कांग्रेस से नाराज शिबू को मनायेंगे डॉ अजय कुमार
रांची : झारखंड की दो राज्यसभा सीटों के लिए इस बार भी तगड़ा संघर्ष होगा. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष हेमंत सोरेन ने कांग्रेस के साथ मिलकर राज्यसभा चुनावों से आगे बढ़ते हुए वर्ष 2019 में होने वाले लोकसभा और झारखंड विधानसभा चुनावों तक का प्रोग्राम तैयार कर लिया है. लेकिन, हेमंत की योजना में उनके पिता और झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन बाधा बनकर खड़े हो गये हैं. दिशोम गुरु ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस के साथ गठबंधन नहीं चाहते. इसलिए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार ने तय किया है कि वह गुरुजी को मनायेंगे.
सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और मुख्य विपक्षी पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) दोनों ने इसके संकेत दे दिये हैं. दोनों ही दलों ने साफ कर दिया है कि वे अपने उम्मीदवार उतारेंगे और अपने विरोधी दल को धूल चटायेंगे. भाजपा ने दोनों सीटों पर प्रत्याशी उतारने की घोषणा कर दी है, तो झामुमो ने भी कांग्रेस के साथ मिलकर सत्तारूढ़ भाजपा की मिट्टी पलीद करने की तैयारी कर ली है.राज्यसभा चुनावों पर डॉ अजय कुमार नेता प्रतिपक्ष हेमंत के साथ 4 बजे संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करने से पहले शिबू सोरेन से मिलकर उन्हें गठबंधन के लिए मनाने का प्रयास करेंगे. पिछले दिनों हेमंत सोरेन ने नयी दिल्ली में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी, कांग्रेस के झारखंड प्रभारी आरपीएन सिंह और झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ अजय कुमार के साथ मुलाकात की थी. इसके बाद इस आशय का एलान किया गया था कि कांग्रेस और झामुमो के बीच राज्यसभा चुनाव से आगे बढ़कर आम चुनावों और झारखंड विधानसभा चुनावों तक के लिए गठबंधन पर सहमति बन गयी है.
हेमंत के दिल्ली से लौटने से पहले ही दिशोम गुरु ने इस गठबंधन पर एतराज जता दिया. उन्होंने साफ कहा कि कांग्रेस विश्वास करने लायक पार्टी नहीं है. झामुमो सूत्रों की मानें, तो गुरुजी चाहते हैं कि यदि कांग्रेस के साथ समझौता करना मजबूरी है, तो गठबंधन की सारी शर्तें लिखित होनी चाहिए. गुरुजी ने कहा कि वह कई बार कांग्रेस से धोखा खा चुके हैं. अब धोखा नहीं खाना चाहते. यहां बताना प्रासंगिक होगा कि झारखंड मुक्ति मोर्चा के सहयोग से कांग्रेस अपने प्रत्याशी को राज्यसभा भेजना चाहता है. झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन इसके लिए तैयार हो गये हैं, लेकिन पार्टी सुप्रीमो शिबू सोरेन अपने बेटे के इस फैसले से नाराज हैं.
दिल्ली में सोरेन-गांधी की मुलाकात के बाद रांची में झामुमो सुप्रीमो ने इसे लिखित समझौते का रूप देने की मांग कर डाली. उन्होंने कहा की कांग्रेस की फितरत कहकर पलट जाने की है। इसलिए उन्होंने ‘डील’ लिखित करने की बात कही. दरसल सोरेन को कांग्रेस का साथ निभाने का कड़वा अनुभव भी है. जामताड़ा जिले के नारायणपुर नरसंहार में कथित रूप से नामजद होने के बाद सोरेन को केंद्र में मंत्री पद छोड़ना पड़ा था. तत्कालीन कोयला मंत्री सोरेन को न केवल यूपीए सरकार से अलग होना पड़ा था बल्कि काफी फजीहत भी झेलनी पड़ी थी. राज्य की एक राज्यसभा सीट पर कांग्रेस अपना उम्मीदवार उतारना चाहती है. प्रदेश में बिना जेएमएम के समर्थन और अन्य विपक्षी दलों के साथ के कांग्रेस अपनी मौजूदगी तक दर्ज नहीं करा सकती है. ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार शिबू सोरेन के इस बयान के बद उनसे मिलने जा रहे हैं. कांग्रेसी खेमे में पूर्व राज्यसभा सदस्य धीरज साहू और राज्य के पूर्व मंत्री राजेन्द्र सिंह के नामों की चर्चा उम्मीदवार के रूप में है. हालांकि दोनों कांग्रेस लीडर का अपनी पार्टी और अन्य अपोजिशन में एक्सेप्टेंस है, लेकिन साहू का पलड़ा भारी है, पार्टी सूत्रों के अनुसार इस मामले में आखिरी फैसला दिल्ली ‘दरबार’ में होना है.