बुनियादी सुविधाओं को जुटाए बिना विकास और सुशासन बेमानी : मुख्यमंत्री चौहान

 

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि आम जनता की सक्रिय सहभागिता से ही मध्यप्रदेश सुशासन के क्षेत्र में देश के सामने उदाहरण बनकर खड़ा हो सका है। आज से 15 वर्ष पहले मध्यप्रदेश जिन क्षेत्रों में बहुत पीछे था और बीमारू राज्य कहलाता था, उन क्षेत्रों में लगातार प्रगति के प्रयास किए गए, जिसका परिणाम यह है कि मध्यप्रदेश पहले विकासशील राज्य बना और अब विकसित प्रदेशों की पंक्ति में खड़ा है। मध्यप्रदेश में जन-भागीदारी से विकास का मॉडल लागू किया गया है। पिछले 02 साल में कोविड महामारी के नियंत्रण में इस मॉडल की उपयोगिता सिद्ध हुई। प्रधानमंत्री श्री मोदी भी विकास के लिए जन-भागीदारी पर जोर देते हैं। वे हमारे प्रेरक हैं। मध्यप्रदेश निरंतर जन-भागीदारी के साथ विभिन्न क्षेत्रों में विकास की गति तेज करने का कार्य करेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आज मध्यप्रदेश सुशासन और विकास रिपोर्ट 2022 के लांचिंग समारोह को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में अनेक केन्द्रीय मंत्री, राज्य सरकार के मंत्री, भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारी और मध्यप्रदेश कैडर के अखिल भारतीय स्तर के प्रशासनिक, पुलिस और वन सेवा के अधिकारी भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री मोदी के मार्गदर्शन में मध्यप्रदेश में अनेक योजनाओं के क्रियान्वयन में अग्रणी रहकर सफलता प्राप्त की है। मध्यप्रदेश की उपलब्धियों में प्रधानमंत्री जी का निर्देशन महत्वपूर्ण रहा है। श्री मोदी भारत राष्ट्र के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। मध्यप्रदेश में 03 लाख किलोमीटर लंबाई की सड़कें विभिन्न योजनाओं में निर्मित की गईं। बिजली का उत्पादन 05 हजार मेगावॉट से बढ़ाकर 21 हजार मेगावॉट तक पहुँचाया गया। कई बार कृषि कर्मण अवार्ड प्राप्त करने वाले मध्यप्रदेश ने पंजाब और हरियाणा को गेहूँ उपार्जन में पीछे छोड़ दिया है। मध्यप्रदेश का सोने जैसे दानों वाला गेहूँ अमेरिका सहित अनेक देशों में निर्यात होता है। अब गेहूँ के निर्यात के लिए प्रयास बढ़ाए जा रहे हैं। प्रदेश में एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल भी बनाई गई है। मध्यप्रदेश में सिंचाई योजनाओं से लाभान्वित सिंचाई रकबा 43 लाख हेक्टेयर से अधिक हो गया है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने केन-बेतवा योजना की मंजूरी से मध्यप्रदेश के बड़े इलाके को लाभान्वित करने की पहल की है। मध्यप्रदेश में अन्य नदी जोड़ों परियोजनाएँ भी क्रियान्वित हो रही हैं। प्रदेश की विकास दर 19.7 प्रतिशत देश में सर्वाधिक है। देश की अर्थ-व्यवस्था में मध्यप्रदेश 4.6 प्रतिशत का योगदान दे रहा है। सकल घरेलू उत्पाद में बीते दशक में 200 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि राज्य सरकार ने इन्फ्रा सेक्टर में 48 हजार करोड़, प्रधानमंत्री आवास योजना में 10 हजार करोड़ की राशि का प्रावधान किया है। जल जीवन मिशन के कार्यों में 12 हजार करोड़ खर्च किए जा चुके हैं। लाडली लक्ष्मी योजना की सफलता देश के लिए उदाहरण बनी है। प्रदेश में 43 लाख लाड़ली लक्ष्मियाँ हैं। बालिका और महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में लगातार कार्य हो रहा है।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि 15 वर्ष पूर्व राज्य सरकार ने श्रमिकों, किसानों, महिलाओं, शिल्पियों, विद्यार्थियों और अन्य वर्गों की पंचायतें बुलाकर योजनाओं के स्वरूप के संबंध में सुझाव प्राप्त किए। जनता की भावनाओं का पूरा सम्मान किया गया। परिणामस्वरूप अनेक व्यवहारिक योजनाएँ निर्मित हुईं। इनके क्रियान्वयन में अच्छी सफलता मिली है। मध्यप्रदेश पहला राज्य है जिसने पब्लिक सर्विस गारंटी कानून बनाया। समय पर सेवाएँ न देने वाले लोग दंडित किए जाते हैं। समाधान ऑनलाइन, सी.एम. हेल्पलाइन, वन-डे समाधान और अन्य सूचना प्रौद्योगिकी आधारित कार्य पद्धतियाँ आम जनता को बेहतर सेवाएँ उपलब्ध करा रही हैं। मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि अनावश्यक कानूनों को समाप्त किया गया है। अनेक प्रमाण-पत्र निश्चित समय में उपलब्ध हो जाते हैं। स्व-प्रमाणित दस्तावेज मान्य किए गए हैं। स्वच्छता के क्षेत्र में इंदौर ही नहीं अब संपूर्ण मध्यप्रदेश उदाहरण बनेगा।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि वे प्रतिदिन पौधा लगाते हैं। पौध-रोपण से एकात्म हो गए हैं। नागरिकों से भी अपने जन्मदिन, परिजन के जन्मदिन, विवाह वर्षगांठ आदि पर पौधे लगाने का आग्रह किया गया है। कुपोषण की समाप्ति के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी के संकल्प के अनुसार एडाप्ट एन आँगनवाड़ी अभियान चलाया जा रहा है। किसान भी आँगनवाड़ी केन्द्रों के लिए सहयोग देते हैं। पानी और बिजली बचाने का काम किया जा रहा है। मेरा गाँव, मेरा तीर्थ की भावना को विस्तार दिया गया है। ग्रामों और नगरों के गौरव दिवस मनाए जा रहे हैं। इस क्रम में आज नर्मदापुरम जिले के माखन नगर में प्रख्यात कवि और स्वतंत्रता सेनानी पंडित माखनलाल चतुर्वेदी के गृह नगर में गौरव दिवस मनाया गया।

मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कहा कि सीएम राइज विद्यालय, श्रमोदय विद्यालय और चिकित्सा सेवाओं के विस्तार का कार्य भी किया जा रहा है। अर्थशास्त्रियों और अन्य विषय-विशेषज्ञों से विकास के विभिन्न क्षेत्रों में परामर्श प्राप्त किया जा रहा है। दीनदयाल अंत्योदय समितियों और युवाओं की समितियों के माध्यम से विकास के प्रयासों में सहयोग मिलेगा। मध्यप्रदेश ने आपदा को अवसर में बदलने के प्रधानमंत्री श्री मोदी के आव्हान के पश्चात आत्मनिर्भर भारत के अंतर्गत आत्मनिर्भर मध्यप्रदेश के संकल्प में अधोसंरचना, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुशासन, रोजगार और अर्थ-व्यवस्था को प्राथमिकता दी। व्यवस्थित प्रयासों से मध्यप्रदेश सुशासन के क्षेत्र में मॉडल बनने में सफल हुआ है। प्रारंभ में मुख्यमंत्री श्री चौहान ने कार्यक्रम में आए सभी अतिथियों और प्रतिनिधियों का स्वागत किया।

 

 

विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि सुशासन के ‘मिनिमम गवर्नमेंट, मैक्सिमम गवर्नेंस’ के जिस काम को प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने हमारे जिम्मे सौंपा था, उसे सबसे पहले मध्यप्रदेश ने कर दिखाया है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने बीमारू राज्य से मध्यप्रदेश को एक रोल मॉडल राज्य बना दिया है, जिसके लिए वे बधाई के पात्र हैं।

सदस्य मानव संसाधन संवर्धन आयोग भारत सरकार डॉ. आर. बाला सुब्रमण्यम ने कहा कि मध्यप्रदेश ने सुशासन के क्षेत्र में बहुत बेहतर कार्य किया है। मध्यप्रदेश में जन-भागीदारी मॉडल बनाकर सबसे बढ़िया उपयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि हमें प्रगति के लिए क्षमता विकास पर ज़्यादा ध्यान देने की ज़रूरत है। हम अपनी क्षमता को बढ़ाने पर ध्यान दें। मध्य प्रदेश अपनी योजनाओं के माध्यम से अंतिम छोर पर बैठे व्यक्ति तक के विकास के कार्य कर रहा है। मध्यप्रदेश विकास के कई पेरामीटर पर देश में आगे है।

अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल के उपाध्यक्ष प्रोफेसर सचिन चतुर्वेदी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मध्यप्रदेश पहला ऐसा राज्य है जहाँ शोधकर्ताओं के लिए सीएम फेलोशिप स्थापित की गई है। एमपीसीडीआर रिपोर्ट में राज्य सरकार द्वारा किए जा रहे विशेष प्रयासों का दस्तावेजीकरण किया गया है। विशेषकर कोविड काल में मध्यप्रदेश के जन-भागीदारी मॉडल को सराहा गया है। मध्यप्रदेश पहला राज्य होगा जिसमें स्टेटिस्टिक्स कमीशन को स्थापित किया जा रहा है जो जिला स्तर पर सकल घरेलू उत्पाद को मापने का कार्य करेगा। पिछले तीन क्वार्टर में लगातार मध्यप्रदेश का आंकड़ा बाकी अन्य राज्यों से काफी आगे रहा है। प्रदेश 14 राज्यों में सबसे तेजी से बढ़ता हुआ राज्य है।

यू.एम.ई.पी. के पूर्व कार्यकारी निदेशक श्री एरिक सोल्हेम ने कहा कि मध्यप्रदेश में ग्रीन एनर्जी पर बहुत अच्छा कार्य हो रहा है। यहाँ बड़े सोलर प्लांट लगाये गए हैं जो ग्रीन एनर्जी-क्लीन एनर्जी की ओर बहुत अच्छे कदम हैं। मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा स्वयं रोज़ाना एक पौधा लगाया जाता है यह बहुत अच्छी पहल है। मध्यप्रदेश का शहर इंदौर सबसे स्वच्छ शहर है, इसके लिए मध्यप्रदेश को बधाई।

संयुक्त राष्ट्र के स्थानीय समन्वयक श्री शोम्बी शार्प ने अपने संबोधन में कहा कि मध्यप्रदेश ने हर समुदाय तक पहुँच सुनिश्चित की है और यह भी सुनिश्चित किया है कि कोई भी पीछे न छूटे। यह इसके टीकाकरण अभियान में सबसे अच्छी तरह से चित्रित किया गया था, जिसमें सामुदायिक भागीदारी ने अहम भूमिका निभाई। देश के कई अन्य राज्य और दुनिया के कई अन्य देश प्रगति और विकास के मामले में मध्य प्रदेश के अनुभवों से सीख सकते हैं। श्री शार्प ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र समावेशी और सतत विकास की दिशा में मध्य प्रदेश के साथ अपने एसडीजी सहयोग को गहरा करने के लिए प्रतिबद्ध है।

केन्द्रीय सचिव प्रशासनिक सुधार एवं लोक शिकायत श्री बी श्रीनिवास ने कहा कि मध्यप्रदेश में सुशासन की समृद्ध परंपरा रही है। चाहे लोक सेवा गारंटी कानून हो, सी.एम. हेल्पलाइन, जन-सुनवाई या फिर एफआईआर आपके द्वार, मध्यप्रदेश सुशासन का पथप्रदर्शक रहा है। इंदौर के स्वछता जन-भागीदारी मॉडल और अनूपपुर के स्मार्ट स्कूल प्रोग्राम की प्रशंसा सभी करते हैं।

कार्यक्रम में केंद्रीय कृषि एवं किसान-कल्याण मंत्री श्री नरेन्द्र सिंह तोमर, केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, केन्द्रीय ग्रामीण विकास और इस्पात राज्य मंत्री श्री फग्गन सिंह कुलस्ते, प्रदेश के जल संसाधन मंत्री श्री तुलसीराम सिलावट, कृषि मंत्री श्री कमल पटेल, सिंगापुर के हाइ-कमिश्नर श्री वॉक, मध्यप्रदेश के सांसद और प्रतिनियुक्ति पर नई दिल्ली में पदस्थ मध्यप्रदेश कैडर के भारतीय प्रशासनिक सेवा, भारतीय पुलिस सेवा और भारतीय वन सेवा के अधिकारी, सुशासन संस्थान की सीईओ सुश्री जी.व्ही. रश्मि और एसीईओ श्री लोकेश शर्मा भी कार्यक्रम में उपस्थित थे।

 

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