को समझने और जहां भी आवश्यक हो, सुधारात्मक उपाय करने की आवश्यकता है। मुझे यकीन है कि जिवंती रेमेडियल सेंटर उन छात्रों की समग्र शिक्षा प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा जो अपनी खराब वित्तीय स्थिति के कारण निजी शिक्षण नहीं ले पाते हैं। इन अतिरिक्त कक्षाओं के साथ, छात्र बाधाओं को दूर करने और गतिविधि उन्मुख सहयोगी शिक्षा में शामिल होने में सक्षम होंगे।”