Diwali के 5 दुर्लभ दिन

नई दिल्ली। Diwali-अमावस्या के अंधकार को चीरती दीपों की ज्योति से निकली रोशनी की किरणें इशारा करती है। कि जीवन में असफलता के अंधकार से बाहर आना तभी संभव है जब दीपज्योति की तरह चरित्र व व्यक्तित्व की चमक चारों ओर बिखरें। जानिए यह कैसे मुमकिन है। दरअसल, जिंदगी को खुशहाल व चरित्र को उजला बनाने के नजरिए से Diwali के पांच दिन यानी, धनतेरस से भाई-दूज की परंपराएं जिंदगी के लिए अहम 5 अनमोल संपत्तियां या दौलत जुटाने का मौका देती हैं। कौन-सी और किस रूप में मिलती है ये बेशकीमती दौलत जानिए-

1 दीपावली महापर्व का पहला दिन यानी धनतेरस

भगवान धनवन्तरि की पूजा द्वारा निरोगी जीवन रूपी धन की कामना की जाती है। इसमें अच्छी सेहत के लिए संयम व अनुशासन का संदेश है। यानी बेहतर व सफल जिंदगी के लिए स्वास्थ्य को अनमोल संपत्ति भी माना गया है।

2 दूसरे दिन नरक या रूप चतुर्दशी

परंपराओं में सौंदर्य रूपी दौलत की अहमियत है, जिसमें समृद्ध जीवन के लिए तन ही नहीं बल्कि मन व व्यवहार की भी सुंदरता व पावनता कायम रखने का संदेश है।

3 तीसरे दिन Diwali पर

लक्ष्मी जी व कुबेर के साथ श्री गणेश, मां सरस्वती जी की पूजा सुखी व शांत जीवन के लिए धन के साथ ज्ञान, विवेक व बुद्धि रूपी दौलत की अहमियत उजागर करती है।

 

4 चौथे दिन यानी गोवर्धन पूजा

 

गौ धन के साथ जुड़ा प्रतीकात्मक संदेश श्रीकृष्ण का स्मरण कर सफल जीवन के लिए कर्म व पुरुषार्थ के साथ अन्य प्राणियों की अहमियत बताई गई है।

 

5 पांचवे दिन यम द्वितीया या भाई-दूज

 

रिश्तों की दौलत को सहेजने का संदेश है। इसमें भाई-बहन के पवित्र रिश्तों को सामने रख हर संबंध में सच्चाई, पावनता, संस्कार और मर्यादा द्वारा कलहमुक्त जीवन बिताने का सूत्र है।

Diwali के पांच दिनों से जुड़ी धन रूपी इस शक्ति साधना का संदेश जीवन में उतार लें तो महालक्ष्मी की कृपा जिंदगी भर बनी रहना संभव है।

 

Inputs – आचार्य पं. नरेन्द्र कृष्ण शास्त्री

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