गाजियाबाद। देश के सबसे हाईटेक सिटी बनने जा रही वेव सिटी को कुछ अराजक तत्व अपने निजी फायदे के लिए लगातार विकास कार्यों में बाधा पहुंचाने का काम कर रहे हैं। रोचक तथ्य तो यह है कि किसान संगठन, किसान और वेव सिटी प्रबंधन के बीच जो समझौता हुआ था, उस समझौते की शर्तों को भी कुछ अराजक तत्व मानने को तैयार नहीं हैं। बल्कि कुछ नए संगठन जिनका कि इस समझौते से कोई लेना देना नहीं है वह आकर धरना—प्रदर्शन कर जिला प्रशासन और वेव सिटी प्रबंधन पर जबरन दबाव बनाने का काम कर रहे हैं।
जबकि जिला प्रशासन, भारतीय किसान संगठन और वेव सिटी प्रबंधन ने साफ कर दिया है कि जो समझौता मई 2014 में हुआ है उसी के आधार पर विकास कार्य किए जा रहे हैं और जिन किसानों की जमीन ली गई थी उन्हें मुआवजा और जमीन दी जा चुकी है। सूत्रों का कहना है कि जमीन की कीमत बढ़ने के बाद कुछ अराजक तत्व किसानों को बहला—फुसलाकर जबरन ज्यादा मुआवजा मिलने का प्रलोभन देकर उन्हें भ्रमित करने का काम कर रहे हैं। और इसकी आड़ में तथाकथित संगठन धरना—प्रदर्शन कर रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि अगर गलत तरीके से जमीन ली या गई गलत तरीके से समझौता हुआ है तो न्यायालय में जाकर न्याय मांग सकते हैं। लेकिन न्यायालय पहले ही साफ कर चुका है कि समझौतों की शर्तों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
अदालत के आदेश के बावजूद वेव सिटी प्रबंधन को कर रहे हैं ब्लैकमेल
इस बीच भारतीय किसान संगठन ने जिला प्रशासन को पत्र लिखकर साफ किया कि जो भी प्रदर्शन हो रहे हैं वह अवैध तरीके से हो रहे हैं। भारतीय किसान संगठन के गाजियाबाद के जिला अध्यक्ष एवं मेरठ मंडल के प्रभारी लोकेश नागर की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया था कि वेव सिटी में चल रहा धरना अवैध है। पत्र में कहा कि यह धरना बाहरी नेताओं की ओर से दिया जा रहा है। पत्र के मुताबिक कंपनी और किसानों के बीच जो समझौता हुआ था उसे कंपनी ने मान लिया है। पत्र में कहा गया है कि 20 अक्टूबर 2024 को कंपनी और क्षेत्र के लोगों के बीच जो समझौता हुआ उसे कंपनी ने मान लिया और लगातार रजिस्ट्री भी हो रही है। साथ ही कंपनी समझौते के मुताबिक विकास कार्य को भी करा रही है।
पत्र में कहा गया है कि कुछ लोग अधिक दाम में बेची हुई जमीन के लिए भी प्लॉट की मांग कर रहे हैं और धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। जबकि 2014 के समझौते से इसका कोई मतलब नहीं है। उस समय भी यह समझौता हम लोगों के ही बीच हुआ था। पत्र में कहा गया है कि भारतीय किसान संगठन के लोग 21 अक्टूबर 2024 के समझौते से पूरी तरह से रजामंद है जिस पर क्षेत्र के लगभग 250 किसानों के हस्ताक्षर हैं और इस धरने का विरोध करते हैं।